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नई दिल्ली: क्या आपके मन में कभी सवाल आया है कि भारत में इतने लोगों को भारतीय रेल में नौकरी क्यों चाहिए? इसका पहला और प्रमुख कारण है, बेरोजगारी. भारत के पास जो युवा शक्ति है, अगर उसके पास रोजगार नहीं होगा तो ये समस्या आती रहेगी. इसलिए भारत सरकार को इन युवाओं के बारे में सोचना चाहिए और इनकी क्षमता के मुताबिक नए योजनाएं लानी चाहिए. दूसरा कारण है, भारत में 12वीं कक्षा पास करने वाले छात्रों और ग्रेजुएट छात्रों की लगातार बढ़ती संख्या. पिछले 2 दशकों में भारत में Graduation की पढ़ाई करने वाले छात्रों की संख्या चार गुना तक बढ़ चुकी है.
वर्ष 2000 में भारत में 86 लाख छात्रों ने Graduation की डिग्री हासिल की थी. जबकि 2016 में एक साल में ग्रेजुएट होने वाले छात्रों की संख्या 3 करोड़ 46 लाख पहुंच गई थी और आज हर साल लगभग 4 करोड़ छात्र ग्रेजुएट होकर नौकरी की तैयारी में जुट जाते हैं. इसी तरह भारत में हर साल 12वीं कक्षा पास करने वाले छात्रों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है. वर्ष 2000 में 99 लाख छात्र 12वीं कक्षा में पास हुए थे. जबकि 2016 में 12वीं कक्षा पास करने वाले छात्रों की संख्या लगभग ढाई करोड़ थी और अब हर साल लगभग तीन करोड़ बच्चे 12वीं पास करके नौकरी या उच्च शिक्षा में जाते हैं. इससे पता चलता है कि भारत में ऐसे छात्रों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जो सरकारी नौकरियों के योग्य होते हैं. उदाहरण के लिए, 2016 में जो 3 करोड़ 46 लाख छात्र ग्रेजुएट हुए थे, वो 2018 में रेलवे द्वारा निकाली गई 90 हजार नौकरियों के लिए पूरी तरह योग्य थे.
हालांकि यहां समस्या ये है कि, भारत में जिन छात्रों के पास Graduation की डिग्री है, उनमें से काफी छात्र Skilled नहीं है. हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में इस समय 54 प्रतिशत Graduate छात्र ऐसे हैं, जो Skilled नहीं हैं और यही वजह है कि ऐसे छात्र भारतीय रेल की नौकरियों के लिए ज्यादा प्रयास करते हैं. वो इसलिए क्योंकि, इसमें कठिन परीक्षा नहीं है, खास Skills की जरूरत नहीं होती और ये Non Technical Jobs होती हैं और सबसे बड़ी बात ये पक्की नौकरी होती हैं. यानी ये वो छात्र हैं, जिनके पास डिग्री तो है, लेकिन उनकी इस डिग्री का प्राइवेट सेक्टर में ज्यादा महत्व नहीं है और इसीलिए वो सरकारी नौकरी की तरफ जाते हैं
इसे आप कुछ आंकड़ों से समझ सकते हैं. रेलवे के 12 लाख कर्मचारियों को चार ग्रुप्त में बांटा गया है, A, B, C और D. A और B ग्रुप के कर्मचारियों को कठिन परीक्षाएं देनी पड़ती हैं और ये Technical और Management Jobs होती हैं. जैसे इंजीनियर के पद पर और अफसर की नौकरी के लिए. आपको जानकर हैरानी होगी कि भारतीय रेल के 12 लाख कर्मचारियों में A और B ग्रुप के केवल 1.2 प्रतिशत कर्मचारी हैं. जबकि लगभग 92 प्रतिशत कर्मचारी, ग्रुप सी के हैं. ग्रुप C यानी वो नौकरियां, जो Non Technical होती हैं.
