Zee Jaankari: 'चंद्रक्रांति' से चंद कदम दूर भारत का चंद्रयान-2
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Zee Jaankari: 'चंद्रक्रांति' से चंद कदम दूर भारत का चंद्रयान-2

चंद्रयान TWO चंद्रमा के South Pole पर Land करेगा. इससे पहले किसी देश ने चंद्रमा के इस हिस्से में अपना यान Land कराने की कोशिश नहीं की है.

Zee Jaankari: 'चंद्रक्रांति' से चंद कदम दूर भारत का चंद्रयान-2

अब हम चंद्रयान TWO के ऐतिहासिक सफर का विश्लेषण करेंगे . सिर्फ 5 दिनों के बाद चंद्रयान TWO चंद्रमा की सतह पर Land करेगा . यानी अभी से करीब 101 घंटों के बाद देश को वो शुभ समाचार मिल जाएगा..जिसका इंतज़ार 135 करोड़ भारतीय कर रहे हैं . इस Mission के एक अहम पड़ाव को पार कर लिया गया है . आज INDIAN SPACE RESEARCH ORGANIZATION यानी ISRO के वैज्ञानिकों ने.. चंद्रयान Two के Lander-विक्रम को उसके Orbiter से अलग कर दिया. चंद्रयान Two के Orbiter और Lander-विक्रम की सुखद जुदाई का ये विश्लेषण आपको भी चंद्रयान TWO का Expert बना देगा.

आज दोपहर 1 बजकर 15 मिनट पर चंद्रयान TWO का Lander विक्रम..अपने Orbiter से सफलतापूर्वक अलग हो गया . ये भारत की बहुत बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि है . क्योंकि इस Separation के साथ ही चंद्रयान TWO चंद्रमा की सतह के और करीब पहुंच गया है. Lander विक्रम... इस वक्त चंद्रमा की 100 किलोमीटर की कक्षा मैं है. जबकि चंद्रयान TWO का Orbiter भी एक निश्चित ऊंचाई पर चंद्रमा की कक्षा के चक्कर लगा रहा है.

7 सितंबर को चंद्रमा की सतह पर Soft Landing से पहले...Lander विक्रम Rough Braking और Fine braking तकनीक की मदद से....चंद्रमा की सतह के पास पहुंचेगा . यानी इस दौरान Lander विक्रम के इंजन का इस्तेमाल करके इसकी गति को कम किया जाएगा. ये ठीक ऐसा ही जैसे आप निश्चित जगह पर अपनी CAR पार्क करने के लिए BRAKE लगाकर.. उसकी SPEED कम करते हैं. कल ISRO के वैज्ञानिक.. Lander के Engine को तीन Seconds के लिए ON करेंगे...ताकि ये पता लगाया जा सके कि उसके सारे उपकरण ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं.

और सात सितंबर की रात करीब डेढ़ से ढाई बजे के बीच..चंद्रयान TWO चांद की सतह पर Soft Landing करेगा . Landing से पहले के आखिर 15 मिनट बहुत महत्वपूर्ण होंगे . क्योंकि इस दौरान Lander को ना सिर्फ अपनी Speed कम करनी होगी बल्कि Landing के लिए सही जगह भी ढूंढनी होगी . अगर सब कुछ ठीक रहा तो.. 7 सितंबर की रात को भारत.. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा.

चंद्रयान TWO के Lander विक्रम की रोमांच से भरी इस सुखद यात्रा का आज श्रीगणेश हो गया है . अगर ये मिशन कामयाब रहा तो भारत चंद्रमा की सतह पर Soft Landing करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा . इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन ये उपलब्धि हासिल कर चुके हैं . लेकिन आज आपको ये भी समझना चाहिए कि भारत के लिए चंद्रयान TWO क्यों इतना अहम है.

चंद्रयान TWO चंद्रमा के South Pole पर Land करेगा...इससे पहले किसी देश ने चंद्रमा के इस हिस्से में अपना यान Land कराने की कोशिश नहीं की है . South Pole को चंद्रमा की सतह का सबसे पुराना हिस्सा माना जाता है . यहां करीब 400 अरब वर्ष पहले एक Asteroid यानी उल्कापिंड के टकराने से चट्टानों और कई हज़ार किलोमीटर चौड़े गड्ढों का निर्माण हुआ था.

इन्हें Craters भी कहा जाता है . इन Craters औऱ चट्टानों के निरीक्षण से चंद्रमा की उत्पत्ति के बारे में पता लगाया जा सकेगा. चंद्रमा के South Pole से जुटाई गई जानकारियां भविष्य में चंद्रमा पर इंसानों को बसाने का रास्ता भी खोल सकती हैं . भारत के चंद्रयान ONE की मदद से ही पहली बार ये जानकारी मिली थी कि चंद्रमा की सतह के नीचे बड़ी मात्रा में बर्फ मौजूद है.

