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नई दिल्ली: दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन में कुछ पोस्टर लगाए गए हैं. आप ध्यान से देखेंगे तो इन पोस्टर्स में आपको Zee News के रिपोर्टर्स के चेहरे पर क्रॉस के निशान बने नजर आएंगे. क्रॉस का निशान घृणा और नफरत का प्रतीक माना जाता है और आंदोलन में Zee News के सहयोगियों के चेहरे पर भी ऐसे ही निशान बनाए गए हैं.
इनमें जो पहला पोस्टर है, उस पर लिखा है किसान भाइयों गोदी मीडिया से सावधान, ये सारे Zee News के गोदी पत्रकार हैं और दूसरे पोस्टर में लिखा है - 'आंखें खोलो पंजाब के सिंह, तुम्हारे घर में लुटेरे घुसेंगे.'
जब किसी छात्र को कक्षा में अपने शिक्षक की बातें कड़वी लगने लगती हैं तो वो छात्र उस शिक्षक के लिए अपने मन में घृणा पैदा कर लेता है. ये जाने बिना कि शिक्षक उसी का भला चाहता है और आप कह सकते हैं कि Zee News के साथ भी ऐसा ही हो रहा है. हम राष्ट्रीयता की बात करते हैं. हम सत्य की बात करते हैं. हम आधा सच नहीं बोलते, क्योंकि आधा सच ही सबसे बड़ा झूठ होता है.
किसान आंदोलन में भी हमने जो देखा, उसे ईमानदारी से आपको बताने की कोशिश की. हमने सत्य निष्ठा से पत्रकारिता की, लेकिन अब ऐसा लगता है कि कुछ लोगों को हमारी सच्ची पत्रकारिता पसंद नहीं आई और इसलिए उन्हें इस तरह के पोस्टर्स का सहारा लेना पड़ा. जरा सोचिए कि इस नाराजगी की वजह क्या होगी, यही कि हमने फरमाइशी पत्रकारिता नहीं की. हमने वो बातें नहीं बोलीं, जो ये मुट्ठीभर लोग सुनना चाहते थे. अगर हमसे कुछ गलती हुई है तो वो ये है कि हमने देश के सामने सच रखा. हमने किसान आंदोलन में देश विरोधी ताकतों की घुसपैठ का विरोध किया. हमने हर खबर को ईमानदारी से और सही जानकारी के साथ आप तक पहुंचाया.
असहनशीलता किसे कहते हैं, इसे समझने के लिए आज आप किसानों के आंदोलन में लगे ये पोस्टर्स देख सकते हैं. दुनिया में पहली बार 15वीं सदी में हाथ से बने पोस्टर्स का इस्तेमाल हुआ था. लेकिन समय के साथ पोस्टर्स का इस्तेमाल नफरत फैलाने के लिए भी होने लगा और इसका सबसे बड़ा उदाहरण कल आई तस्वीरें हैं.
किसानों के हितों को Zee News ने हमेशा से सबसे ऊपर रखा है. आंदोलन की शुरुआत से ही हम लगातार कहते आए हैं कि किसानों की समस्याओं और उनके डर को दूर किया जाना चाहिए. लेकिन ये दुर्भाग्य ही है कि जब हम किसानों की बात करते हैं, तब कोई हमें गोदी मीडिया नहीं कहता. तब इस तरह के पोस्टर्स नहीं लगाए जाते. लेकिन जब हम देशहित में पत्रकारिता करते हैं, देश विरोधी ताकतों का सच लोगों के सामने रखते हैं तो कुछ लोगों की असहनशीलता इतनी बढ़ जाती है कि वो विरोध करने लगते हैं.
बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध ने कहा था कि तीन चीजें ज़्यादा देर तक नहीं छिप सकतीं- सूर्य, चंद्रमा और सत्य. किसान आंदोलन में शामिल हुए कुछ लोग यही चाहते हैं कि हम सच न दिखाएं और ये कोई नई बात नहीं है. इससे पहले JNU में और शाहीन बाग में भी हमारे साथ ऐसा हो चुका है, जब हमने टुकड़े टुकड़े गैंग पर सच को पूरी निष्ठा और प्रमुखता के साथ दिखाया था. लेकिन तब भी हमारा विरोध हुआ था और आज भी हमारा कुछ लोग विरोध कर रहे हैं.
Zee News एक राष्ट्रवादी चैनल है. हम राष्ट्रवाद की भावना को सबसे ऊपर रखते हैं, हम देश के हितो को सर्वोपरि मानते हैं. हम चाहते हैं कि किसानों की जो दुर्दशा पिछले कई दशकों से है, उसमें बदलाव आना चाहिए. हम किसानों के साथ हैं. लेकिन हमारा मानना है कि कुछ लोगों ने किसान आंदोलन को अपने हितों के लिए इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है और असहनशीलता इसी की जड़ में है.
हालांकि किसान आंदोलन में भले ही हम कुछ लोगों के निशाने पर हों, लेकिन हमें गर्व है कि हमने तमाम विरोध के बावजूद किसानों की समस्याओं पर चर्चा जारी रखी.