Aditya L 1 Mission News: देश एक बार फिर एक और कामयाबी का इंतजार कर रहा है. इस दफा इसरो आदित्य मिशन को लांच करने वाला है. अगर किसी तरह की मुश्किल नहीं आई तो 2 सितंबर को पीएसएलवी रॉकेट सूरज की तरफ रवाना हो जाएगा.
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Aditya l 1 mission kya hai: चंद्रयान 3 मिशन की कामयाबी के बाद अब नजर आदित्य एल 1 मिशन पर है. 2 सितंबर 2023 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से आदित्य मिशन को लांच किया जाना है. इस मिशन को लेकर तरह तरह की जिज्ञासा आपके मन में उठ रही होगी कि इसे आदित्ययान, सूर्ययान और सूरजयान जैसे नाम क्यों नहीं दिया गया या इन नामों से हम क्यों नहीं पुकार रहे, इसके साथ ही यह भी सवाल होगा कि इस मिशन में कितना खर्च किया जा रहा है. इसे एल 1 ऑर्बिट में ही क्यों स्थापित किया जा रहा है. एल 1 आर्बिट की दूरी धरती से कितनी है. एल 1 आर्बिट तक पहुंचने में कितना समय लगेगा और वहां पहुंच कर आदित्य एल 1 क्या काम करने वाला है.
कम बजट में खास मिशन
आदित्य को एल 1 कक्षा में स्थापित क्यों किया जाएगा. इस सवाल से पहले दूसरे पक्ष को समझने की कोशिश करते हैं. आदित्य एल 1 का बजट करीब 378 करोड़ रुपए है. सूरज की जिस एल 1 कक्षा में इसे स्थापित किया जाएगा वो बिंदु धरती से करीब 15 लाख किमी दूर है. इस 15 लाख किमी की दूरी तय करने में आदित्य मिशन को करीब 125 दिन लगने वाले है. यानी कि चार महीने बाद एल 1 कक्षा में यह स्थापित हो जाएगा. आदित्य को पीएसएलवी रॉकेट के जरिए लांच किया जाएगा. यह मिशन पूरी तरह स्वदेशी है. अगर बात पेलोड्स डिजाइनिंग की करें तो बेंगलुरु स्थित इंडिन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स ने इसे डिजाइन किया है.
धरती की कक्षा के बाहर जाने वाला यह पांचवां मिशन
1.चंद्रयान 1- 22 अक्टूबर 2008
2.मार्स ऑर्बिटर मिशन- 5 नवंबर 2013
3.चंद्रयान 2- 22 जुलाई 2019
4.चंद्रयान 3- 14 जुलाई 2023
5.आदित्य एल 1 मिशन- 2 सितंबर 2023
ग्रहण से होगा बचाव
अब आदित्य एल 1 में और क्या कुछ खास है. इस मिशन में कुल सात पेलोड लगे हैं. जिसमें से चार सूरज की तरफ केंद्रित होंगे. इन पेलोड्स की मदद से सूरज से निकलने वाली विकरण का खास अध्ययन किया जाएगा. सूर्य के फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर और कोरोना को समझने में मदद मिलेगी. इसके अलावा 3 पेलोड एल 1 की कक्षा का अध्ययन करेंगे. इन सबके बीच एक और सवाल यह है कि आदित्य को एल 1 में क्यों स्थापित किया जाना है. जैसा कि हम सब जानते हैं कि सूर्य ग्रहण का दुनिया का हर हिस्सा कभी ना कभी गवाह बनता है लिहाजा ग्रहण की वजह से सूरज के अध्ययन में किसी तरह की दिक्कत ना आए उस लिहाज से एल 1 बिंदु का चयन किया गया है.