ये बर्फ चंद्रमा के ध्रुवीय इलाकों में जमी हुई है. चंद्रमा के South Pole पर ये बर्फ बड़े बड़े Craters में जमी हैं . जहां सूर्य की रोशनी नहीं पहुंच पाती . इन विशालकाय गड्ढों का तापमान माइनस 150 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है . अनुमान के मुताबिक चंद्रमा के ध्रुवों पर 100 मिलियन टन तक बर्फ हो सकती है. अगर भविष्य में चंद्रमा पर इंसानी बस्ती बसाई गई तो इस बर्फ को पिघलाकर पानी बनाया जा सकेगा.

पानी किसी भी सभ्यता के निर्माण के लिए सबसे महत्वपूर्ण है. चंद्रमा के South Pole पर helium-3 नामक गैस भी हो सकती है. और अगर चंद्रयान TWO ने इसकी खोज कर ली...तो फिर इसी गैस के ज़रिए चंद्रमा पर बसने वाले इंसानों की ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा किया जा सकेगा. इसीलिए अब दुनिया के तमाम देश और प्राइवेट कंपनियां भी चंद्रमा के इस हिस्से को Explore करना चाहती हैं.

वर्ष 2024 तक अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी NASA.. चंद्रमा के South Pole पर Astronauts उतारेगी. इसके अलावा अमेरिकी उद्योगपति Jeff Bezos की कंपनी Blue Origin भी वर्ष 2024 में ही अपना Rover चंद्रमा के इस हिस्से पर उतारेगी. यानी चंद्रमा का South Pole...चांद पर दुनिया बसाने का सपना देखने वाले देशों की नई मंजिल है और इसी मंज़िल के रास्ते पर भारत का चंद्रय़ान TWO मील का पत्थर साबित होगा.

7 सितंबर की रात...Lander विक्रम.. चंद्रमा की सतह पर Land करेगा और इसके बाद सुबह साढ़े पांच से साढ़े 6 बजे के बीच...Rover प्रज्ञान चंद्रमा की सतह का निरीक्षण शुरु करेगा . Launching से लेकर Landing तक चंद्रयान TWO का सफर कुल 48 दिनों का होगा . लेकिन 20 जुलाई 1969 को अमेरिका के अंतरिक्ष यात्री...Neil Armstrong सिर्फ 4 दिन 6 घंटे और 45 मिनट का सफर तय करके..चंद्रमा पर उतरने वाले दुनिया के पहले इंसान बन गए थे. अब आप सोच रहे होंगे कि फिर चंद्रयान TWO को चंद्रमा पर पहुंचने में इतना वक्त क्यों लग रहा है ?

इसका जवाब छिपा है ऐसे अभियानों में इस्तेमाल होने वाले Rockets के आकार, उनकी ईधन क्षमता और उनकी गति में. Apollo- 11 मिशन में अमेरिका ने Saturn Five नामक रॉकेट का इस्तेमाल किया था . ये 40 हज़ार किलो वज़न के साथ Lift Off करने में सक्षम था और इसकी गति थी 39 हज़ार किलीमीटर प्रति घंटा . रॉकेट के साथ साथ चंद्रमा पर जाने वाले Lunar Craft का संचालन भी शक्तिशाली इंजन कर रहे थे.

इस मिशन की लागत आज के समय के हिसाब से करीब 8 हज़ार 500 करोड़ रुपये थी .भारत के पास अभी इतना शक्तिशाली रॉकेट नहीं है जो चंद्रयान को सीधे चांद की कक्षा की तरफ ले जा सके . इसलिए चंद्रयान TWO ने चांद की तरफ जाने से पहले पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का इस्तेमाल किया. भारत ने अपने सबसे शक्तिशाली रॉकेट GSLV माक 3 की मदद से चंद्रयान TWO को चांद की दिशा में रवाना किया था .

भारत का सबसे शक्तिशाली रॉकेट होने के बावजूद इसकी क्षमता सिर्फ 4 हज़ार किलो है . इसका काम चंद्रयान TWO को पृथ्वी की ऊपरी कक्षा तक पहुंचाना था . इसके बाद चंद्रयान TWO के Propulsion system की मदद से इसकी ऊंचाई बढ़ाई गई और आखिरकार चंद्रयान TWO पृथ्वी की कक्षा से बाहर हो गया.

चंद्रयान TWO के इंजन भी Apollo 11 मिशन में इस्तेमाल हुए Engines के मुकाबले बहुत छोटे हैं . इसलिए इन्हें बीच-बीच में कुछ Seconds के लिए sTART करके Module की Speed बढ़ाई जाती है. जैसे ही चंद्रयान TWO चांद की कक्षा में पहुंचा...चंद्रमा ने उसे अपनी तरफ खींचना शुरू कर दिया.

ISRO ने इस मिशन पर 9 सौ 78 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. ये लागत Apollo- 11 मिशन की लागत का 10 प्रतिशत भी नहीं है . भारत ने ये साबित कर दिया है कि कामयाब होने के लिए अमीर होना ज़रूर नहीं है. हिम्मत और आत्मविश्वास के ज़रिए भी Orbit Shift की जा सकती है . यानी ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की जा सकती है. 

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