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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) का बढ़ता कद अब कुछ ऐसा हो चुका है कि योगी पहले राजा बने और इस जीत के बाद अब वो सम्राट लगने लगे हैं. आइए जानते हैं कि क्या योगी बीजेपी में प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के बाद अब तीसरे सबसे बड़े नेता बन गए हैं?
अब तक बीजेपी में नंबर 1 और नंबर 2 की Position थी. नंबर 1 हैं प्रधानमंत्री मोदी और नंबर 2 हैं अमित शाह. राजनीति से लेकर आम बोल-चाल की भाषा में यही कहा जाता था कि बीजेपी में मोदी और शाह का मतलब है नंबर 1 और नंबर 2. इसके बाद बाकी जितने भी नेता हैं, वो सब बराबर हैं. यानी बीजेपी में नंबर 3 का कोई स्थान ही नहीं था.
लेकिन आज उत्तर प्रदेश के नतीजों ने योगी आदित्यनाथ को इस स्थिति में ला दिया है कि उन्हें पार्टी में मोदी और अमित शाह के बाद नंबर 3 कहा जाने लगा है. राजनीति में योगी आदित्यनाथ के लिए एक बात काफी बोली जाती है कि अब उनके पैरों में मुख्यमंत्री के जूते छोटे पड़ने लगे हैं.
आज मोदी के बाद योगी आदित्यनाथ बीजेपी में हिन्दुत्व का दूसरा सबसे बड़ा चेहरा हैं. अटल बिहारी वाजपेयपी के समय लाल कृष्ण आडवाणी को हिन्दुत्व का सबसे बड़ा चेहरे थे. फिर आडवाणी ने सेकुलर दिखने की कोशिश की और मोदी हिन्दुत्व का सबसे बड़ा चेहरा बन गए और मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद जब सबका साथ सबका विश्वास का नारा दिया, तब योगी हिन्दुत्व का सबसे बड़ा चेहरा बन गए हैं.
योगी कई मायनों में BJP के दूसरे मुख्यमंत्रियों से बिल्कुल अलग हैं. चाहे चुनाव त्रिपुरा में हो या दक्षिण भारत के केरल में, उन्हें बीजेपी की तरफ से स्टार प्रचारक बना कर सभी राज्यों में भेजा जाता है. मोदी की तरह योगी पर भी कभी ये आरोप नहीं लगाए जा सकते कि वो राजनीति में अपने परिवार और निजी स्वार्थ के लिए हैं. दोनों ही नेताओं की राजनीति पूर्ण रूप से देश को समर्पित है. यानी जैसे मोदी के लिए उनका परिवार, उनकी पूंजी और उनका जीवन, केवल ये देश है. ठीक वैसे ही योगी को भी उसी रूप में देखा जाता है.
योगी आदित्यनाथ की उम्र 49 वर्ष है. वो कांग्रेस के सबसे युवा नेता कहे जाने वाले राहुल गांधी से भी दो साल छोटे हैं. राहुल गांधी 51 वर्ष के हैं. जबकि बीजेपी में नंबर 1, प्रधानमंत्री मोदी की उम्र 71 वर्ष है और नंबर 2 अमित शाह 57 वर्ष के हैं. एक और बात किसी भी पार्टी में नेता का कद उसके अनुभव और उसके कुशल नेतृत्व से जाना जाता है. 2017 से पहले तक योगी आदित्यनाथ की छवि हिन्दुत्व के एक फायर ब्रैंड नेता की थी. लेकिन उत्तर प्रदेश में 5 साल सरकार चला कर और फिर इतने शानदार तरीके से दोबारा वापसी करके उन्होंने खुद को Able Administrator यानी कुशल प्रशासक के तौर पर भी स्थापित किया है. एक जमाने में यही छवि प्रधानमंत्री मोदी ने बनाई थी, जब वो गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे और अपने नेतृत्व में बीजेपी को 3 विधान सभा चुनाव जिताए थे.
इन चुनावों में हार के बाद मायावती ने भी उत्तर प्रदेश में BSP की हार पर एक चिट्ठी लिख कर अपना स्पष्टीकरण दिया है और ये चिट्ठी काफी दिलचस्प है. इसमें लिखा है कि बीजेपी के मुस्लिम विरोधी चुनाव प्रचार की वजह से 20 प्रतिशत मुस्लिम वोट समाजवादी पार्टी के पक्ष में एकजुट हो गए और मुस्लिम समुदाय को एकजुट देख कर हिन्दू वोटरों ने भी संगठित होकर बीजेपी को वोट दिया. जिससे बीजेपी जीत गई और बाकी पार्टियां हार गईं.
उत्तर प्रदेश में केवल एक सीट मिलने के बावजूद मायावती वही गलती दोहरा रही हैं, जिसकी वजह से उनकी पार्टी का ये हाल हुआ है. ये बात तो अब स्पष्ट हो चुकी है कि प्रधानमंत्री मोदी ने जातिगत राजनीति के बंधन को तोड़ दिया है और इसीलिए चुनावों में एक नया वोट बैंक देखने को मिला, जो है डबल वी, यानी विकास का वोटबैंक. लेकिन मायावती अब भी विकास और दूसरे मुद्दों को छोड़ कर जातियों के वोटबैंक को अपनी हार के लिए दोषी मान रही हैं.
आपको बता दें कि राजनीति में 2 तरह के नेता होते हैं, पहले हैं Grassrooters और दूसरे हैं Parachuters. Grassrooters सिर्फ ऊपर जा सकते हैं और Parachuters सिर्फ नीचे आ सकते हैं और इन चुनावों में लोगों ने परिवारवाद की राजनीति करने वाले नेताओं को नीचे भेज दिया और इसे आप कुछ आंकड़ों से समझ सकते हैं.
- वर्ष 1980 के उत्तर प्रदेश चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 309 सीटें जीती थीं. यानी उस समय वो एक Parachute की तरह आसमान में थी. लेकिन इसके बाद वो धीरे-धीरे नीचे आती गई और आज उसके पास इसी उत्तर प्रदेश में सिर्फ 2 सीटें बची हैं.
- वर्ष 1993 में समाजवादी पार्टी ने भी अपनी पहली उड़ान एक Parachute की तरह 109 सीटों के साथ भरी थी. लेकिन वर्ष 2012 में जब मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया, उसके बाद समाजवादी पार्टी भी नीचे आती चली गई.
- यही हाल बीएसपी का भी हुआ. जिसे केवल मायावती चलाती हैं. राष्ट्रीय लोकदल की भी यही स्थिति हुई, जो एक परिवार की पार्टी है और पंजाब में अकाली दल के साथ भी ऐसा ही हुआ, जो एक परिवार की पार्टी है.
- जबकि बीजेपी Grassrooters की तरह नीचे से ऊपर गई. 1980 के चुनाव में बीजेपी उत्तर प्रदेश में 11 सीटें जीती थी. लेकिन आज वो 11 सीटों से 255 सीटों पर पहुंच गई है.
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