गलवान में चीन के झंडे का सच क्या है? जानिए, वायरल हो रहे China के वीडियो की हकीकत
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गलवान में चीन के झंडे का सच क्या है? जानिए, वायरल हो रहे China के वीडियो की हकीकत

चीन के सरकारी मीडिया द्वारा सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया गया है, जिसमें बताया गया है कि एक जनवरी को नए साल के मौके पर चीन ने लद्दाख की गलवान घाटी में अपना झंडा फहराया.

गलवान में चीन के झंडे का सच क्या है? जानिए, वायरल हो रहे China के वीडियो की हकीकत

नई दिल्लीः सबसे पहले आप सबको नए वर्ष की बहुत-बहुत शुभकामनाएं. हम सब वर्ष 2021 से वर्ष 2022 में प्रवेश कर चुके हैं. आज इस साल के पहले हफ्ते का पहला DNA है. 2021 संकटों और चुनौतियों से भरा साल रहा. इसलिए दुनिया जल्दी से जल्दी वर्ष 2022 में प्रवेश करने के लिए बहुत बेताब थी. लोगों का उत्साह देखकर ऐसा लगा कि जैसे 31 दिसंबर की रात जैसे ही घड़ी में 12 बजेंगे तो इस एक सेकेंड में सब कुछ बदल जाएगा और पूरी दुनिया एकदम नई हो जाएगी. लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि भारत की 2022 की शुरुआत कैसी रही.

  1. चीन का प्रोपेगेंडा वीडियो
  2. विपक्षी पार्टियों की राजनीति
  3. राहुल गांधी ने भी किया ट्वीट

राजनीति का DNA टेस्ट

नए साल की शुरुआत से ही चीन ने ये स्पष्ट कर दिया कि वो लद्दाख को लेकर अपनी विस्तारवादी भूख को शांत नहीं करेगा. चीन के सरकारी मीडिया द्वारा सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया गया है, जिसमें बताया गया है कि एक जनवरी को नए साल के मौके पर चीन ने लद्दाख की गलवान घाटी में अपना झंडा फहराया. वैसे तो हमारे देश की विपक्षी पार्टियां भारतीय सेना से सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के सबूत मांगते हुए नहीं थकतीं. लेकिन जब चीन ने बिना किसी सबूत के ये वीडियो गलवान घाटी का बता कर सोशल मीडिया पर डाला तो भारत के बड़े-बड़े विपक्षी नेताओं ने इसे सच मान लिया और इस पर राजनीति शुरू कर दी. इसलिए हम सबसे पहले इसी राजनीति का DNA टेस्ट करेंगे.. और आपको बताएंगे कि गलवान घाटी का कितना इलाका भारत के पास है और कितना चीन के पास है. और क्या ये सम्भव है कि चीन ने अपने इलाके में वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाला है? इन सारे सवालों के जवाब हम आपको देंगे. लेकिन सबसे पहले आपको इस पूरी खबर के बारे में बताते हैं..

पूरा विवाद एक वीडियो से शुरू हुआ

ये पूरा विवाद एक वीडियो से शुरू हुआ, जिसमें चीन की People's Liberation Army के जवान किसी पहाड़ी इलाके में अपने देश का झंडा फहरा रहे हैं. और चीन का राष्ट्रगान भी गा रहे हैं. ये वीडियो चीन के सरकारी मीडिया द्वारा सोशल मीडिया पर अपलोड किया गया और ये दावा किया गया कि चीन की सेना ने ये झंडा गलवान घाटी में नए साल के मौके पर फहराया है. गलवान घाटी लद्दाख का वही इलाका है, जहां 15 जून 2020 को भारतीय सेना और चीन के बीच खूनी झड़प हुई थी. जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे.

राहुल गांधी ने भी किया ट्वीट

अब सोचने वाली बात ये है कि हमारे देश के जो विपक्षी नेता, भारत की सेना से सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत मांगते हैं, उन्होंने चीन के इस वीडियो की कोई जांच तक नहीं की. बल्कि चीन ने जो कहा, उस पर हमारे देश के एक खास वर्ग ने आसानी से यकीन कर लिया और इस पर राजनीति शुरू कर दी. विदेश में छुट्टियां मना रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी ट्विटर पर प्रधानमंत्री मोदी को घेरने में देर नहीं लगाई और उन्होंने लिखा कि 'गलवान पर हमारा तिरंगा ही अच्छा लगता है. चीन को जवाब देना होगा. मोदी जी, चुप्पी तोड़ो!' ये ट्वीट राहुल गांधी ने किया.

राहुल गांधी ने चीन के वीडियो पर विश्वास कर लिया

इससे पता चलता है कि राहुल गांधी ने भी चीन के इस वीडियो पर आसानी से विश्वास कर लिया. लेकिन इस वीडियो का सच क्या है, वो हम आपको बताएंगे. इसके लिए आपको गलवान घाटी के इस इलाके को समझना होगा. दरअसल, लद्दाख में स्थित गलवान घाटी कोई 100 मीटर में फैला इलाका नहीं है. बल्कि ये इलाका भारत से लेकर चीन के कब्जे वाले अक्साई चिन तक फैला हुआ है. जिसे आप इस नक्शे से समझ सकते हैं

गलवान घाटी क्यों पड़ा नाम?

