8th round of talk with farmers: एक किसान नेता ने बैठक में कहा, ऐसा लग रहा है कि केंद्र सरकार मामले का समाधान नहीं चाहती, क्योंकि वार्ता कई दिनों से चल रही है. ऐसी सूरत में आप हमें स्पष्ट बता दीजिए. हम चले जाएंगे. क्यों हम एक दूसरे का समय बर्बाद करें.
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नई दिल्ली: केंद्र सरकार (Central Government) और किसान नेताओं (Farmers) के बीच आज हुई 8वें दौर की वार्ता कुछ अलग थी. क्योंकि शांति से आंदोलन करने की बात करने वाले किसान बैठक में नाराज हो गए और फिर बहस करने लगे. इस दौरान एक समय ऐसा भी आया जब तीनों मंत्री बीच मीटिंग में ही हॉल से बाहर चले गए.
तीनों कृषि कानूनों को रद्द कराने की मांग पर अड़े किसान ने सरकार से दो टूक कहा कि उनकी ‘घर वापसी’ तभी होगी जब वह इन कानूनों को वापस लेगी. लेकिन सरकार ने ऐसा करने से साफ इनकार कर दिया और कानून में बदलाव करने की बात कही. इसके बाद बैठक में बहस का दौर शुरू हो गया. इस दौरान सरकार ने दावा किया कि कई राज्यों में किसानों ने इन कानूनों का अच्छा मानते हुए इन्हें स्वीकार कर लिया है. आपको भी पूरे देश का हित समझना चाहिए.
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लेकिन किसानों ने कहा कि हम कानूनों को निरस्त करने के अलावा कुछ नहीं चाहते हैं. हम किसी भी अदालत में नहीं जाएंगे. जब तक कानून निरस्त नहीं किए जाते हम लड़ना जारी रखेंगे. 26 जनवरी को हमारी परेड योजना के अनुसार होगी. इसी तरह ये बहस करीब 1 घंटे तक चलती रही. इसके बाद किसान नेताओं ने मौन धारण कर लिया और बैठक में बैनर लहराने शुरू कर दिए. बैनर में लिखा था ‘जीतेंगे या मरेंगे.’ इस बीच तीनों मंत्री आपसी चर्चा के लिए हॉल से बाहर निकल आए.
कुछ देर बाद जब वे वापस मीटिंग हॉल में आए, तो उन्होंने 15 जनवरी को अगली बैठक में बातचीत करने की बात कहते हुए बैठक को समाप्त कर दिया. इस बैठक में कोई नतीजा नहीं निकला. इससे पहले 4 जनवरी को हुई वार्ता भी बेनतीजा रही थी, क्योंकि किसान संगठन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े रहे. वहीं 30 दिसंबर को हुई छठे दौर की वार्ता में दो मांगों, पराली जलाने को अपराध की श्रेणी से बाहर करने और बिजली पर सब्सिडी जारी रखने को लेकर सहमति बन पाई थी.
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