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नई दिल्ली: राष्ट्रपति भवन में सोमवार को आयोजित हुए पदम श्री अवार्ड सेरेमनी में 126 साल के स्वामी शिवानंद राष्ट्रपति भवन के Red Carpet पर नंगे पैर चल कर आए. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को दंडवत प्रणाम किया.
ये तस्वीर भारत के एक आम आदमी की थी, जो झुककर धन्यवाद देना भी जानता है और जिसके सामने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति भी अपना सिर झुकाते हैं. हमारे देश में बहुत सारे लोग हैं, जो आम आदमी की ताकत को कम करके आंकते हैं और उसे कमज़ोर और गरीब समझते हैं.
इस देश का आम आदमी अगर ठान ले तो वो बिना पब्लिसिटी के कश्मीर फाइल्स जैसी फिल्म को सबसे बड़ी सुपर हिट बना सकता है. पांच राज्यों के चुनावों में नकली माहौल को एक्सपोज़ कर सकता है. वो बड़ी बड़ी कम्पनियों को भी घुटनों पर लाने की ताक़त रखता है.
भारत में Construction के नाम पर आम लोगों के धैर्य का इम्तिहान कब तक लिया जाएगा. हम आपको देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) की ऐसी तीन जगहों के बारे में बताते हैं, जहां महीनों का काम कई वर्षों में भी पूरा नहीं हुआ है. दिल्ली के लोग पिछले कई सालों से इस Traffic Jam को झेल रहे हैं लेकिन सरकार सुनने का नाम नहीं ले रही.
चीन ने वर्ष 2020 में कोरोना महामारी से निपटने के लिए सिर्फ 10 दिन में एक हजार बेड का अस्पताल बना लिया था. वहीं देश की राजधानी दिल्ली में पिछले दो साल 3 महीने से सिर्फ 410 मीटर लम्बे अंडरपास को बनाने का काम किया जा रहा है. ये प्रोजेक्ट अब तक पूरा नहीं हो पाया है. दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया मंगलवार को इस अंडरपास का उद्घाटन करने वाले थे लेकिन काम पूरा न होने की वजह से उसे बाद में टाल दिया गया.
दिल्ली सरकार ने दिसंबर 2019 में इस अंडरपास को बनाने का काम शुरू किया था. तब दिल्ली सरकार के PWD विभाग ने कहा था कि ये प्रोजेक्ट केवल एक साल में पूरा हो जाएगा और दिसम्बर 2020 में इसे आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा. दिसम्बर 2020 की तारीख़ तो आई लेकिन इस अंडरपास का काम 30 प्रतिशत भी पूरा नहीं हुआ. इसके बाद दिल्ली सरकार ने एक और नई तारीख़ दी और ये सिलसिला ऐसे ही चलता रहा. अब तक कुल 6 बार इस अंडरपास का उद्घाटन समारोह टाला जा चुका है.
वर्ष 1993 में एक फिल्म आई थी, दामिनी. इस फिल्म में वकील का किरदार निभाने वाले अभिनेता सनी देओल, जज से कहते हैं कि उन्हें अदालत से तारीख़ पर तारीख़ मिलती है लेकिन इंसाफ़ नहीं मिलता. यही आज हमारे देश के आम लोगों के साथ हो रहा है. उन्हें हर बार एक नई तारीख़ दे दी जाती है लेकिन उस तारीख़ पर भी ये प्रोजेक्ट पूरे नहीं हो पाते. इसकी वजह से लोगों को घंटों ट्रैफिक जाम में संघर्ष करना पड़ता है. यानी आज भी सरकारें हमारे देश के आम लोगों की ताकत को कम करके आंकती हैं. उन्हें लगता है कि इन प्रोजेक्ट में चाहे जितना समय निकल जाए, आम लोग कभी कुछ नहीं कहेंगे और वो सहनशील बने रहेंगे.
दिल्ली का आश्रम आज की तारीख़ में इतना अशांत हो चुका है कि यहां लाखों गाड़ियां घंटों जाम में फंसी रहती हैं. एक अनुमान के मुताबिक़, यहां हर दिन 3 लाख गाड़ियों की आवाजाही होती है. इस दौरान 24 घंटे और सातों दिन जाम की स्थिति बनी रहती है.
इसी तरह की स्थिति दिल्ली के लोधी रोड इलाके के पास भी है, जहां लोगों को 600 मीटर की दूरी तय करने के लिए 30 से 40 मिनट तक ट्रैफिक जाम में फंसे रहना पड़ता है. चार महीने पहले इस इलाक़े में कंस्ट्रक्शन के दौरान दिल्ली जल बोर्ड की एक पाइपलाइन फटने से सड़क धंस गई थी. लेकिन आज चार महीने के बाद भी इसकी मरम्मत का काम पूरा नहीं हो पाया है. यहां हर रोज इसी तरह लोग घंटों जाम में फंसे रहते हैं. इसका काम भी दिल्ली सरकार को कराना था.
