क्‍या हर राज्‍य के स्‍कूलों में भगवत गीता पढ़ाई जानी चाहिए? केंद्रीय मंत्री ने दिया सुझाव
Advertisement
trendingNow11130741

क्‍या हर राज्‍य के स्‍कूलों में भगवत गीता पढ़ाई जानी चाहिए? केंद्रीय मंत्री ने दिया सुझाव

Bhagwat Gita in school syllabus: गुजरात और कर्नाटक के स्कूलों में भगवद गीता पढ़ाने के फैसले पर सोशल मीडिया पर भी समर्थन और विरोध देखने को मिला है. कई लोगों ने सरकार के इस फैसले की तारीफ की तो कुछ ने कहा जब स्कूलों में हिजाब पर प्रतिबंध हो सकता है तो गीता क्यों पढ़ाई जा रही है?

सांकेतिक तस्वीर

Bhagwat Gita in school syllabus: गुजरात की सरकार ने नए शिक्षण सत्र से माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों के सिलेबस में भगवत गीता (Bhagwat Gita) को शामिल करने का फैसला किया है. इस फैसले के तहत शैक्षणिक सत्र 2022-23 से कक्षा 6 से 12वीं तक के पाठ्यक्रम में भगवद गीता शामिल होगी. इस फैसले को लेकर सोशल मीडिया से लेकर कांग्रेस के नेता मुखर होकर अपनी राय रख रहे हैं. 

  1. स्कूलों में गीता की शिक्षा देने का फैसला
  2. गुजरात सरकार के बाद कर्नाटक में विचार
  3. सोशल मीडिया पर भी विरोध और समर्थन

गुजरात सरकार की तैयारी

गुजरात के शिक्षा मंत्री जीतू वाघानी ने हालिया बजट सत्र के दौरान भगवद गीता को सिलेबस का हिस्सा बनाने का ऐलान किया था. वाघानी के मुताबिक इस फैसले का मकसद छात्रों को भारत की समृद्ध और विविधतापूर्ण संस्कृति के बारे में जानकारी देना है. आपको बता दें कि अब 6वीं से 8वीं क्लास तक गीता नैतिक शिक्षा का हिस्सा होगी. वहीं कक्षा 9 से 12 तक यह प्रथम भाषा में किताबों में शामिल होगी. भगवद गीता के लिए अलग से कोई विषय नहीं रखा जाएगा, बल्कि कई विषयों में इसके पाठ जोड़े जाएंगे. भगवद गीता के मूल्यों और उसूलों को स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति के भी अनुरूप है. 

गीता पर होंगी प्रतियोगिता

गुजरात में इसी के साथ पाठ्यक्रम के अनुरूप स्कूलों में भगवद गीता पर आधारित विभिन्न प्रतियोगिताएं रखी जाएंगी. इसमें श्लोक, ड्राइंग, निबंध, प्रश्नोत्तरी, नाटक आदि को शामिल किया जाएगा और इसी पर आधारित स्ट्डी मटीरियल दिया जाएगा.

ये भी पढ़ें- 'हिजाबी' प्रदर्शनकारी छात्राओं को फिर लगा जोरदार झटका, कर्नाटक सरकार ने लिया ये बड़ा फैसला

केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी का सुझाव

गुजरात सरकार के ऐलान के बाद कर्नाटक सरकार भी भगवद गीता को स्कूली सिलेबस में शामिल करने पर विचार कर रही है. कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा है कि इस मामले पर फिलहाल राज्य के मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई के साथ चर्चा की जा रही है. वहीं केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सुझाव दिया है कि गुजरात की तरह हर राज्य को स्कूलों में भगवत गीता पढ़ाने पर विचार करना चाहिए. उन्होंने न्यूज़ एजेंसी एएनआई को बताया, 'भगवद गीता हमें नैतिकता सिखाती है. यह हमें समाज कल्याण के प्रति हमारे कर्तव्यों के बारे में बताती है. इसमें कई नैतिक कहानियां हैं, जो हमारे छात्रों को प्रेरित कर सकती हैं. हर राज्य सरकार को इस फैसले के बारे में सोचना चाहिए.'

क्या ऐसा होना संभव है?

गुजरात और कर्नाटक के स्कूलों में भगवद गीता पढ़ाने के फैसले पर सोशल मीडिया पर भी समर्थन और विरोध देखने को मिला. कई लोगों ने सरकार के इस फैसले की तारीफ की तो वहीं कई लोगों ने इसे गलत फैसला बताया. कई ने यह बात भी कही कि जब स्कूलों में हिजाब पर प्रतिबंध हो सकता है तो गीता क्यों पढ़ाई जा रही है. कुछ लोगों ने ये भी आशंका जाहिर की है कि सरकार के ताजा फैसले का असर बच्चों के दिमाग पर पड़ेगा और धार्मिक भावनाओं को लेकर विवाद पैदा हो सकते हैं.

संविधान का हवाला

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता सिद्धारमैया ने मीडिया से कहा, 'स्कूलों में भगवद गीता पढ़ाने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन हमारे धर्मनिरपेक्ष संविधान का क्या? चाहे वे भगवद गीता पढ़ाएं, कुरान या बाइबिल, हमें कोई आपत्ति नहीं है. हम चाहते हैं कि छात्रों को इस प्रतिस्पर्धी दुनिया में मांग को पूरा करने के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले. बच्चों को घर पर भी भगवद गीता, रामायण और महाभारत पढ़ाया जाता है.' उन्होंने आगे कहा कि किसी को भी संविधान के खिलाफ कार्रवाई नहीं करनी चाहिए.

वहीं कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री के रहमान खान ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'भारत अनेक धर्मों का एक विविधता वाला देश है. सभी धार्मिक पुस्तकें धर्म की शिक्षा देती है. आप ऐसा नहीं कह सकते कि गीता ही धर्म और भारतीय संस्कृति की शिक्षा देती है. छात्रों को सभी धार्मिक किताबें पढ़ानी चाहिए.'

 

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news