भारतीय क्रिकेट की अजीब गुत्थी, बेआबरू होकर क्यों निकलता है कप्तान?
Advertisement
trendingNow11048544

भारतीय क्रिकेट की अजीब गुत्थी, बेआबरू होकर क्यों निकलता है कप्तान?

भारतीय टीम की कप्तानी में आखिर ऐसा क्या है कि यहां से हर खिलाड़ी बेआबरू होकर ही निकला है. विराट कोहली (Virat Kohli) से पहले भी कई कप्तानों को अचानक कप्तानी से हाथ धोना पड़ा है.

भारतीय क्रिकेट की अजीब गुत्थी, बेआबरू होकर क्यों निकलता है कप्तान?

नई दिल्ली: भारतीय टीम की कप्तानी में आखिर ऐसा क्या है कि यहां से हर खिलाड़ी बेआबरू होकर ही निकला है. सचिन तेंदुलकर, जिन्हें क्रिकेट का भगवान कहा जाता है, उनसे भी इसी तरह टीम की कप्तानी छीनी गई थी.

  1. बेआबरू होकर विदा हुए क्रिकेट कप्तान
  2.  
  3. गांगुली-चैपल में भी हुआ था विवाद
  4. गावस्कर पर फेंके गए थे टमाटर

बेआबरू होकर विदा हुए क्रिकेट कप्तान

वर्ष 1996 के वर्ल्ड कप में भारत की हार के बाद उस समय के कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन को हटा दिया और ये जिम्मेदारी सचिन तेंदुलकर को मिल गई. सचिन सिर्फ़ एक साल तक ही कप्तान बने रहे और वर्ष 1997 में उनसे ये कप्तानी छीन ली गई. अपनी आत्मकथा Playing It My WAY में सचिन कहते हैं कि जब उनसे कप्तानी छीनी गई थी, तब उन्होंने अपमानित महसूस किया था. वे ये भी कहते हैं कि उन्हें कप्तानी से हटाने की ख़बर किसी पत्रकार के ज़रिए मिली थी. BCCI ने उन्हें सीधे ये बताना भी ज़रूरी नहीं समझा.

इसी तरह वर्ष 2005 से 2007 के बीच जब ऑस्ट्रेलिया के पूर्व खिलाड़ी Greg Chappell भारत की क्रिकेट टीम के हेड कोच थे, उस समय टीम में गुटबाजी काफ़ी बढ़ गई थी. इसकी वजह थी मौजूदा BCCI अध्यक्ष और उस समय टीम के कप्तान सौरव गांगुली से उनके मतभेद. Greg Chappell को हेड कोच बनाने की सिफारिश सौरव गांगुली ने खुद BCCI से की थी. हालांकि आरोप लगते हैं कि Chappell ने बाद में सौरव गांगुली का करियर खत्म करने की कोशिश की.

गांगुली-चैपल में भी हुआ था विवाद

वर्ष 2005 में जब भारत की टीम, Zimbabwe के दौरे पर गई थी, तब ये दौरा काफ़ी चर्चा में रहा था. उस समय पहले टेस्ट मैच में सौरव गांगुली ने पूरे दो साल के बाद एक शतक लगाया था. और इस मैच के बाद उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. जिसमें उन्होंने ये आरोप लगाया था कि इस मैच से पहले Chappell उन्हें कप्तान और टीम से हटाने के लिए राजनीति कर रहे थे. 
हालांकि इसके बाद Chappell ने BCCI को एक E-mail Letter लिखा था, जो बाद में लीक हो गया था. इसमें उन्होंने ये कहा था कि सौरव गांगुली आलसी हैं, वो Practice Session में नहीं आते और टीम के भविष्य को लेकर उनका रवैया काफ़ी नकारात्मक है. चैपल ने एक तरह से गांगुली पर ही राजनीति करने के आरोप लगा दिए थे. यानी गांगुली को भी बेआबरू होकर कप्तानी छोड़नी पड़ी थी.

