कोरोना से ठीक होने के बाद भी अस्पतालों के चक्कर क्यों काट रहे हैं पीड़ित?
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कोरोना से ठीक होने के बाद भी अस्पतालों के चक्कर क्यों काट रहे हैं पीड़ित?

भारत में 30 लाख से ज़्यादा लोग कोरोना संक्रमण के शिकार हो चुके हैं. इसमें से 23 लाख लोग इस वायरस को मात भी दे चुके हैं. लेकिन एक्सपर्ट्स की मानें तो जो लोग कोरोना से ठीक हो गए है. उन्हें भी इस बीमारी से जुड़ी दूसरी समस्याओं से छुटकारा नहीं मिल पा रहा है.

फाइल फोटो

नई दिल्ली:  भारत में 30 लाख से ज़्यादा लोग कोरोना संक्रमण के शिकार हो चुके हैं. इसमें से 23 लाख लोग इस वायरस को मात भी दे चुके हैं. लेकिन एक्सपर्ट्स की मानें तो जो लोग कोरोना से ठीक हो गए हैं. उन्हें भी इस बीमारी से जुड़ी दूसरी समस्याओं छुटकारा नहीं मिल पा रहा है. ऐसे लोग अब अपनी समस्याओं  को लेकर अस्पताल पहुंच रहे हें.

  1. फेफड़ों से सांस छीन रहा कोरोना 
  2. क्या शरीर में हमेशा रहेगा कोरोना वायरस का असर?  
  3. मानसिक बीमारियों से भी जूझ रहे हैं कोरोना पीड़ित

कोरोना से ठीक होने के बाद करीब 5 प्रतिशत मरीज दोबारा से अस्पताल पहुंच रहे हैं
दिल्ली एनसीआर में डॉक्टर्स  की मानें तो वायरस से ठीक होने के बाद लगभग 5  प्रतिशत मरीज़ एक बार किसी न किसी समस्या को लेकर वापस अस्पताल का रुख कर रहे हैं.  इसमें से कोरोना से ठीक हुए मरीज़ सबसे ज़्यादा सांस लेने की तकलीफ से परेशान हैं. कोरोना उनके लंग्स ( LUNGS ) पर इस कदर असर कर चुका है कि कोरोना निगेटिव होने के बाद भी अब वो पहले वाली जिंदगी पर नहीं लौट पा रहे हैं.  

पिछले ही दिनों कोरोना वायरस के गढ़ वुहान से भी ऐसी चौकाने वाली बातें सामने आई. वहां कोरोना से रिकवर होने वाले 100 में से 90 लोगों के फेफड़ों में खराबी देखी जा रही है. सरकारी चीनी मीडिया ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक वुहान के एक बड़े अस्पताल में कोरोना से उबरने वाले मरीजों के एक समूह की जांच की गई. जांच में 90 मरीजों में फेफड़े खराब होने की बात सामने आई है और अब वैसा ही भारत में भी मरीज़ो में देखने को मिल रहा है.

कोरोना से ठीक होने के बाद हो रही है सांस लेने की समस्या
भारत में कोरोना से ठीक हुए ज़्यादातर लोगों के फेफड़ों में ऑक्सीजन का फ्लो अब स्वस्थ लोगों की तरह नहीं हो पा रहा है. डॉक्टर्स के अनुसार कोरोना वायरस से उनके फेफड़े इस तरह कमज़ोर हो गए हैं कि उन्हें इस समस्या से काफी लम्बे समय तक गुज़रना पड़  सकता है. इस समस्या की वजह से मरीजों को सांस लेने में कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है. वहीं फेफड़ों के सिकुड़ने की समस्या भी सामने आती है. इसके चलते लोगों के फेफड़े एक्सरे में काले नजर आते हैं.  लेकिन कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज के फेफड़े सफेद हो जाते हैं. इसका पता एक्सरे या सीटी स्कैन से चलता है. एक स्टडी के अनुमान के अनुसार  कोरोना से  संक्रमित करीब 60 प्रतिशत मरीजों की मौत फेफड़े फेल होने से हुई है.