इस समय भारतीय रेल, सरकार द्वारा मिलने वाली बजट पर काफी निर्भर होती है. लेकिन उसे अपना Revnue बढ़ाने की जरूरत है. इस समय अगर रेलवे 100 रुपये कमाता है तो उसमें लगभग 96 रुपये खर्च हो जाते हैं. इन 96 रुपये में से लगभग 64 रुपये रेलवे को अपने कर्मचारियों को वेतन और पेंशन देने के लिए खर्च करने पड़ते हैं. यानी इस हिसाब से भारतीय रेल के सामने Infrastructure को बेहतर बनाने के लिए ज्यादा पैसा बचता ही नहीं है और ये कहानी सिर्फ, भारतीय रेल की नहीं है. एयरलाइन के बिजनेस में भी भारत सरकार ये घाटा उठा चुकी है और एयर इंडिया इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. एयर इंडिया को भी हमारे देश ने Job Provider बना दिया था और इसमें लगभग 10 हजार सरकारी कर्मचारी काम कर रहे थे.
हालांकि भारतीय रेल इस सवाल से नहीं बच सकता कि नौकरियां देने में इतने साल कैसे लग सकते हैं? भारत में करीब 47 करोड़ लोग, किसी ना किसी तरह की नौकरी करते हैं. लेकिन इनमें से सिर्फ 2 करोड़ 80 लाख, यानी साढ़े तीन प्रतिशत लोग ही सरकारी नौकरियों में हैं. हालांकि सरकारी नौकरी हासिल करने का सपना देखने वालों की संख्या इससे कहीं ज्यादा है. ये विडंबना ही है कि हमारे देश में लोग अक्सर सरकार की आलोचना करते हैं, उसे नाकाम बताते हैं और हमेशा सरकार से नाराज रहते हैं. लेकिन फिर यही लोग नौकरी भी सरकारी ही करना चाहते हैं.
भारत में बहुत सारे लोग परीक्षा देकर, पैसे देकर या किसी नेता, सांसद, या विधायक से पहचान के दम पर किसी भी तरह से सरकारी नौकरी पाना चाहते हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि सरकारी नौकरियों में काम के घंटे तय होते हैं और ज्यादातर सरकारी कर्मचारियों को तय घंटों से ज्यादा काम नहीं करना पड़ता. हालांकि इसमें कुछ अपवाद भी हैं. दूसरी वजह ये है कि सरकारी नौकरी, प्राइवेट नौकरी के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित होती है. सरकारी नौकरी से निकाले जाने की संभावनाएं बहुत कम होती हैं, जबकि प्राइवेट सेक्टर में आपकी नौकरी सिर्फ तब तक चलती है, जब तक आप ईमानदारी से अपना काम करते हैं.
सरकारी नौकरियों में तनख्वाह भी अच्छी होती है और दूसरे भत्ते भी मिलते हैं. समय पर छुट्टियां भी मिल जाती है, घर खरीदने के लिए आसानी से लोन मिल जाता है और बीमा और पेंशन जैसी सुविधाएं भी मिलती हैं. इसके अलावा निश्चित समय पर आपकी सैलरी बढ़ जाती है, चाहे काम में आपका प्रदर्शन औसत ही क्यों ना हो, जबकि प्राइवेट सेक्टर में लोगों को सैलरी में Increament के लिए जी तोड़ मेहनत करनी पड़ती है. सरकारी नौकरियों की चाहत के पीछे एक बड़ी वजह रिश्वत भी है. सरकारी नौकरी में अगर पैसा कम भी हो, तब भी कई कर्मचारी रिश्वत लेकर अच्छा खासा पैसा कमा लेते हैं. वर्ष 2019 में हुए एक सर्वे में हर दो में से एक भारतीय ने माना था कि उन्होंने अपना काम करवाने के लिए सरकारी कर्मचारियों को रिश्वत दी है. यानी सरकारी नौकरी में ऊपर की कमाई की संभावना बनी रहती है.\
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