ZEE जानकारी: JNU के नकाबपोश गुंडों के चेहरे हुए बेनकाब
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ZEE जानकारी: JNU के नकाबपोश गुंडों के चेहरे हुए बेनकाब

हैरानी की बात ये है कि हिंसा के आरोपियों में JNU छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष का नाम भी शामिल है.

ZEE जानकारी: JNU के नकाबपोश गुंडों के चेहरे हुए बेनकाब

क्या JNU के DNA में ही हिंसा है? इस सवाल के पीछे दो वजहें है. पहली वजह है दिल्ली पुलिस का वो खुलासा..जिसके मुताबिक 5 जनवरी को JNU में हुई हिंसा में 9 लोगों का हाथ था..इनमें से 7 लेफ्ट पार्टियों से जुड़े हुए हैं..यानी वामपंथी हैं जबकि दो संबंध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद यानी ABVP से है. हमारे विश्लेषण की दूसरी वजह है. JNU का वो इतिहास जिसके मुताबिक ये विश्वविद्यालय हमेशा से राजनीति और हिंसा का केंद्र रहा है. इसी राजनीति और हिंसा की वजह से JNU को वर्ष 1980 और 1983 में बंद भी करना पड़ा था और आज दिल्ली पुलिस के खुलासे के बाद फिर से यही सवाल उठ रहे हैं कि क्या JNU को एक बार फिर कुछ वक्त के लिए बंद कर देना चाहिए ?

हैरानी की बात ये है कि हिंसा के आरोपियों में JNU छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष का नाम भी शामिल है. ये वही आइशी घोष हैं जिनका आरोप है कि हिंसा करने वालों ने उनके सिर पर रॉड से वार किया जिसकी वजह से उनका सिर फट गया. 5 तारीख को खून से सनी आइशी घोष की तस्वीरें वायरल हुई थीं. तब आइशी रो-रोकर सबको बता रही थीं कि कैसे वो हिंसा का शिकार हुई हैं और कैसे उन्हें बुरी तरह से पीटा गया है. उसदिन सबने इस हमले की निंदा की थी लेकिन आज दिल्ली पुलिस ने दावा किया है कि आईशी खुद उस हिंसा में शामिल थीं. यानी दिल्ली पुलिस ने आज JNU के नकाबपोश गुंडों में से कुछ को बेनकाब कर दिया है.

इसके अलावा JNU के पूर्व छात्र चुन-चुन कुमार, JNU के छात्र पंकज मिश्रा, भास्कर विजय, सुचेता तालुकदार, प्रिया रंजन और डोलन समानता का नाम भी आरोपियों में शामिल हैं. इन सभी का संबंध लेफ्ट पार्टियों से है और ये सभी इस वक्त JNU में अलग-अलग विषयों की पढ़ाई कर रहे हैं. जबकि आरोपियों में शामिल योगेंद्र भारद्वाज और विकास पटेल ABVP के कार्यकर्ता हैं. पुलिस ने हिंसा की घटना और इस हिंसा के आरोपियों की कुछ तस्वीरें भी जारी की हैं जो इस वक्त आपकी स्क्रीन पर हैं. इन तस्वीरों में हिंसा के आरोपी छात्रों के चेहरे साफ साफ दिखाई दे रहे हैं.

इस बारे में दिल्ली पुलिस ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में क्या कहा पहलेआप ये सुनिए.दिल्ली पुलिस के मुताबिक हिंसा की इस घटना को सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया. प्रशासन ने 1 जनवरी से 5 जनवरी के बीच नए सत्र यानी नए सेमिस्टर में दाखिला लेने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की शुरुआत की थी. इसके लिए एक Online Portal खोला गया था . लेकिन 3 जनवरी को कुछ छात्र संगठनों ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन का विरोध शुरू कर दिया. इनमें SFI यानी Students' Federation of India, AISA यानी All India Students Association, AISF यानी All India Students Federation और Democratic Students Federation यानी DSF जैसे छात्र संगठन शामिल थे . पुलिस के मुताबिक ये संगठन छात्रों को अगले सत्र के लिए Online Registraion नहीं करने दे रहे थे और जो छात्र Registration करा रहे थे..उन्हें डराया धमकाया जा रहा था.

पुलिस की जांच में पता चला है कि 4 जनवरी को कुछ छात्रों ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन रोकने के लिए Server के साथ छेड़छाड़ की. यानी इंटरनेट कनेक्शन को बाधित किया गया ताकि छात्र नए सत्र के लिए Registration ना कर पाएं . विरोध करने वाले संगठनों ने Staff को भी धक्के मारकर बाहर निकाल दिया था.

इसके बाद 5 जनवरी को सुबह साढ़े 11 बजे Registration कराने आए छात्रों के साथ. मारपीट की गई और शाम को 3 बजकर 45 मिनट पर JNU के मशहूर पेरियार हॉस्टल पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया. पुलिस के मुताबिक हिंसा के दौरान ही कुछ WhatsApp Groups भी बनाए गए और लोगों को इकट्ठा करने के लिए उनका इस्तेमाल हुआ. इंटरनेट कनेक्शन और WIFI बंद किए जाने की वजह से पुलिस को CCTV Footage भी नहीं मिल पाए हैं . पुलिस ने जिन छात्रों को चिन्हित किया..उनके चेहरे Viral Videos से पहचाने गए हैं.

दिल्ली पुलिस के आरोपों पर JNU छात्रसंघ की अध्यक्ष आईशी घोष का भी बयान आया है..उनका कहना है कि पुलिस उन्हें फंसाने की कोशिश कर रही है . आईशी के मुताबिक सिर्फ तस्वीरों से कुछ साबित नहीं होता. JNU हिंसा मामले पर हमने आज केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद से भी बात की. उनका कहना है कि JNU के कुछ छात्र पढ़ाई करने की इच्छा रखने वाले छात्रों को रोक रहे हैं . और इसके लिए हिंसा का भी सहारा ले रहे हैं जो पूरी तरह गलत है.

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