भारत (India) कभी भी किसी के देश के साथ युद्ध नहीं चाहता. लेकिन अगर कोई भारत की जमीन पर अतिक्रमण की कोशिश करेगा तो वह उसे जवाब देने से भी पीछे नहीं हटेगा.
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नई दिल्ली: भारत (India) कभी भी किसी के देश के साथ युद्ध नहीं चाहता. लेकिन अगर कोई भारत की जमीन पर अतिक्रमण की कोशिश करेगा. भारत को उकसाने की कोशिश करेगा तो उसका क्या अंजाम होगा. ये भारत की तैयारियों को देखकर समझा जा सकता है.
सर्दियों में भी लद्दाख का पारा गर्म
चीन (China) के साथ एलएसी पर तनाव बरकरार है. लद्दाख ( Ladakh) में सर्दियों के दौरान स्थितियां और भी ज्यादा मुश्किल हो जाएंगी. लेकिन भारत और चीन दोनों देशों की सेनाएं डटी हुई हैं. लेकिन तनाव को कम करने की कोशिश भी जारी है.
आठवें दौर की बातचीत में कम होगा तनाव ?
एलएसी पर तनाव कम करने के लिए भारत और चीन के बीच आज आठवें दौर की बातचीत होगी. सैन्य स्तर की इस बातचीत में पूर्वी लद्दाख में गतिरोध वाले सभी स्थानों को लेकर चीन को कड़ा मैसेज देने की तैयारी है. भारतीय पक्ष को सभी इलाकों से चीनी सैनिकों की पूर्ण वापसी से कम कुछ भी मंजूर नहीं है. जिसके संकेत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह खुद दे चुके हैं.
LAC पर आठवें दौर की वार्ता ?
कोर कमांडर स्तर की आठवें दौर की वार्ता एलएसी में भारतीय क्षेत्र की तरफ चुशूल में होगी. भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन करेंगे. लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन 14वीं कोर के नए कमांडर हैं. कोर कमांडर स्तर की पिछले दौर की वार्ता 12 अक्टूबर को हुई थी. सातवें दौर की वार्ता में कोई ठोस परिणाम नहीं निकला था. भारतीय सेना ने चीन के सामने पुरानी लोकेशन पर लौटने की शर्त रखी है. एलएसी पर दोनों देशों के लगभग 50 हज़ार सैनिक मौजूद हैं.
एलएसी पर भारत की आक्रामकता से चीन हैरान
एलएसी पर भारत की आक्रामकता से चीन हैरान है. चीन को इस बात का अंदाजा नहीं था कि नया भारत चीन की अतिक्रमणकारी नीति का इतना आक्रामक जवाब देगा. भारत और चीन के बीच आठवें दौर की बातचीत से पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गलवान की याद दिलाते हुए साफ कर दिया है कि एलएसी पर एक इंच का अतिक्रमण भी भारत को मंजूर नहीं है.
राजनाथ सिंह ने देश को आश्वस्त किया
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मैं देश को आश्वस्त करना चाहता हूं कि प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में भारत की सीमा, सम्मान, स्वाभिमान से समझौता नहीं करेंगे. रक्षा मंत्री ने कहा, 'हमारी सरकार ने सेनाओं को यह खुली छूट दे रखी है कि LAC पर हम किसी भी तरह के बदलाव को अनदेखा नही करेंगे. गलवान में उस दिन भारतीय सेना ने यही किया और पूरी बहादुरी से PLA के सैनिकों का मुकाबला करते हुए उन्हें पीछे जाने पर मजबूर किया. अगर युद्ध की स्थिति पैदा होती है तो चाहे कितनी भी बड़ी कीमत चुकानी पड़े, भारत की सिर झुकने न पाए.'
भारत के चक्रव्यूह में ऐसे फंस गया चीन
इधर चीन बार बार बातचीत से मामले को सुलझाने की बात तो करता है. एलएसी पर शांति के लिए समझौते भी करता है. स्थितियों के सामान्य होने के बयान देता है. लेकिन उसकी तैयारियां बातों से मेल नहीं खाती. लेकिन इस बार भारत चीन के किसी बहकावे में नहीं आने वाला. भारत इस बार PLA को एकतरफा तरीके से LAC पर Action करने की इजाजत नहीं देंगे. ऐसे में गलवान और पैंगोंग में भारत का पराक्रम देख चुके चीन को समझ जाना चाहिए कि इस बार न तो उसकी चालबाजी चलेगी और न ही ताकत का प्रदर्शन. चीन को समझौतों को सम्मान करते हुए वापस पुरानी जगह पर लौटना ही होगा.
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