ZEE जानकारी: जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचे विश्वभारती विश्वविद्यालय
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ZEE जानकारी: जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचे विश्वभारती विश्वविद्यालय

नरेंद्र मोदी, देश के प्रधानमंत्री हैं, लेकिन वो विश्व भारती विश्व विद्यालय के कुलपति हैं . आज नरेंद्र मोदी ने विश्व भारती में भाषण के दौरान खुद को आचार्य कहा.

ZEE जानकारी: जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचे विश्वभारती विश्वविद्यालय

लोकतंत्र की मजबूरियां क्या होती हैं ? ये आज पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से पूछिए. आज से 2 दिन पहले ममता बनर्जी कर्नाटक के बेंगलुरू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ़ पूरी ऊर्जा के साथ भाषण दे रही थीं . लेकिन आज वही ममता बनर्जी, नरेंद्र मोदी का स्वागत कर रही थीं . आज से दो दिन पहले ममता बनर्जी, नरेंद्र मोदी को चुनौती दे रही थीं लेकिन आज वही ममता बनर्जी, नरेंद्र मोदी को गुलदस्ते भेंट कर रही थीं .  वो ममता बनर्जी जो नरेंद्र मोदी को हराने के लिए तीसरे मोर्चे का किला बना रही हैं, वही ममता बनर्जी आज नरेंद्र मोदी को शॉल भेंट करके सम्मान दे रही थीं . 

इसे आप लोकतंत्र की खूबसूरती भी कह सकते हैं, जहां दो विरोधी नेता भी बहुत शालीनता से मिलते हैं . लेकिन लोकतंत्र की इसी शालीनता, परंपरा और मजबूरी ने आज ममता बनर्जी को बहुत असहज कर दिया. नरेंद्र मोदी आज पश्चिम बंगाल के दौरे पर थे . बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शांतिनिकेतन के कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेना था . ज़्यादातर मौकों पर ममता बनर्जी, नरेंद्र मोदी के साथ थीं . और इस बीच कुछ ऐसी घटनाएं हुई . जिनकी वजह से ममता बनर्जी का कद, नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के सामने बहुत बौना नज़र आ रहा था. 

प्रधानमंत्री मोदी आज पश्चिम बंगाल के बीरभूम ज़िले में विश्व भारती विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए जा रहे थे. इस रास्ते में बहुत सारे छात्र और छात्राएं मौजूद थे और वो नरेंद्र मोदी के नाम के नारे लगा रहे थे . ममता बनर्जी, पश्चिम बंगाल की चुनी हुई मुख्यमंत्री हैं लेकिन आज नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के सामने उनका राजनीतिक आस्तित्व काफी दबाव में नज़र आ रहा था. शायद.. ऐसी स्थिति में ममता बनर्जी खुद को बहुत असहज महसूस कर रही होंगी . सबसे पहले आप ये तस्वीरें देखिए... फिर इन तस्वीरों से जुड़ी कुछ और दिलचस्प बातें हम आपको बताएंगे 

इन तस्वीरों में छुपी हुई एक और बहुत दिलचस्प बात है जो हम आपको बताने जा रहे हैं. अक्सर आपने देखा होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, हमेशा सबसे आगे चलते हैं, उनके पीछे केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री या अफसर होते हैं . लेकिन यहां तस्वीर कुछ अलग है... पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आगे चल रहे हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके पीछे चल रहे हैं .

इसकी वजह ये है कि नरेंद्र मोदी, देश के प्रधानमंत्री हैं, लेकिन वो विश्व भारती विश्व विद्यालय के कुलपति हैं . आज नरेंद्र मोदी ने विश्व भारती में भाषण के दौरान खुद को आचार्य कहा. वो आचार्य नरेंद्र मोदी या चांसलर नरेंद्र मोदी के रूप में शांतिनिकेतन का दौरा कर रहे थे. यही वजह है कि वो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी के पीछे चल रहे थे.

इस दौरान कुछ और दिलचस्प तस्वीरें देखने को मिलीं. ममता बनर्जी ने राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी को आगे बढ़ने के लिए कहा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने से हटा दिया . ताकी प्रधानमंत्री पद की गरिमा में कोई कमी ना आए . आम तौर पर बहुत उग्र राजनीतिक तेवर दिखाने वाली ममता बनर्जी की ये शालीनता काबिले-तारीफ है. 
देश के ज्यादातर विश्व विद्यालयों में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसी कार्यक्रम में जाते हैं तो वो अतिथि होते हैं . लेकिन विश्व भारती में भारत का प्रधानमंत्री चांसलर यानी कुलपति होता है . इसका इतिहास भी बहुत दिलचस्प है जिसके बारे में आपको पूरी जानकारी होनी चाहिए . 