इसी तरह के दिल्ली के प्रगति मैदान पर लगभग डेढ़ किलोमीटर लम्बी 6 Lane की टनल बनाई जा रही है. इस टनल को बनाने का काम वर्ष 2017 में शुरू हुआ था और प्रोजेक्ट को पूरा करने की Deadline मार्च 2019 रखी गई थी. अब 2022 चल रहा है लेकिन ये टनल अब तक नहीं बन पाई है. अब तो दिल्ली के लोगों ने भी ये कहना शुरू कर दिया है कि प्रगति मैदान के पास टनल नहीं बल्कि बीरबल की खिचड़ी बन रही है, जो बन कर तैयार होने का नाम ही नहीं ले रही. ये टनल भी दिल्ली का PWD विभाग बना रहा है.
दिल्ली के लोगों को सरकार से सवाल पूछना चाहिए कि आखिर जो Projects महीनों में पूरे हो जाने चाहिए थे, वो वर्षों के बाद भी अधूरे क्यों पड़े हैं? एक तरफ़ दिल्ली का PWD विभाग इन Projects को वर्षों के बाद भी पूरा नहीं कर पाया है. वहीं दूसरी तरफ़ दिल्ली में ही केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने नैशनल हाइवे नम्बर 8 के तहत आने वाले एक Flyover को बनाने में एक नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया है.
दिल्ली के धौला कुंआ जंक्शन पर बने इस Flyover को सिर्फ 136 दिनों में तैयार किया गया है. इससे पहले केन्द्रीय परिवहन मंत्रालय ने 2021 में भी एक World Record बनाया था. इसमें महाराष्ट्र के सोलापुर से बीजापुर तक 25 किलोमीटर लंबी सड़क सिर्फ 24 घंटे में बनाई गई थी, जो कि एक World Record है.
दिल्ली में हर 10 में से 9 Ambulance ट्रैफिक जाम में फंसने की वजह से अस्पताल समय पर नहीं पहुंच पाती. इसी तरह हर 10 में से 6 लोग जाम में फंसने से अपने दफ्तर पहुंचने में लेट हो जाते हैं. दिल्ली में हर व्यक्ति पूरे साल में सात दिन केवल ट्रैफिक जाम में बिता देता है. इसके अलावा एक सर्वे में दिल्ली के 66 प्रतिशत लोगों ने माना था कि जब किसी अंडरपास या Flyover के निर्माण के लिए किसी सड़क को बन्द किया जाता है तो उसी दिन से वो ये मान लेते हैं कि अब चार पांच साल तक ये सड़कें खुलने वाली नहीं है.
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इसलिए ये लोग या तो अपना रास्ता बदल लेते हैं या कुछ मामलों में लोगों ने अपनी नौकरियां तक बदली हैं. यानी लोग भी अब ये समझ चुके हैं कि अगर उन्होंने इन प्रोजेक्ट्स के पूरे होने का इंतज़ार किया तो वो जीवन में केवल इंतजार ही करते रह जाएंगे. हालांकि, ऐसा भी नहीं है कि ये समस्या सिर्फ दिल्ली तक सीमित है.
भारत के शहरी इलाक़ों में हर साढ़े 6 किलोमीटर पर एक सड़क को किसी ना किसी प्रोजेक्ट के लिए बन्द किया गया है. बड़ी बात ये है कि प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद भी इन सड़कों की महीनों तक मरम्मत नहीं होती. अकेले दिल्ली में 24 प्रतिशत से ज्यादा ऐसी सड़कें हैं, जिन्हें पिछले 5 साल में अलग अलग प्रोजेक्ट के लिए चार बार से ज्यादा बंद किया गया है.
हमारे देश पर अंग्रेजों ने 200 साल तक राज किया और देश की जनता पर बहुत अत्याचार किए. आज़ादी के बाद हमारे देश पर बड़े बड़े नेताओं ने राज किया और देश की जनता को सिर्फ़ वोट देने वाली मशीन बना कर छोड़ दिया. सरकारों ने कभी भी इस तरह की कोई व्यवस्था बनने ही नहीं दी, जिसमें जनता भी सरकार के कामकाज का हिसाब ले सके और एक प्राइवेट कम्पनी की तरह बेहतर सेवाओं की मांग कर सके. हमारे देश में सड़क और पुल बनाने जैसी कोई भी योजना, कई कई साल तक ऐसे ही अधूरी पड़ रहती है और देश की जनता उसकी वजह से अपने जीवन के कई साल Traffic Jam में खड़े-खड़े बर्बाद कर देती है. लेकिन इस पर कभी कोई बात नहीं होती.
विदेशों में सड़कों में गड्ढे नहीं होते. हमारे देश में सड़के बनाने में इतना भ्रष्टाचार है कि सड़कें एक बरसात में धंस जाती है. इस पर कोई बात तक नहीं होती. नेता ये तो बड़ी आसानी से कह देते हैं कि वो मुम्बई को शंघाई और दिल्ली को पेरिस बना देंगे. लेकिन सच क्या है आप देख सकते हैं.
दिल्ली के लोग इतने सहनशील हैं कि पहले शाहीन बाग की वजह से सड़कें बन्द रही. फिर किसान आन्दोलन की वजह से एक साल तक दिल्ली की सीमाएं बन्द रही है. अब सरकार भी अपने प्रोजेक्ट्स को पूरा नहीं कर पा रही है.
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