क्या सत्ता के लिए बालासाहेब का सपना भूलाकर 'स्वाभिमान' से समझौता करेगी शिवसेना?
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क्या सत्ता के लिए बालासाहेब का सपना भूलाकर 'स्वाभिमान' से समझौता करेगी शिवसेना?

महाराष्ट्र में सत्ता की लड़ाई अब स्वाभिमान तक पहुंच गई है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस शिवसेना पर हिंदुत्व का एजेंडा छोड़ने का दबाव बना रही है. शिवसेना भी कुर्सी के मोह में हिंदुत्व और विवादित मुद्दों से किनारा करते नजर आ रही है. 

फडणवीस की सलाह पर शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने भी पलटवार किया...

मुंबई: महाराष्ट्र में सत्ता की लड़ाई अब स्वाभिमान तक पहुंच गई है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस शिवसेना पर हिंदुत्व का एजेंडा छोड़ने का दबाव बना रही है. शिवसेना भी कुर्सी के मोह में हिंदुत्व और विवादित मुद्दों से किनारा करते नजर आ रही है. ऐसे में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना को स्वाभिमान याद दिलाया है. देवेंद्र फडणवीस ने ट्वीट कर कहा है कि बालासाहेब ने सभी को स्वाभिमान का संदेश दिया था. 

फडणवीस की सलाह पर शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने भी पलटवार किया. उन्होंने कहा कि शिवसेना को कोई स्वाभिमान और समझदारी न सिखाए. उन्होंने दावा किया कि शिवसेना जल्द ही सरकार बनाएगी और बालासाहेब को दिया वचन पूरा किया जाएगा. संजय राउत ने कहा है कि महाराष्ट्र की मिटटी में ढोंग और अहंकार नहीं चलेगा. यानी बीजेपी ने बाला साहेब ठाकरे के बहाने वार किया है तो शिवसेना ने भी मुगलों को धूल चटाने वाले छत्रपति शिवाजी के बहाने बीजेपी पर निशाना साधा है.

शिवसेना प्रवक्‍ता संजय राउत ने पार्टी के मुखपत्र 'सामना' में लिखे अपने लेख में बीजेपी पर अपने शासन काल के दौरान शिवाजी की उपेक्षा का आरोप लगाया है. सामना में लिखा गया है कि शिवाजी के नाम का इस्‍तेमाल राजनीतिक व्‍यापार में किया जा चुका है. राउत ने लिखा है कि गुजरात में सरदार पटेल का विशाल स्‍मारक बनाया गया लेकिन 'युगपुरुष' शिवाजी महाराज के समुद्र में बनने वाले स्‍मार‍क की एक ईंट भी नहीं रखी गई. शिवसेना ने खुद को बाल ठाकरे और शिवाजी का सच्‍चा उत्‍तराधिकारी बताया. 

शिवसेना-बीजेपी के बीच रिश्तों में तल्खी
शिवसेना और बीजेपी के बीच रिश्तों में तल्खी अब खुलकर सामने आ गई है. मुंबई के शिवाजी पार्क में आयोजित बाला साहेब ठाकरे की स्मृति सभा में शामिल होने पहुंचे देवेंद्र फडणवीस को शिवसैनिकों के विरोध का सामना करना पड़ा. फडणवीस बाला साहेब को श्रद्धांजलि देने के बाद जब वापस जा रहे थे, तभी शिवसैनिकों ने उनके खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी. 

कुर्सी के लिए शिवसेना को 'सेक्युलर' होना कबूल है?
दरअसल कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना के बीच जो कॉमन मिनिमम प्रोग्राम का ड्रॉफ्ट तैयार हुआ है उसमें किसान कर्जमाफी, रोजगार, अल्पसंख्यक कल्याण, मराठी मानुष आरक्षण, शिवाजी और बाबासाहेब आंबेडकर के स्मारक  जैसे मुद्दों पर तो सहमति है लेकिन हिंदुत्व, उत्तर भारतीय का मुद्दा, समान नागरिक संहिता, राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर, वीर सावरकर को भारत रत्न, बालासाहेब ठाकरे का स्मारक पर असहमति है. 

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विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी की तरफ से वीर सावरकर को भारत रत्न देने का मुद्दा उठा था जिसका शिवसेना ने जोरदार समर्थन किया था लेकिन सरकार बनाने के लिए फिलहाल वो इस मुद्दे से किनारा करती नजर आ रही है...ऐसे में वीर सावरकर के पोते रंजीत सावरकर ने भी शिवसेना को हिंदुत्व का मुद्दा याद दिलाया है. वीर सावरकर के पोते रंजीत सावरकर ने कहा, "मैं उद्धव जी को जानता हूं वह हिंदुत्व का मुद्दा नहीं छोड़ेंगे. वह सत्ता के लिए वीर सावरकर को भारत रत्न देने की मांग भी नहीं छोड़ेंगे। मुझे पूरा विश्वास है कि शिवसेना हिंदुत्व के मुद्दे पर कांग्रेस का नजरिया बदल देगी." 

संजय राउत भले ही सरकार बनाने का दावा कर रहे हों लेकिन लगता है कि कांग्रेस शिवसेना के साथ सरकार बनाने को लेकर फिलहाल तैयार नहीं है. एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार और सोनिया गांधी के बीच सोमवाब को फिर बैठक होगी. दोनों नेता महाराष्ट्र में सरकार के गठन के लिए कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर चर्चा करेंगे. 

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