ZEE जानकारी : भारत नकली सामान का एक बड़ा बाज़ार बन चुका है
Advertisement

ZEE जानकारी : भारत नकली सामान का एक बड़ा बाज़ार बन चुका है

हाल ही में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने ग्रामीण भारत में एक रिसर्च करवाया था और इसमें ये पता चला है कि देश के गांवों में बिकने वाला आधा सामान नकली है. और भारत नकली वस्तुओं का एक बड़ा बाज़ार बन चुका है. 

ZEE जानकारी : भारत नकली सामान का एक बड़ा बाज़ार बन चुका है

अपने चारों तरफ नज़र दौड़ाइये.. तो आपको वस्तुओं से लेकर रिश्तों तक, और नीयत से लेकर नेतागीरी तक, हर चीज़ में मिलावट नज़र आएगी. भारत के ग्रंथों में हमेशा ये कहा गया है कि आज का युग.. कलियुग है. लेकिन रिसर्च ये कहता है कि आज का युग मिलावट का युग है. भारत अब मिलावट करने में अव्वल है और हमारा देश नकली सामान बनाने का चैंपियन बन गया है. हाल ही में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने ग्रामीण भारत में एक रिसर्च करवाया था और इसमें ये पता चला है कि देश के गांवों में बिकने वाला आधा सामान नकली है. और भारत नकली वस्तुओं का एक बड़ा बाज़ार बन चुका है. यानी जिस देश में शुद्धता की गारंटी वाले बैनर और पोस्टर लगाए जाते हैं. जहां बात बात पर संस्कारों की दुहाई दी जाती है. वही देश मिलावट का चैंपियन बन चुका है. 

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने Indian Institute of Public Administration की मदद से देश के 9 राज्यों के ग्रामीण इलाकों में ये Survey कराया है.  इसके मुताबिक, खेती से जुड़े 58 प्रतिशत सामान, 38 प्रतिशत दवाईयां और 36 प्रतिशत Cosmetics के सामान नकली होते हैं.  कुल मिलाकर गांवों में जो सामान बेचा जाता है, उसमें से लगभग 50 फीसदी सामान नकली होता है. इस Survey में जिन लोगों से सवाल-जवाब किए गए, उनमें से 60 फीसदी लोगों को इस बात का अंदाज़ा था कि वो नकली सामान खरीद रहे हैं. जबकि, 40 प्रतिशत लोगों ने ये कहा कि उन्होंने अनजाने में नकली सामान खरीदा.

Survey में ये भी पाया गया, कि 9 राज्यों के 25 प्रतिशत लोगों को इस बात की जानकारी नहीं थी, कि उनके इलाके में नकली सामान बेचा जा रहा है. नकली वस्तुओं के बिकने की एक बड़ी वजह होती है उनका सस्ता होना. जिन लोगों ने नकली सामान खरीदा उनमें से 50 फीसदी लोगों की राय ये थी, कि उन्होंने वो सामान इसलिए खरीदा, क्योंकि उसकी कीमत, Original Product के मुक़ाबले काफी कम थी. इसके अलावा 58 फीसदी लोगों को सही Product के नाम की जानकारी तक नहीं थी. और सबसे बड़ी बात, धोखाधड़ी का शिकार होने के बावजूद, इन ग्रामीण इलाकों में रहने वाली 62 फीसदी से ज़्यादा आबादी ने कभी इस भ्रष्टाचार की शिकायत नहीं की. 

हमने इस रिसर्च के आधार पर ग्राउंड रिपोर्टिंग की है. और अपनी रिपोर्टिंग में हमें पता चला है कि गांव ही नहीं बड़े बड़े शहरों में भी नकली वस्तुएं अपनी जगह बना चुकी हैं. आपको नकली सामान बेचा जा रहा है. और अगर उससे आपको कोई नुकसान हो जाए तो इसकी ज़िम्मेदारी लेने वाला भी कोई नहीं है.

ये रिपोर्ट दिखाने से पहले हमने भारत में उपभोक्ताओं के लिए सामान बनाने वाली कंपनी Hindustan Unilever से उसकी प्रतिक्रिया ली थी. हमारे सवाल के जवाब में कंपनी ने बाज़ार में मिलने वाले नकली सामान को लेकर चिंता जताई है. कंपनी के प्रवक्ता ने हमें जानकारी दी है, कि इस समस्या की वजह से ना सिर्फ इंडस्ट्री को भारी नुकसान पहुंचता है, बल्कि उपभोक्ताओं के हितों का भी हनन होता है. कंपनी का ये भी कहना है, कि बाज़ार में उनके नाम का इस्तेमाल करके जो भी नकली Products बेचे जा रहे हैं, उनसे निपटने के लिए वो हर संभव कोशिश कर रहे हैं.

वैसे अगर आप ये सोच रहे हैं, कि नकली सामान का ये साम्राज्य सिर्फ देश के ग्रामीण इलाकों तक फैला है, तो ऐसा बिल्कुल नहीं है. ये समस्या देश के शहरी इलाकों की भी है. फर्क सिर्फ इतना है, कि गांव-देहात में नकली सामान का कारोबार, शहरों के मुक़ाबले काफी बड़ा है. Centre for Consumer Studies की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के GDP में ग्रामीण भारत का योगदान 50 फीसदी से ज़्यादा है. FMCG यानी Fast Moving Consumer Goods जैसे - साबुन और तेल जैसी रोज़मर्रा की चीज़ें इस्तेमाल करने के मामले में, हमारे गांव, शहरों से काफी आगे हैं. और हो सकता है, कि इसी वजह से ग्रामीण इलाकों में नकली सामान की सप्लाई बढ़ती जा रही है. अब ज़रा शहरों की भी बात कर लेते हैं.

