ZEE Jaankari: राजपथ अब बनेगा भारत पथ, देश को सांकेतिक गुलामी से मिलेगी मुक्ति
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ZEE Jaankari: राजपथ अब बनेगा भारत पथ, देश को सांकेतिक गुलामी से मिलेगी मुक्ति

इस योजना के तहत केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने एक R.F.P यानी Request For proposal तैयार किया है. इस संबंध में कंपनियों से प्रस्ताव मांगे गए हैं और अगर सब कुछ तय समय के मुताबिक चला तो अगले महीने इससे जुड़े Tenders भी जारी कर दिए जाएंगे और वर्ष 2020 में इस परियोजना पर काम शुरू हो जाएगा. 

ZEE Jaankari: राजपथ अब बनेगा भारत पथ, देश को सांकेतिक गुलामी से मिलेगी मुक्ति

 

आज DNA की शुरुआत हम देश को सांकेतिक गुलामी से मुक्ति दिलाने वाले एक विश्लेषण से करेंगे. इस DNA के केंद्र में दिल्ली की पहचान माने जाने वाले राजपथ, राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, North Block, और South Block शामिल हैं. केंद्र सरकार ने राजपथ और इसके आसपास के 4 वर्ग किलोमीटर इलाके को पूरी तरह से बदलने की एक योजना बनाई है. ऐतिहासिक तौर पर इस क्षेत्र को Central Vista भी कहा जाता है. 

इस योजना के तहत केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने एक R.F.P यानी Request For proposal तैयार किया है. इस संबंध में कंपनियों से प्रस्ताव मांगे गए हैं और अगर सब कुछ तय समय के मुताबिक चला तो अगले महीने इससे जुड़े Tenders भी जारी कर दिए जाएंगे और वर्ष 2020 में इस परियोजना पर काम शुरू हो जाएगा. राजपथ के आसपास की 44 महत्वपूर्ण इमारतें... इसी Central Vista Zone में आती हैं, जिसमें संसद भवन के अलावा South Block और North Block भी शामिल हैं. इन्हीं Blocks में भारत सरकार के मंत्रालय और दूसरे महत्वपूर्ण दफ्तर हैं. प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री यहीं बैठते हैं.

इस परियोजना के तहत राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, North Block और South Block की इमारतों में अंदर से बदलाव किए जाएंगे. यानी इनके बाहरी ढांचे को नहीं बदला जाएगा बल्कि अंदर से इन्हें ज्यादा आधुनिक बनाया जाएगा. इसे Retro-Fitting कहते हैं. इसके अलावा उपराष्ट्रपति भवन, निर्माण भवन, Indira Gandhi National Center for arts और National Archives of India की इमारतों में बड़े पैमाने पर 

परिवर्तन किए जा सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक शास्त्री भवन, उद्योग भवन, रेल भवन, संचार भवन और कृषि भवन जैसी कई इमारतों को तोड़कर यहां नया एकीकृत Zone बनाया जा सकता है. यानी आप इसे मंत्रियों, सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों का Office Campus भी कह सकते हैं. इस नई योजना के तहत एक Common Secretariat यानी संयुक्त सचिवालय का निर्माण किया जाएगा जिसमें 70 हज़ार सरकारी कर्मचारी एक साथ काम कर पाएंगे.

हिंदी में Vista का अर्थ होता है, हरे भरे पेड़ों और सुंदर इमारतों के बीच से गुज़रता मनोरम रास्ता. दिल्ली का राजपथ बिल्कुल ऐसा ही दिखता है. Central Vista और इसके आसपास का इलाका 4 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला है जिसका निर्माण British Architect-Sir Edwin Lutyens और Sir Herbert Baker (हर्बट बेकर) ने वर्ष 1911 से वर्ष 1932 के बीच किया था. इसलिए इस इलाके को आज भी Lutyens दिल्ली के नाम से जाना जाता है. शहरी विकास मंत्रालय ने इस इलाके की तस्वीर बदलने की जो योजना तैयार की है उसका मकसद एक ऐसे Central Zone का निर्माण करना है, जो नए भारत के मूल्यों और आकांक्षाओं की अभिव्यक्ति करने में सक्षम हो.

