Zee Jaankari: जानिए, जम्मू-कश्मीर के इतिहास में इन 30 दिनों में क्या कुछ बदला?
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Zee Jaankari: जानिए, जम्मू-कश्मीर के इतिहास में इन 30 दिनों में क्या कुछ बदला?

कश्मीर घाटी में 26 हज़ार से अधिक लैंडलाइन फोन काम कर रहे हैं. लोगों को स्वास्थ्य की सुविधाएं मिल रही हैं. घाटी के लोगों को 24 घंटे बिजली मिल सके, इस विषय पर भी काम शुरु हो चुका है. 

Zee Jaankari: जानिए, जम्मू-कश्मीर के इतिहास में इन 30 दिनों में क्या कुछ बदला?

आज हम सबसे पहले जम्मू-कश्मीर के इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण 30 दिनों का विश्लेषण करेंगे. 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का ऐतिहासिक फैसला लिया था. इन 30 दिनों में घाटी में कई सारे बदलाव देखने को मिले हैं. कूटनीतिक, प्रशासनिक, राजनीतिक और आर्थिक स्तर पर जो काम पिछले 72 वर्षों में नहीं हुआ. वो अब हो रहा है. घाटी के लोगों को मुख्यधारा से जोड़कर उनके सुनहरे भविष्य की पटकथा लिखी जा रही है. कश्मीर घाटी के 90 फीसदी इलाके ऐसे हैं, जहां दिन के समय की पाबंदियां हटा दी गई हैं. जम्मू और लद्दाख सभी तरह की पाबंदियों से पहले से ही मुक्त हैं.

कश्मीर घाटी में 26 हज़ार से अधिक लैंडलाइन फोन काम कर रहे हैं. लोगों को स्वास्थ्य की सुविधाएं मिल रही हैं. घाटी के लोगों को 24 घंटे बिजली मिल सके, इस विषय पर भी काम शुरु हो चुका है. 5 अगस्त से लेकर अभी तक, सुरक्षाबलों की आतंकवाद विरोधी कार्रवाई में कोई Civil Casualty नहीं हुई है. कुछ लोगों की मौत ज़रुर हुई है.

लेकिन वो या तो पत्थरबाज़ों के शिकार हुए. या फिर आतंकवादियों ने उनकी हत्या की. इस बीच सेना ने भी कश्मीर के युवाओं को यही संदेश दिया है. कि उन्हें अपने परिवार का नाम रौशन करना है. बदलाव के इस दौर में उनके पास ढेर सारे मौके हैं. और कश्मीर के युवा ही घाटी के सुनहरे भविष्य के कर्ता-धर्ता बन सकते हैं. ये वो तमाम बातें हैं, जो हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान को बिल्कुल भी अच्छी नहीं लग रही होंगी .

कश्मीर के मोर्चे पर पाकिस्तान को हर जगह से पराजय मिली है. अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने उसका साथ नहीं दिया. संयुक्त राष्ट्र ने उसकी एक नहीं सुनी. इसीलिए, कश्मीर घाटी को अशांत करने के लिए उसने एक बार फिर वही पुराना तरीका आज़माया है. और वो है आतंकवाद. पाकिस्तान की सेना लगातार, जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ कराने की कोशिशें कर रही है.

और कम से कम 50 आतंकवादी, भारत में घुसपैठ करने की फिराक में हैं. लेकिन आज Chinar Corps के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल KJS ढिल्लों ने सिर्फ 39 मिनट में, सरल शब्दों में पाकिस्तान के चरित्र का वर्णन भी किया. और उसे 1971 के युद्ध की याद दिलाते हुए चेतावनी दी--- कि अगर पाकिस्तान की सेना या ISI, जम्मू-कश्मीर में कोई दुस्साहस करने की कोशिश करती है. तो उसका हश्र 1971 से भी बुरा होगा. अगर इस बार पाकिस्तान नहीं सुधरा, तो उसका हश्र 1971 से भी बुरा होगा. आपको संक्षेप में बताते हैं, कि वर्ष 1971 में क्या हुआ था ? 48 वर्ष पहले, 16 दिसम्बर 1971 के दिन ..

.आधुनिक सैन्य इतिहास में सबसे कम समय में किसी देश ने दूसरे देश के ख़िलाफ युद्ध जीता था. सिर्फ 13 दिन में युद्ध जीतकर भारतीय सेना ने साबित कर दिया था, कि पाकिस्तान लाख कोशिशों के बावजूद भारत से नहीं जीत सकता. 1971 में ना सिर्फ पाकिस्तान को ज़बरदस्त हार मिली थी, बल्कि उसके 2 टुकड़े भी हो गए थे.

क्योंकि पाकिस्तान के ज़ुल्मों से परेशान पूर्वी पाकिस्तान की जनता को आज़ादी मिली थी और बांग्लादेश का जन्म हुआ था. अभी आप 16 दिसम्बर 1971 की वो तस्वीरें देख रहे हैं, जब पाकिस्तान के 93 हज़ार सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने सरेंडर किया था. उस वक्त ढाका के रमना रेस कोर्स ग्राउंड पर भारत ने पाकिस्तानी सेना को सरेंडर के लिए विवश कर दिया था.

