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Prashant Kishor News: चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर कांग्रेस (Congress) का 'हाथ' थामने जा रहे हैं. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) और दूसरे बड़े नेताओं के साथ मीटिंग के बाद यह लगभग तय है कि प्रशांत पार्टी में शामिल होंगे. लगातार हार से हताश कांग्रेस को प्रशांत किशोर से काफी उम्मीदें हैं. उन्होंने कांग्रेस के लिए आगे का रोडमैप भी तैयार किया है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या प्रशांत 2024 तक कांग्रेस को इस काबिल बना पाएंगे कि वो भाजपा को टक्कर देने की स्थिति में पहुंच जाए?
मौजूदा वक्त में कांग्रेस अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. उसका दायरा लगातार सिमटता जा रहा है. हताशा और शीर्ष नेतृत्व को लेकर चल रहे विवाद की वजह से कई दिग्गज नेता पार्टी छोड़ चुके हैं और आने वाले समय में कई और ऐसा कर सकते हैं. पिछले पांच साल में सबसे ज्यादा नेता अगर किसी पार्टी ने खोए हैं तो वह कांग्रेस है. राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की कोर टीम भी पूरी तरह बिखर चुकी है. ज्योतिरादित्य सिंधिया और जितिन प्रसाद पहले ही ‘कमल’ का दामन थाम चुके हैं. ऐसे में क्या महज दो सालों में प्रशांत किशोर सबकुछ दुरुस्त कर पाएंगे?
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कांग्रेस ने उन्हें पार्टी को रिवाइव करने की जिम्मेदारी तो सौंपी है, मगर क्या वास्तव में प्रशांत किशोर (PK) को फ्रीहैंड होगा और क्या गांधी परिवार (Gandhi Family) उनके सुझावों पर अमल करेगा? ये सवाल भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं. कांग्रेस में अध्यक्ष पद को लेकर खींचतान है. पार्टी के भीतर भी यह मांग जोर पकड़ने लगी है कि कांग्रेस की कमान अब गांधी परिवार से छीनी जाए, ऐसे में PK के लिए नाराज नेताओं को उसी नेतृत्व तले एकजुट करना आसान नहीं होगा.
प्रशांत किशोर के लिए पार्टी के असंतुष्ट नेताओं को मनाना सबसे मुश्किल काम होगा. खासकर G-23 गुट, जो पार्टी नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है. गौर करने वाली बात ये भी है कि जब PK और दूसरे कांग्रेसी नेताओं की बैठक चल रही थी, तब वहां इस गुट का कोई नेता शामिल नहीं था. इससे सीधा संकेत मिलता है कि जी-23 गुट पीके को पचा नहीं पाएगा.
देश के राजनीतिक नक्शे में कांग्रेस का दायरा लगातार सिकुड़ता जा रहा है. हालांकि अब भी देशभर में उसके 700 से ज्यादा विधायक हैं. हाल ही में हुए विधान सभा चुनावों के बाद BJP के पास जहां 1,314 सीटें हैं, वहीं, कांग्रेस का 750 सीटों पर कब्जा है. पार्टी के हाथ से पंजाब भी फिसल गया है, जहां उसे जीत की पूरी उम्मीद थी. PK को भले ही बदलाव का भरोसा हो, मगर एक्सपर्ट्स की नजर में फिलहाल कांग्रेस ऐसी स्थिति में नहीं दिखती कि BJP को आम चुनाव में हरा दे.
वैसे राजनीति में कब क्या हो जाए, कहा नहीं जा सकता. प्रशांत किशोर ने उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर जो आकलन किया था, वो सटीक रहा. पीके ने कांग्रेस का नाम लिए बिना कहा था कि जो लोग या पार्टियां यह सोच रही हैं कि 'ग्रैंड ओल्ड पार्टी' के सहारे विपक्ष की तुरंत वापसी होगी, वे गलतफहमी में हैं. उनको निराशा ही हाथ लगेगी और वही हुआ. PK को अच्छे से पता है कि कांग्रेस में कहां-कहां सुधार की जरूरत है, लेकिन सुधार से जुड़े उनके सुझावों पर अमल केवल तभी होगा जब शीर्ष नेतृत्व को वो पसंद आएं. ऐसे में प्रशांत किशोर कैसे कांग्रेस की डूबती नैया पार लगाएंगे, ये देखने वाली बात होगी.