भारत के राष्ट्रगान की रचना करने वाले रबिंद्र नाथ टैगोर ने शांतिनिकेतन में एक स्कूल की स्थापना की थी. और ज्ञान का यही पौधा आगे चलकर एक विश्व विद्यालय के वटवृक्ष में बदल गया . 

आज बीरभूम के शांतिनिकेतन में जहां ये विश्व विद्यालय मौजूद हैं वहां वर्ष 1863 में रबींद्र नाथ टैगोर के पिता देबेंद्र नाथ टैगोर ने योग और ध्यान का केंद्र बनाया था . 

वर्ष 1888 में देबेंद्र नाथ टैगोर ने ये ज़मीन एक विद्यालय और पुस्तकालय के निर्माण के लिए समर्पित कर दी थी . 

22 दिसंबर 1901 को यहीं से रबींद्र नाथ टैगोर ने अपने स्कूल ब्रह्मचर्य आश्रम की शुरुआत औपचारिक रूप से कर दी थी . 

उस वक्त रबींद्र नाथ टैगोर के स्कूल में 5 विद्यार्थी पढ़ते थे . धीरे-धीरे स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ती गई . रबींद्र नाथ टैगोर के पिता देबेंद्र नाथ टैगोर अपने समय के प्रभावशाली व्यक्ति थे . और वो शिक्षा पद्धति में सुधार करना चाहते थे . रबींद्र नाथ टैगोर अपने पिता के सपने को पूरा करना चाहते थे . 
वर्ष 1921 में यहीं पर रबींद्र नाथ टैगोर ने विश्व भारती की स्थापना की . और वर्ष 1951 में इसके राष्ट्रीय महत्व को ध्यान में रखते हुए संसद में विश्व भारती Act पास किया गया और कानून बनाकर इसे केंद्रीय विश्व विद्यालय का दर्जा दिया गया . 

ये राष्ट्रीय महत्व की जगह इसलिए भी हैं क्योंकि यहां पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और गुरुदेव रबिंद्र नाथ टैगोर के बीच कई अहम मुलाकातें हुई थीं . 

इस विश्व विद्यालय की सबसे खास बात ये है कि भारत के राष्ट्रपति इस विश्व विद्यालय के Visitor हैं . पश्चिम बंगाल के राज्यपाल इस विश्व विद्यालय के Rector यानी प्रधान हैं . भारत के प्रधानमंत्री इस विश्व विद्यालय के चांसलर यानी कुलपति होते हैं . इसके अलावा ज्यादातर विश्व विद्यालयों के कुलपति, उपराष्ट्रपति या राज्यपाल होते हैं . भारत के राष्ट्रपति इस विश्व विद्यालय के Vice-chancellor की नियुक्ति करते हैं .

'दूसरों के लिए गड्ढे खोदना' ये हिंदी भाषा का बहुत प्रचलित मुहावरा है . अक्सर राजनीति में उसी नेता को योग्य माना जाता है जो अपने दुश्मनों के लिए गड्ढे खोदता है . लेकिन अपने राजनीतिक दुश्मनों के प्रति सद्भाव की मिसाल भी भारत के लोकतंत्र में ही देखने को मिलती है . 

आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी Helicopter से शांतिनिकेतन में मौजूद विश्व भारती विश्वविद्यालय पहुंचे . विश्व भारती के Campus में ही Helicopter के उतरने के लिए एक Helipad बनाया गया था . यहीं पर एक बहुत छोटा गड्ढा भी मौजूद था. जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का Helicopter इस Helipad पर उतरा तब उनके स्वागत के लिए ममता बनर्जी तेज़ रफ्तार से आगे बढ़ीं . ममता बनर्जी आम तौर पर इतनी तेज़ नहीं चलती हैं . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें तेज़ रफ्तार से आगे आते हुए देख रहे थे . तभी नरेंद्र मोदी आगे बढ़े और उन्होंने अपने हाथ से इशारा करके ममता बनर्जी को सावधान किया कि वो सामने मौजूद गड्ढे से बचकर आएं . ये राजनीतिक सहनशीलता का एक बहुत दिलचस्प उदाहरण है. इसके बाद ममता बनर्जी ने नरेंद्र मोदी का बहुत भव्य स्वागत किया . 

लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की राजनीतिक दुश्मनी खत्म हो गई है . राजनीति में जो दिखाई देता है वो सबकुछ सच नहीं होता है . अभी कुछ दिनों पहले ही कर्नाटक के चुनाव के परिणाम के बाद नरेंद्र मोदी और ममता बनर्जी ने एक-दूसरे पर बयानों के तीर चलाए थे . 

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