रेलवे स्टेशन के नाम हमेशा पीले बोर्ड पर ही क्यों लिखे जाते हैं? बेहद रोचक है इसकी वजह
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रेलवे स्टेशन के नाम हमेशा पीले बोर्ड पर ही क्यों लिखे जाते हैं? बेहद रोचक है इसकी वजह

अगर आपने भी कभी ट्रेन में सफर किया है, तो आपने नोटिस किया होगा कि रेलवे स्टेशन के नाम हमेशा पीले रंग के साइनबोर्ड पर ही लिखे होते हैं. आइए इसके पीछे की वजह बताते हैं.

प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली: भारतीय रेलवे (Indian Railway) दुनिया का चौथा और एशिया का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है. रोजाना करोड़ों लोग ट्रेन में सफर करते हैं. देश में कुल रेलवे स्टेशनों की संख्या 7349 है. अगर आपने भी कभी ट्रेन में सफर किया है, तो आपने नोटिस किया होगा कि रेलवे स्टेशन के नाम हमेशा पीले रंग के साइनबोर्ड (Railway Signboard) पर ही लिखे होते हैं. लेकिन शायद आपने कभी इस बात को जानने की कोशिश नहीं की होगी कि ऐसा क्यों होता है? आज हम आपको इसके पीछे की वजह बताने जा रहे हैं.

  1. रेलवे स्टेशन के नाम हमेशा पीले रंग के साइनबोर्ड पर ही लिखे होते हैं
  2. पीला रंग मुख्य रूप से सूर्य की चमकदार रोशनी पर आधारित है
  3. इसका कनेक्शन खुशी, बुद्धि और ऊर्जा से जुड़ा हुआ है

खुशी, बुद्धि और ऊर्जा से है सीधा कनेक्शन

आपको बता दें कि पीला रंग मुख्य रूप से सूर्य की चमकदार रोशनी पर आधारित है. पीले रंग का सीधा कनेक्शन खुशी, बुद्धि और ऊर्जा से जुड़ा हुआ है. भीड़भाड़ वाले इलाके में पीले रंग का बैकग्राउंड बाकी रंगों के मुकाबले काफी अच्छा काम करता है. इसके अलावा वास्तुशिल्प और मनोवैज्ञानिक कारकों को ध्यान में रखते हुए भी ज्यादातर इसी रंग का इस्तेमाल किया जाता है. पीले रंग के बैकग्राउंड पर काले रंग की लिखाई सबसे ज्यादा प्रभावशाली होती है, इसे साफतौर पर दूर से भी देखा जा सकता है.

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काफी दूर से दिख जाता है पीला रंग

इसके अलावा पीला रंग काफी चमकदार होता है जो ट्रेन के ड्राइवर को दूर से ही दिख जाता है. इसके साथ ही पीला रंग ठहरने का भी संकेत देता है. पीले रंग के बोर्ड ट्रेन के लोको पायलट को गति धीमी करने या सतर्क रहने का भी संकेत देते हैं. कई रेलवे स्टेशनों पर ट्रेनें नहीं रुकतीं, ऐसी ट्रेन के लोको पायलट स्टेशन में प्रवेश करने से लेकर बाहर निकलने तक काफी सतर्क रहते हैं और लगातार हॉर्न बजाते रहते हैं ताकि स्टेशन पर मौजूद यात्री सावधान हो जाएं.

लाल रंग के बाद पीले रंग की वेवलेंथ ही सबसे ज्यादा होती है. इसी वजह से स्कूल बसों को पीले रंग में रंगा जाता है. यही नहीं पीले रंग को बारिश, कोहरा या धुंध में भी पहचाना जा सकता है. पीले रंग का लैटरल पेरीफेरल विजन पीले रंग की तुलना में लगभग सवा गुना ज्यादा होता है.

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लाल रंग के बैकग्राउंड पर किया जाता है इस्तेमाल

इसके अलावा खतरे के बारे में बताने के लिए लाल रंग के बैकग्राउंड वाले साइनबोर्ड पर सफेद रंग के साथ-साथ पीले रंग से लिखाई की जाती है. लाल रंग में काफी चटख होता है, जिसकी वजह से खतरे को दूर से भांपा जा सकता है. सड़कों के अलावा रेल यातायात में लाल रंग का अच्छा-खासा इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा गाड़ी के पीछे भी लाल रंग की बत्ती ही लगाई जाती है, ताकि पीछे से आ रहे दूसरे वाहन उसे दूर से ही देख सकें.

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