ZEE जानकारी: 118 साल बाद दिल्ली में सर्दी का सबसे भीषण कहर
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ZEE जानकारी: 118 साल बाद दिल्ली में सर्दी का सबसे भीषण कहर

दिल्ली में दिसंबर के महीने में इतनी ठंड करीब 118 साल बाद पड़ रही है. ये जरूर चौंकाने वाली बात है. ऐसे में सवाल उठता है कि उत्तर भारत में इतनी ठंड पड़ क्यों रही हैं ?

ZEE जानकारी: 118 साल बाद दिल्ली में सर्दी का सबसे भीषण कहर

जब निजी हित हावी होने लगेंगे, तब न तो देश का हित बचेगा. और न ही पर्यावरण का. ये पर्यावरण के बिगड़ने का ही नतीजा है कि. इस समय पूरा उत्तर भारत. सदी की ऐतिहासिक सर्दी का सामना कर रहा है. दिसंबर के महीने में कड़ाके की ठंड पड़ रही है . इस महीने में भीषण सर्दी कोई चकित करने वाली बात नहीं है. लेकिन दिल्ली में दिसंबर के महीने में इतनी ठंड करीब 118 साल बाद पड़ रही है. ये जरूर चौंकाने वाली बात है. ऐसे में सवाल उठता है कि उत्तर भारत में इतनी ठंड पड़ क्यों रही हैं ?

क्या ये अजीब नहीं है कि दिल्ली में शिमला से ज्यादा ठंड है ? सबसे बड़ा प्रश्न ये भी है कि. जब दुनिया Global Warming की चपेट में है. ऐसे में इतनी ठंड कैसे पड़ रही है ? कायदे से तो इस महीने में भी गर्मी का एहसास होना चाहिए . आज हम इन्हीं सवालों का सरल भाषा में जवाब देंगे . लेकिन पहले देखिए भीषण ठंड की कुछ तस्वीरें..

इस तस्वीर में पृथ्वी का तापमान रंगों के माध्यम से दिखाया गया है. लाल रंग गर्म और नीला रंग ठंडे क्षेत्रों को दिखा रहा है. हमें एक और तस्वीर से समझना चाहिए कि कहीं बहुत गर्मी. और कहीं कड़ाके की ठंड क्यों पड़ती है ? दूसरी तस्वीर में आप देख सकते हैं कि सूर्य की किरणें कैसे धरती के अलग-अलग हिस्सों पर पड़ती हैं.

धरती के ऊपर और नीचे. नीले रंग में दिख रहे हिस्सों पर सूर्य की किरणें सीधे नहीं पड़ती हैं. सर्दियों में 24 घंटे इन क्षेत्रों में रात रहती है..क्योंकि यहां सूर्य निकलता ही नहीं है. धरती के इन दो हिस्सों को Polar Zones कहते हैं. और यहां साल भर बर्फ जमी रहती है.

इसी तरह पीले रंग के क्षेत्र में सूर्य की किरणें धरती पर सीधी पड़ती हैं. इसलिए यहां गर्मी ज्यादा रहती है. तीसरी तस्वीर में आप एक Polar Zone में हवा की दिशा को लाल रंग की रेखा से समझ सकते हैं . यहां पर हवा गोलाकार आकार में बहुत तेजी से बहती है . यानी जिस इलाके से होकर ये हवा बहती है, वो आम तौर पर बेहद ठंडा होता है.

ऐसे ही चौथी तस्वीर में पीले रंग की दो रेखाओं से आप समझ सकते हैं कि गर्म क्षेत्र में हवा किस दिशा में बहती है . अब यहां हमें Global Warming के असर को समझना होगा . अगर धरती Global Warming की चपेट में ना हो ..तो लाल और पीली रेखाओं के बीच में आने वाले क्षेत्र की हवाओं की गति संतुलित रहेगी. और वो अपने-अपने क्षेत्र में सामान्य तौर पर बहती रहती हैं.

लेकिन जैसे ही धरती सामान्य से अधिक गर्म होने लगती है तो धरती के Polar Zones में सर्द हवाओं की गति धीमी पड़ने लगती है. वहीं, धरती के गर्म क्षेत्र की हवाएं फैलकर Polar Zone में पहुंचने लगती हैं. क्योंकि Polar Zone की ठंडी हवा कमजोर पड़ती हैं. वो गर्म क्षेत्र की तरफ बहने लगती है. यही कारण है कि Polar Zone में गर्मी बढ़ती है लेकिन गर्म क्षेत्र में कड़ाके की सर्दी पड़ने लगती है.

जलवायु की इस व्यवस्था को Polar Vortex कहा जाता है. अब एक और तस्वीर से समझते हैं कि इस व्यवस्था से भारत के मौसम पर क्या असर पड़ता है. इस तस्वीर में गहरी नीली पट्टी हवा का वो दबाव है. जिसे Western Disturbance कहते हैं . ये Polar Vortex के कारण मध्य एशिया में ठंडी हवा का वो दबाव है, जो पश्चिम से भारत में प्रवेश करता है.

यही वो पश्चिमी हवा है जो आज उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड लेकर आई है. मौसम की व्यवस्था . जो Polar Zone में है..वैसी ही व्यवस्था हिमालय और उत्तर भारत में देखने को मिल रही है . यही वजह है कि शिमला से भी ज्यादा ठंड दिल्ली में पड़ रही है . क्योंकि हिमालय की ठंडी हवाएं दिल्ली की तरफ आ रही हैं. और उत्तर भारत की गर्म हवाएं हिमालय की तरफ जा रही हैं.

यही Global Warming का दुष्प्रभाव है. जो हम सभी को झेलना पड़ रहा है. विश्लेषण को आगे बढ़ाने से पहले आपको बताते हैं कि...इस पर मौसम वैज्ञानिक क्या कहते हैं. जब कैलेंडर बदलने का वक्त होता है वो समय आपके दिल के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक होता है.

यानी दिसंबर के आखिरी और जनवरी के पहले सप्ताह में आपको अपने दिल का विशेष ध्यान रखना चाहिए. क्योंकि एक रिसर्च के मुताबिक इसी समय Heart Attack के मामले सबसे ज्यादा होते हैं. देश भर में सर्दी से आपके दिल को क्या खतरा है..और आप खुद को इससे कैसे बचा सकते हैं. ये सब आप हमारी आज की स्पेशल रिपोर्ट देखकर समझ सकते हैं.

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