पाकिस्तानी सेना के तत्कालीन लेफ्टिनेंट जनरल आमिर अब्दुल खान नियाज़ी ने भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने अपने सैनिकों के साथ सरेंडर कर दिया था. इन 48 वर्षों में दुनिया कहां से कहां पहुंच गई. तीन दिन के बाद भारत चांद पर पहुंचने वाला है. जबकि पाकिस्तान अभी भी आतंकवादियों की चरण वंदना कर रहा है. और भारत में उनकी घुसपैठ करा रहा है. लेकिन, 2019 के नए भारत में घुसपैठ करने के सिर्फ दो अंजाम होंगे. या तो आतंकवादी मारे जाएंगे. या फिर पकड़े जाएंगे. 21 अगस्त को भारत के सुरक्षाबलों को जम्मू-कश्मीर के गुलमर्ग से एक बड़ी क़ामयाबी मिली . जब उन्होंने लश्कर ए तैय्यबा के दो आतंकियों को पकड़ा. ये दोनों आतंकी, पाकिस्तान के रावलपिंडी के रहने वाले हैं. और आज भारतीय सेना ने 39 मिनट के Press Conference की शुरुआत इन्हीं दोनों के कबूलनामे से की. जिसमें इन्होंने चाय की चुस्कियों के साथ पाकिस्तान की सेना का एक-एक सच दुनिया के सामने रख दिया. आपको याद होगा, जब पाकिस्तान की सेना ने विंग कमांडर अभिनंदन को अपनी गिरफ्त में लिया था.

तो उस वक्त उनसे जानबूझकर चुभने वाले प्रश्न पूछे गए थे. उनसे ये भी पूछा गया था, कि चाय कैसी है ? हालांकि, वो शिष्टाचार नहीं, बल्कि एक प्रकार का Torture था . रही बात इन पाकिस्तानी आतंकवादियों की तो, आज इन्हें चाय का असली स्वाद पता चल गया होगा. कश्मीर में स्थिति सामान्य ज़रुर हो रही है. लेकिन अभी भी लोगों के मन में आतंकवादियों का भय फैला हुआ है.

कई इलाकों से Curfew हटाया गया है. बावजूद इसके लोग डर के मारे अपनी दुकानें नहीं खोल पा रहे. क्योंकि, पाकिस्तान द्वारा समर्थित आतंकवादियों ने उन्हें धमकी दी है. कि अगर किसी ने अपनी दुकान खोली, तो अंजाम अच्छा नहीं होगा. इसका एक उदाहरण 29 अगस्त को दिखाई दिया. जब, श्रीनगर में 65 वर्ष के बुज़ुर्ग दुकानदार ने आतंकवादियों द्वारा बुलाए गए बंद के बावजूद अपनी दुकान खोली. और उसका नतीजा ये हुआ, कि आतंकवादियों ने उनकी हत्या कर दी. यहां पर सोचने वाली बात है, कि अगर सेना की किसी कार्रवाई के दौरान फायरिंग में किसी की मौत हुई होती, तो अब तक हंगामा मच गया होता.

अगर Pellet Gun से किसी की जान गई होती या किसी को ज़रा सी चोट भी लग गई होती, तो मानव अधिकार के चैम्पियन सक्रिय हो जाते. लोग मोमबत्तियां लेकर सड़कों पर उतर गए होते. और सुरक्षाबलों के खिलाफ एजेंडा चलाया जाता. लेकिन जब आतंकवादियों ने एक बुज़ुर्ग कश्मीरी की हत्या कर दी. तो सब चुप हैं. ये सबकुछ एक सोची समझी रणनीति के तहत हो रहा है. जिसमें पाकिस्तान और भारत में मौजूद उसके भक्तों से लेकर..पश्चिमी मीडिया तक...सब के सब मिले हुए हैं. और पूर्वाग्रह से पीड़ित होकर, जम्मू-कश्मीर के विषय में अनाप-शनाप बोल भी रहे हैं. और लिख भी रहे हैं.

जम्मू-कश्मीर पुलिस के Additional Director General of Police, मुनीर ख़ान ने आज एक ऐसे ही विदेशी मीडिया को Expose किया. और उसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए. इस बीच London में भारतीय उच्चायोग के बाहर, पाकिस्तान समर्थित हिंसक भीड़ का उपद्रव जारी है. जैसी तस्वीरें 15 अगस्त को दिखाई दी थीं, बिल्कुल वैसी ही तस्वीरें कल भी दिखाई दी हैं. पाकिस्तानी मूल के प्रदर्शनकारियों और खालिस्तानी समर्थकों ने ना सिर्फ भारतीय उच्चायोग के बाहर हिंसक प्रदर्शन किए. बल्कि उच्चायोग की इमारत को भी नुकसान पहुंचाया. हालांकि, भारत में ब्रिटेन के High commission ने इस हिंसक प्रदर्शन को बेहद शांतिप्रिय बताया है.

सवाल ये है, कि अगर ये प्रदर्शन इतना शांतिप्रिय था, तो फिर London में भारतीय उच्चायोग की इमारत पर हमला कैसे हो गया ? और शीशे कैसे टूट गए ? और अगर London में कुछ हुआ ही नहीं. तो फिर कल की घटना के बाद वहां के Mayor, Sadiq Khan ने Twitter पर आकर सफाई क्यों दी ? और उन्हें क्यों कहना पड़ा, कि वो इस व्यवहार की निन्दा करते हैं.

ये सबकुछ इसलिए हुआ, क्योंकि, कल की घटना के बाद, भारत के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करके अपनी आपत्ति जताई थी. और कहा था, कि ऐसी घटनाओं को कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता. इस मामले में अभी तक दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

आपको याद दिला दें, कि पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ब्रिटेन के प्रधानमंत्री Boris Johnson से बात की थी. और 15 अगस्त की घटना पर अपनी चिंता जताते हुए कहा था, कि कश्मीर के नाम पर कुछ भारत विरोधी तत्व अपना एजेंडा चला रहे हैं. जिसके बाद Boris Johnson ने अफसोस जताया था. और अब ब्रिटेन की संसद में भी इसकी गूंज सुनाई दी है.

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