संसद भवन, राष्ट्रपति भवन और राजपथ देश की ऐतिहासिक धरोहर हैं लेकिन इनके साथ गुलामी का इतिहास भी जुड़ा हुआ है. राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक जाने वाली सड़क को पूरा देश राजपथ के नाम से जानता है. ये वही सड़क है जहां हर वर्ष गणतंत्र दिवस के मौके पर परेड का आयोजन किया जाता है. आज़ादी से पहले इस मार्ग को Kings Way कहा जाता था, जिसका अर्थ है- राजा के गुज़रने का रास्ता. आज़ादी के बाद इसका नाम राज-पथ कर दिया गय यानी इसके नाम का सिर्फ हिंदी अनुवाद किया गया. इसके पीछे की औपनिवेशिक सोच नहीं बदली गई. भारत से ब्रिटिश राज चला गया लेकिन राजपथ नहीं गया । लेकिन अब दिल्ली की इस पहचान को बदलने की तैयारी कर ली गई है.

राजपथ से राजसी आन-बान और शान की झलक मिलती है. यानी ऐसा लगता है कि देश में शायद अभी भी राजा और प्रजा वाला माहौल है. आज़ादी के बाद राजपथ..भारत के स्वाभिमान का साक्षी भी बना क्योंकि यही वो मार्ग है जहां हर वर्ष भारत अपनी सांस्कृतिक और सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करता है लेकिन इसके ब्रिटिश इतिहास को भुलाया नहीं जा सकता इसलिए राजपथ को अब भारत पथ बनाए जाने की ज़रूरत है. राजपथ के आसपास मौजूद कई महत्वपूर्ण सरकारी भवन और इमारतें खस्ता हालत में हैं और इनमें से ज्यादातर भूकंपरोधी भी नहीं हैं. इसलिए इन्हें बचाने के लिए ये योजना बहुत ज़रूरी है.

नई परियोजना के तहत सरकार ऐसी इमारतों का निर्माण करना चाहती है जिनकी उम्र करीब 150 से 200 वर्ष के बीच होगी. सरकार का लक्ष्य है कि इस परियोजना को वर्ष 2022 तक पूरा कर लिया जाए, क्योंकि उसी वर्ष भारत आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा. यानी आज़ादी के 7 दशकों के बाद पहली बार भारत की सत्ता का केंद्र अंग्रेज़ी साम्राज्य की निशानियों से मुक्त हो पाएगा. दिल्ली की सांस्कृतिक विरासत को अब न्यू इंडिया यानी नए भारत की पहचान बनाया जाएगा और इसके लिए एक टाइम लाइन भी तय की गई है. हालांकि Town Planning के जानकार मानते हैं कि 3 से 5 वर्षों के अंदर इस परियोजना को पूरा करना आसान नहीं होगा क्योंकि इसके लिए कई मंत्रालयों और विभागों की अनुमति लेनी होगी. 

संसद भवन का निर्माण वर्ष 1927 में पूरा हुआ था और तब इसका उद्घाटन भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल Lord irwin ने किया था. संसद भवन को लोकतंत्र का मंदिर माना जाता है. पिछले 72 वर्षों में देशभर में कई प्राचीन मंदिरों का जीर्णोद्धार किया गया है लेकिन लोकतंत्र के इस मंदिर की हालत सुधारने की तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया. आपको जानकर हैरानी होगी कि इसी वर्ष.. आज़ादी के बाद पहली बार.. बहुत बड़े स्तर पर संसद भवन की धुलाई और सफ़ाई की गई थी. संसद भवन में 790 सांसदों के बैठने की व्यवस्था है लेकिन यहां कामकाज के लिए सांसदों के पास अपने कमरे और Chambers नहीं हैं. जल्द ही देशभर में लोकसभा की सीटों का परिसीमन किया जा सकता है. 

इसके बाद संसद में सीटों की संख्या बढ़ानी होगी और वर्तमान की सच्चाई ये है कि मौजूदा सांसदों के पास भी पर्याप्त जगह नहीं है. सांसद कई बार जगह की कमी की शिकायत कर चुके हैं. संसद भवन, राष्ट्रपति भवन और राजपथ के साथ देश की भावनाएं जुड़ी हैं लेकिन अफसोस की बात ये है कि इनका इतिहास गुलामी के दिनों की भी याद दिलाता है. नया भारत गुलामी की बेड़ियों को तोड़ना चाहता है इसलिए अब वक्त आ गया है कि राजपथ के साथ ही संसद भवन और राष्ट्रपति भवन का नव-निर्माण भी नए भारत के सपनों के अनुसार किया जाए. 

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