उस वक्त लोग बेहद हैरान रह गए थे, जब बीमार वीपी सिंह (VP Singh) के बारे में उनकी पत्नी का बयान एक मैगजीन के लेख में छपा था. इस लेख में उनकी पत्नी के हवाले से पूर्व पीएम के बारे में काफी अपशब्द लिखे गए थे, उनकी पत्नी ने गुस्से में अवमानना का केस कर दिया
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राजा विश्वनाथ प्रताप सिंह, यानी वीपी सिंह (VP Singh), बहुत सारे सवर्ण आज भी उनके मंडल कमीशन लागू किए जाने से नाराज रहते हैं. लेकिन उन्होंने समाज के एक विशाल तबके के भले के लिए किसी की भी नाराजगी मोल लेने से कभी परहेज नहीं किया. कहा जाता है कि उनके परिवार के लोग भी उनके इन फैसलों से खुश नहीं रहते थे, सच्चाई क्या थी, ये तो लोगों को पता नहीं चलती थी, लेकिन अफवाह उनके बारे में खूब उड़ाते थे. ऐसे ही लोगों को लगता था कि वीपी सिंह (VP Singh) ने जब से आचार्य बिनोवा भावे (Acharya Vinoba Bhave) के आव्हान पर अपनी काफी जमीन दान दे दी थी, उससे उनकी पत्नी बेहद नाराज रहने लगी थीं. उनके हवाले से बिना पड़ताल किए किसी मैगजीन ने वीपी सिंह के लिए अपशब्द तक जब छाप दिए, तो उस प्रकाशक को फिर अवमानना की कार्रवाई के तहत माफी मांगकर एक लाख रुपए का हर्जाना देना पड़ा था.
ये बात 2012 की है. केस का फैसला जरूर इस साल आया था, लेकिन मामला 2006 का था, जब वीपी सिंह जिंदा थे. उनकी पत्नी सीता कुमारी (VP Singh wife Sita Kumari) के बारे में माना जाता है कि वो राजस्थान की एक रियासत की राजकुमारी हैं और महाराणा प्रताप के खानदान से भी उनका रिश्ता है. दिल्ली के एक प्रकाशन से उनके बारे में एक ऐसा लेख 2006 में छपा कि लोग हैरान रह गए, वो सोच भी नहीं सकते थे कि वीपी सिंह जैसे कद्दावर नेता की पत्नी उनके बारे में ऐसे ख्याल रखती होंगी.
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उस मैगजीन के लेख में लिखा था कि वीपी सिंह की पत्नी ने एक कोर्ट केस में वीपी सिंह को ‘विक्षिप्त’ तक बोल दिया था. इस लेख में उनकी पत्नी के हवाले से वीपी सिंह के खिलाफ काफी कुछ लिखा गया था. ये तक कहा गया कि बिनोवा भावे के आव्हान पर जमीन दान के बाद से ही उनकी पत्नी उनसे काफी नाराज थीं. मांडा के राजा थे वीपी सिंह, शाही परिवार में पले बढ़े वीपी सिंह इंदिरा गांधी सरकार में मंत्री बने, फिर यूपी के मुख्यमंत्री और फिर राजीव गांधी की सरकार में मंत्री रहे थे. बाद में करप्शन के मुद्दे पर वो राजीव गांधी के खिलाफ ही खड़े हो गए और बीजेपी की मदद से पीएम भी बन गए. हालांकि 1 साल बाद ही उनकी सरकार गिर गई, फिर उन्हें कैंसर हो गया. सालों तक राजनीति से दूर रहे. बाद में बेटे के साथ दोबारा शुरुआत भी की, लेकिन कामयाब नहीं हुए.
ऐसे में लोगों ने इस लेख में पढ़ी सारी बातों को सही मान भी लिया. वीपी सिंह की पत्नी इस लेख से काफी नाराज हुईं, वैसे भी इस लेख में जो भी लिखा था, उसका कोई आधार नहीं बताया गया. और भी तमाम बातें उनके हवाले से कही गई थीं, ‘देश का सबसे अलोकप्रिय प्रधानमंत्री’, मानसिक रोगी और भी ना जाने क्या क्या. उन्होंने इस प्रकाशन के ऊपर केस कर दिया, 1 लाख रुपए की अवमानना के आरोप के साथ.
इसको लेकर उस प्रकाशक की तरफ से कहा गया कि ये कोई हमने पहली बार नहीं छापा है कि बल्कि इससे पहले भी कई प्रकाशनों में छप चुका है. लेकिन उन्होंने किस श्रोत से ये बयान छापे, इसकी कोई जानकारी उन्होंने नहीं दी. वीपी सिंह की पत्नी ने 3 गवाह भी पेश किए, लेकिन उनसे प्रकाशक के वकील ने क्रॉस क्वश्चनिंग भी नहीं की. उन तीन गवाहों ने बताया कि वीपी सिंह और उनकी पत्नी के आपसी रिश्ते कितने बेहतरीन हैं. कुल मिलाकर ये तय हो गया कि ये लेख सुनीसुनाई बातों को लेकर लिखा गया था.
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