हालात इतने बिगड़े कि फेफड़े बदलने पड़ गए 
एक महीने पहले ही अमेरिका (America) के सर्जनों ने कोरोना वायरस (Coronavirus) के कारण एक महिला के खराब फेफड़ों का प्रत्यारोपण (Lung Transplant) किया. अमेरिका में कोरोना संकट काल में यह पहली सफल सर्जरी थी. कोरोना की वजह से उस मरीज के फेफड़े खराब हो गए थे. उत्तर प्रदेश के मेरठ में जन्मे भारतीय मूल के डॉक्टर अंकित भारत के नेतृत्व में सर्जनों ने शिकागो के नॉर्थ वेस्टर्न मेडिसिन अस्पताल में सफल सर्जरी की. फेफड़ा प्रतिरोपण (Lung Transplant) होना ही उसके जीवित रहने का एकमात्र विकल्प था. महिला की उम्र करीब 20-25 साल थी और अब पूरी तरह स्वस्थ है.

दिल और दिमाग पर भी हावी हो जाता है कोरोना 
कोरोना वायरस लंग्स पर असर करने के साथ ही दिल और दिमाग पर भी हमेशा के लिए छाप छोड़ रहा है. ह्रदय विशेषज्ञ बताते हैं कि कोरोना संक्रमण में खून के थक्के जमने लगते हैं. जिससे ऑक्सीजन का स्तर तेजी से गिरने लगता है. हार्ट को शरीर में खून की सप्लाई करने में अधिक पंपिंग करनी पड़ती है. ऊपर से वायरस का संक्रमण हार्ट की मांसपेशियों में सूजन बढ़ा देता है. खून के थक्के बनने से मांसपेशियां कमजोरी होने लगती हैं. इससे हाई अटैक का खतरा बढ़ जाता है. इन मरीजों की एंजियोग्राफी में हार्ट की धमनियां सामान्य होती हैं, लेकिन लक्षण हार्ट अटैक के होते हैं. पर इतना कुछ बीमारी के दौरान सहने के बाद शरीर वापस पुराने स्थिति में पहुंचने में काफी  लम्बा समय लग सकता हैं .

मानसिक बीमारियों से भी जूझ रहे हैं कोरोना पीड़ित
 कोरोना से ठीक होने के बावजूद कई लोगों को मानसिक परेशानियां हो रही हैं. इन मानसिक बीमारियों में ऐंग्जाइटी (Anxiety), इंसोमनिया (Insomnia), डिप्रेशन (Depression) और ओब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (OCD) और पोस्ट ट्रोमेटिक स्ट्रेस डिस्ऑर्डर (PTSD) जैसी समस्याएं देखने को मिल रही हैं.  ज्यादातर रोगियों में नींद ना आने की समस्या सबसे अधिक देखी जा रही है. इस स्थिति में ये लोग हर समय बेचैनी का अनुभव करते हैं.

मानसिक रोग की क्या है वजह 
अब सवाल यह उठता है कि कोरोना वायरस के कारण शरीर के अंदर ऐसा क्या होता है जो मानसिक रोगों की वजह बन रहा है. इसकी एक संभावित वजह यह है कि कोविड-19 के कारण हमारे फेफड़ों (Lungs) में सूजन आती है. धीरे-धीरे यह शरीर के अन्य अंगों की तरफ भी बढ़ने लगती है. जिन रोगियों में यह सूजन (Inflammation) दिमाग तक पहुंच जाती है. उनके ब्रेन की कार्यप्रणाली में बाधा उत्पन्न होती है और उन्हें अलग-अलग तरह की मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

दिल्ली में खोले जा रहे हैं पोस्ट कोविड सेंटर

इस समस्या को देखते हुए  दिल्ली में अब कोरोना संक्रमण से ठीक हुए लोगो के लिए पोस्ट कोविड सेंटर खोले जा रहे है. कोरोना को मात देने के बाद अगर मरीज में किसी तरह की समस्या आ रही है तो वह यहां आ सकता है. यहां पर काउंसिलिग, योग और फिजियोथैरेपी की भी व्यवस्था की गई है.

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