गलवान एक नदी का नाम है. और ये नाम गुलाम रसूल गलवान के नाम पर पड़ा है, जिन्होंने वर्ष 1899 में अंग्रेजी सरकार के लिए इस नदी की कुल लम्बाई मापने का काम किया था. ये नदी लगभग 80 किलोमीटर लम्बी है, जो अक्साई चिन से निकलती है और LAC के पास भारत की श्योक नदी में मिल जाती है. कहने का मतलब ये है कि.. ये नदी जहां-जहां से गुजरती है, उस इलाके को Galwan River Valley कहा जाता है. यानी इस हिसाब से गलवान घाटी का मतलब ये नहीं है कि चीन का ये वीडियो भारत की सीमा में बनाया गया. गलवान घाटी का काफी इलाका चीन में भी पड़ता है और हमें पता चला है कि चीन ने ये वीडियो उसी इलाके में शूट किया है.

नेहरू के शासन काल में चीन ने गलवान पर किया कब्जा

यहां एक बात जानकर आपको हैरानी होगी कि कभी गलवान घाटी का पूरा इलाका भारत के पास हुआ करता था. ये बात वर्ष 1956 की है. उस समय चीन ने माना था कि गलवान घाटी का ये इलाका उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं है. लेकिन 1962 का युद्ध आते-आते चीन ने भारत को जो नए नक्शे भेजे, उसमें गलवान घाटी के अधिकांश इलाके को अपना बताया और फिर युद्ध के बाद उसने इस इलाके पर कब्जा भी कर लिया. तो कहानी ये हुई कि चीन ने ये वीडियो जिस इलाके में बनाया है, वो इलाका जवाहर लाल नेहरु के प्रधानमंत्री रहते हुए चीन ने भारत से छीन लिया था.

वीडियो भारत की सीमा के अंदर नहीं बना

यहां आप ये बात समझ गए होंगे कि चीन ने ये झंडा गलवान में उस जगह नहीं फहराया है, जहां 15 जून 2020 को खूनी झड़प हुई थी. इसलिए चीन के लिए अपने इलाके में ऐसा वीडियो बनाना कोई बड़ी बात नहीं है. और वो पहले भी ऐसा कर चुका है. उदाहरण के लिए अक्टूबर 2021 में चीन के सरकारी मीडिया ने एक वीडियो गलवान घाटी का बताते हुए जारी किया था, जिसमें चीन के सैनिक, गलवान हिंसा में मारे गए अपने जवानों को श्रद्धांजलि दे रहे हैं. इस वीडियो को आप ध्यान से देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि मौजूदा वीडियो और पुराना वीडियो दोनों एक ही लोकेशन पर बनाए गए हैं. इससे ये स्पष्ट हो जाता है कि ये वीडियो भारत की सीमा के अन्दर नहीं बना.

वीडियो चीन का प्रोपेगेंडा

एक और महत्वपूर्ण बात.. गलवान हिंसा के बाद भारत और चीन के बीच ये समझौता हुआ था कि दोनों देश अपनी-अपनी सेना को झड़प वाली जगह से 2.8 किलोमीटर पीछे बुला लेंगे. और इस समझौते का फरवरी 2021 में पालन भी हुआ. इसलिए ये बात पूरी तरह गलत है कि चीन की PLA ने भारत की सीमा में घुस कर ये वीडियो रिकॉर्ड किया. सच्चाई ये है कि ये वीडियो चीन का एक Propaganda है, जिससे वो भारत को उकसा कर उस पर दबाव बनाना चाहता है. और हमारे देश के विपक्षी नेता इस काम में उसकी मदद कर रहे हैं. ये बात हम इसलिए भी कह रहे हैं कि एक जनवरी को LAC के पास वाले गलवान इलाके में भारी बर्फबारी हुई थी. लेकिन चीन द्वारा जारी किए गए इस वीडियो में कहीं भी बर्फबारी के निशान नहीं है. और ना ही उसके सैनिक बर्फ के दौरान पहने जाने वाली Uniform में हैं.

वीडियो की हकीकत पर सवाल

गलवान घाटी का इलाका समुद्र तल से 14 से 16 हजार फीट ऊपर है. लेकिन यहां चीन के सैनिक गर्म कपड़ों और दूसरे जरूरी सामान के साथ नजर नहीं आते. जबकि इसी दिन जब लद्दाख में दूसरी चौकियों के पास LAC पर भारत और चीन के सैनिक नए साल पर मिठाइयां शेयर करते हैं, तो वो गर्म मास्क और दूसरी यूनिफॉर्म में दिखाई देते हैं. इससे इस बात की भी आशंका है कि चीन ने जो वीडियो नए साल के पहले दिन का बताया है, वो असल में अक्टूबर-नवम्बर महीने का हो सकता है.

सेना के मनोबल को कमजोर करने वाली राजनीति

यहां जो एक बात आपको समझनी है, वो ये कि चीन चाहे इस तरह के Propaganda वीडियो जारी करे या कोई Fake News फैलाए, चीन की सरकार से उसके देश में कोई सवाल पूछने वाला नहीं है. लेकिन भारत में ऐसा नहीं है. भारत में चीन द्वार फैलाई जाने वाली Fake News को राजनीति के टूल के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. और विपक्षी पार्टियां मोदी विरोध के चक्कर में राष्ट्रहित से जुड़े मुद्दों की गम्भीरता को भी भूल जाती हैं. और इस मामले में ऐसा ही हुआ. ये वीडियो तो चीन के किसी इलाके का हो सकता है. हो सकता है कि ये पुराना वीडियो हो. लेकिन हमारे देश में इसके सहारे राजनीति हो रही है. और ये राजनीति सेना के मनोबल को कमजोर करने वाली है.

देखें वीडियो

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