वर्ष 2016 में Organisation for Economic Co-operation and Development और European Union Intellectual Property Office ने एक रिपोर्ट जारी की थी. 

जिसमें कहा गया था, कि दुनिया में नकली सामान का आयात प्रति वर्ष क़रीब 32 लाख 40 हज़ार करोड़ रुपये का है.

इसी रिपोर्ट में उन देशों के बारे में भी जानकारी दी गई थी, जहां भारी मात्रा में Fake Products, बनाए जाते हैं. 

वर्ष 2013 में दुनियाभर में छापे के दौरान पकड़े गए नकली सामान में चीन का हिस्सा 63 प्रतिशत था. इसीलिए ये कहा जाता है कि चाइनीज़ सामान की कोई गारंटी नहीं होती.

दुनिया के कुल नकली सामान में से Hong Kong का हिस्सा 21 फीसदी से ज़्यादा है और Hong Kong भी चीन के अधिकार क्षेत्र में हैं. यानी दुनिया में जितने भी नकली प्रोडक्ट पकड़े गये उनमें से 84 प्रतिशत चीन में बनाए गये थे. इसके अलावा इसमें Turkey का हिस्सा करीब 3 फीसदी था और सिंगापुर और थाईलैंड का 2 फीसदी हिस्सा था. इस लिस्ट में भारत छठे नंबर पर था.

लेकिन 2013 के बाद अगले 5 वर्षों में नकली सामान का बाज़ार हमारे देश में भी बहुत तेज़ी से फैला है.

भारत के छोटे शहरों ,कस्बों और गांवों में नकली सामान बनाने और बेचने का व्यापार आराम से चल रहा है. और इसे रिश्वतखोरी के दम पर चलाया जा रहा है.

इसकी वजह से भारत की अर्थव्यस्था कमज़ोर होती है, और आपको भी नुकसान उठाना पड़ता है. 
 

वर्ष 2015 में KPMG और Ficci ने एक Study की थी. जिसमें कहा गया था, कि भारत में मौजूद रोज़मर्रा में इस्तेमाल होने वाली हर पांच वस्तुओं में से एक या तो नकली होती है या फिर उसे Smuggle करके देश में लाया जाता है.

इसी Study में ये भी कहा गया था, कि वर्ष 2014 के अंत तक भारत में नकली सामान का बाज़ार 1 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा का था. और इसमें से एक बड़ा हिस्सा प्रतिदिन इस्तेमाल किए जाने वाले सामान का था. 

तीन साल पहले ये अनुमान लगाया गया था, कि भारत में FMCG का बाज़ार 12 फीसदी की दर से बढ़ेगा. लेकिन, साथ ही साथ ये भी कहा गया था, कि नकली सामान का बाज़ार उससे कहीं ज़्यादा तेज़ी से बढ़ेगा.

यानी अगर आप 2014 और 2015 के Trend का विश्लेषण करेंगे, तो उससे ये पता चलता है, कि मौजूदा वक्त में हमारे देश में नकली सामान का बाज़ार कई लाख करोड़ रुपये का हो चुका है. वैसे भारत में ये सब एक आम बात हो गई है. क्योंकि यहां पर मिलावट या नकली उत्पादों को बेचने वालों के खिलाफ कड़े कदम नहीं उठाए जाते. अब इस मिलावट को सबने सहर्ष स्वीकार कर लिया है. 
और इसी बात का फायदा नकली सामान बेचने वाले लोग उठाते हैं. इन्हें इस बात से कोई लेना-देना नहीं होता, कि उपभोक्ताओं की सेहत पर Fake Products का क्या असर होगा ?  

यहां पर आपके मन में ये सवाल आ रहा होगा, कि आप नकली सामान से कैसे बच सकते हैं ? इसके लिए आपको जागरुक होने की ज़रुरत है.
 

नकली Product को पहचानने का सबसे आसान और आम तरीका है, लिखावट में Grammar या Spelling की गलती.

कई बार नकली सामान बेचने वाली कंपनियां भी मशहूर Brands का नाम Copy कर लेती हैं और स्पेलिंग के एक Letter को हटा देती हैं, ताकि वो क़ानूनी कार्रवाई से बच सकें.

इसलिए हर Product का नाम ध्यान से पढ़ें.

बड़ी कंपनियां अपने सामान पर कुछ Code, सीरियल नंबर, मॉडल नंबर, ट्रेडमार्क और पेटेंट संबंधी सूचनाएं छापती हैं.

नकली उत्पाद बनाने वाली कंपनियां इनमें से बहुत सारी जानकारियों को Copy करना भूल जाती हैं. आप इन चीज़ों को चेक करके भी ये पता लगा सकते हैं कि प्रोडक्ट असली है या नकली.

नकली प्रोडक्ट पर अक्सर Logo, Brand का नाम और ट्रेडमार्क भी धुंधला होता है.

अगर आप सावधानी से इन चीज़ों को देखेंगे तो आपको ये बारीक अंतर, समझ में आ जायेगा.

भारत में नकल करके पास होने वाले छात्र हैं. 100 प्रतिशत शुद्धता की गारंटी देकर नकली सामान बेचने वाले व्यापारी हैं. जनता से वादा करके उसे तोड़ने वाले नेता हैं. कानूनों और नियमों का मज़ाक उड़ाने वाले भ्रष्ट अधिकारी हैं. ख़बरों में मिलावट करने वाले डिज़ाइनर पत्रकार हैं. और दूघ-घी की हालत तो आप जानते ही हैं. 

इस मिलावट को किसी कानून से दूर नहीं किया जा सकता. इसके लिए किसी Gadget या तकनीक का आविष्कार करने की ज़रूरत नहीं है, इसके लिए बस थोड़ी सी नैतिकता और ईमानदारी की ज़रूरत है.

Trending news