RSS पोस्‍टर गर्ल माया कोडनानी ने मैटरनिटी क्‍लीनिक से सलाखों तक किया सफर
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RSS पोस्‍टर गर्ल माया कोडनानी ने मैटरनिटी क्‍लीनिक से सलाखों तक किया सफर

2002 में गुजरात दंगों के दौरान अहमदाबाद के नरोदा पाटिया नरसंहार में दिनदहाड़े 97 लोगों को मार दिया गया था.

नरोदा पाटिया दंगा मामले में माया कोडनानी को निचली अदालत द्वारा 28 साल कारावास की सजा सुनाई गई थी.(फाइल फोटो)

2002 में गुजरात दंगों के दौरान नरोदा पाटिया नरसंहार केस में बीजेपी की पूर्व मंत्री माया कोडनानी को गुजरात हाई कोर्ट ने बरी कर दिया है. हालांकि इससे पहले उनको निचली अदालत ने 28 साल की सजा सुनाई थी. इस लिहाज से माया कोडनानी के लिए यह फैसला बेहद राहत पहुंचाने वाला है. इस पृष्‍ठभूमि में माया कोडनानी से जुड़ी अहम बातों पर आइए डालते हैं एक नजर:

  1. 1995 में अहमदाबाद निकाय चुनावों से माया कोडनानी ने करियर शुरू किया
  2. 1998 में पहली बार एमएलए और 2007 में महिला एवं बाल विकास राज्‍यमंत्री बनीं
  3. 2009 में उनको अपने पद से इस्‍तीफा देना पड़ा, 2012 में उनको 28 साल की सजा हुई

1. पेशे से डॉक्‍टर माया कोडनानी स्‍त्री रोग विशेषज्ञ(गाइकोनोलॉजिस्‍ट) हैं. उनके पिता आरएसएस के सक्रिय कार्यकर्ता थे. उनका परिवार विभाजन के बाद भारत आया. बड़ौदा मेडिकल कॉलेज में डॉक्‍टरी की पढ़ाई के लिए एडमीशन लेने से पहले गुजराती मीडियम स्‍कूल में पढ़ाई की और राष्‍ट्रीय सेविका समिति को ज्‍वाइन किया.

2. डॉक्‍टर बनने के बाद उन्‍होंने नरोदा के कुबेरनगर इलाके में मैटरनिटी क्‍लीनिक खोला. लेकिन शुरू से ही राजनीति में दिलचस्‍पी लेने के कारण 1995 में अहमदाबाद निकाय चुनावों में सफलता हासिल कर सियासी सफर शुरू किया. उसके तीन साल बाद ही 1998 में पहली बार एमएलए बनीं.

3. दमदार भाषणों के कारण वह गुजरात में बीजेपी की धाकड़ नेता बनकर उभरीं.  2002 और 2007 के चुनावों में भी जीतीं. 2007 में पहली बार महिला एवं बाल विकास राज्‍यमंत्री बनीं.

4. 2002 में गुजरात दंगों के दौरान अहमदाबाद के नरोदा पाटिया नरसंहार में दिनदहाड़े 97 लोगों को मार दिया गया था. इसी मामले में उन पर नरोदा में दंगा भड़काने, भड़काऊ भाषण देने का आरोप था. हालांकि 2012 में जब निचली अदालत ने उनको सजा सुनाई तो उन्‍होंने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा था कि उनको राजनीतिक षड़यंत्र के तहत फंसाया गया है. उन्‍होंने यह तक कहा था कि वह उस दिन नरोदा में मौजूद ही नहीं थीं. 2009 में जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एसआईटी ने नरोदा पाटिया केस में पूछताछ के लिए बुलाया तो माया कोडनानी उपस्थित नहीं हुईं और उनको भगौड़ा घोषित कर दिया. उसके बाद बढ़ते दबाव के बीच उन्‍होंने सरेंडर किया और अपने मंत्री पद से इस्‍तीफा देना पड़ा.

5. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी एक अन्‍य नरोदा गाम दंगा मामले में माया कोडनानी के पक्ष में गवाही दी है. उस मामले में पिछले साल 18 सितंबर को गवाह के रूप में अहमदाबाद की विशेष एसआईटी कोर्ट में वह पेश हुए थे. वहां अमित शाह ने कहा कि माया कोडनानी नरोदा गाम में नहीं थीं. वह सुबह 8.30 बजे विधानसभा के अंदर थीं. उन्होंने कहा, 'मैं सुबह 9:30 से 9:45 बजे तक सिविक अस्पताल में था, उस वक्त मेरी मुलाकात वहीं माया कोडनानी से हुई थी.' इससे पहले माया कोडनानी ने भी यही बात कही थी. नरोदा गाम में सुबह 8.30 बजे के आसपास दंगा होने की बात कही जाती है. इस मामले में अमित शाह को इसलिए गवाह के तौर पर पेश किया गया क्योंकि उस वक्त वह भी बीजेपी विधायक थे.

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