धोनी से भी थे मतभेद

ऐसा कहा जाता है कि गांगुली और पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के बीच भी एक समय काफ़ी मतभेद थे. धोनी को कप्तानी मिलने के बाद टीम के चार बड़े सीनियर खिलाड़ियों को हटाने की बात सामने आई थी. इन्हें Big Four Player भी कहा जाता था. ये खिलाड़ी थे सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, सौरव गांगुली और VVS Laxman. वर्ष 2008 में जब गांगुली ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास का ऐलान किया, तब उन्होंने एक इंटरव्यू में धोनी पर कटाक्ष किया था. 

उन्होंने कहा था कि जो खिलाड़ी रन बनाते हैं, उन्हें तो BCCI महत्व नहीं देता. वहीं जो खिलाड़ी केवल अपने Hair Style को बदलता है, उसे बार बार मौके दिए जाते हैं. Hair Style से उनका मतलब धोनी से था, क्योंकि तब धोनी के Hair Style की काफ़ी चर्चा होती थी.

धोनी और सहवाग के भी थे चर्चे

इसी तरह की राजनीति और विवाद वर्ष 2009 में देखने को मिला, जब धोनी पर ये आरोप लगे कि वो फील्डिंग में तेज़ नहीं होने की वजह से सहवाग को टीम से बाहर करना चाहते हैं. बताया जाता है कि इसके बाद टीम में गुटबाज़ी बढ़ गई और मीडिया के सवालों से परेशान होकर धोनी ने 5 जून 2009 को ब्रिटेन के Trent Bridge में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी, जिसमें वो टीम के सभी खिलाड़ियों के साथ पहुंच गए थे. वो ये दिखाना चाहते थे कि टीम में कोई झगड़ा नहीं है. जबकि बाद में ऐसी ख़बरें आई थीं कि गौतम गम्भीर और सहवाग उनकी कार्यशैली से नाराज़ थे.

भारतीय क्रिकेट इतिहास के दो महान खिलाड़ियों सुनील गावस्कर और कपिल देव के बीच भी इस तरह की राजनीति पहले देखी जा चुकी है. वर्ष 1984-1985 के दौरान दिल्ली में खेले गए एक टेस्ट मैच में जब भारत.. इंग्लैंड से हार गया था, तब गावस्कर ने इसके लिए कपिल देव को ज़िम्मेदार बताया था. उन्होंने कहा था कि भारत ये मैच कपिल देव द्वारा खेले गए गैर-जिम्मेदराना शॉट से हारा, जिस पर वो आउट हो गए. 

गावस्कर पर फेंके गए थे टमाटर

गावस्कर के इस बयान के बाद ही कलकत्ता के टेस्ट मैच से कपिल देव को बाहर कर दिया गया था. हैरानी की बात ये है कि इस टेस्ट मैच में दर्शकों ने No Kapil, No Test के नारे लगाए थे और गावस्कर पर अंडे और सड़े हुए टमाटर भी फेंके गए थे. इसी के बाद सुनील गावस्कर ने कभी भी कलकत्ता के Eden Garden Stadium में ना खेलने की कसम खाई थी. और इस इस कसम को उन्होंने निभाया भी. 1986 में जब यहां भारत और पाकिस्तान के बीच मैच खेला गया तो उसमें गावस्कर नहीं थे. ये भारतीय क्रिकेट इतिहास की बहुत बड़ी घटना थी.

ये भी पढ़ें- कप्तानी के फैसले पर 'विराट' नाराजगी, इन वजहों से कोहली की अचानक हो गई विदाई

जैसे क्रिकेट के मैदान में दो टीमें होती हैं, ठीक उसी तरह इस ख़बर के बाद हमारा देश भी दो टीमों में बंट गया है. मोदी और अमित शाह का विरोध करने वाले लोग विराट कोहली का साथ दे रहे हैं जबकि उनके समर्थक BCCI का साथ दे रहे हैं. ये बंटवारा इसलिए हुआ है, क्योंकि BCCI के सचिव अमित शाह के बेटे जय शाह हैं और उन्हें BCCI के अध्यक्ष सौरव गांगुली का क़रीबी माना जाता है.

LIVE TV

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news