ZEE जानकारी: चाणक्य की 'राज'नीति नहीं 'राष्ट्र'नीति का समझिए
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ZEE जानकारी: चाणक्य की 'राज'नीति नहीं 'राष्ट्र'नीति का समझिए

राजनीति के बाद अब हम उस व्यक्ति के जीवन का विश्लेषण करेंगे जो राजनीति की चर्चाओं का केंद्र बना हुआ है. घरों में लोग इसी व्यक्ति की बातें कर रहे हैं. 

ZEE जानकारी: चाणक्य की 'राज'नीति नहीं 'राष्ट्र'नीति का समझिए

राजनीति के बाद अब हम उस व्यक्ति के जीवन का विश्लेषण करेंगे जो राजनीति की चर्चाओं का केंद्र बना हुआ है. घरों में लोग इसी व्यक्ति की बातें कर रहे हैं. चाय की दुकानों पर भी इन्हीं का नाम लिया जा रहा है . दफ्तरों में कर्मचारी भी इन्हीं की चर्चा कर रहे हैं . यहां तक कि News Channels पर भी इसी व्यक्ति का नाम बार-बार लिया जा रहा है और सोशल मीडिया पर भी यही व्यक्ति Trend कर रहा है. ये व्यक्ति कोई राजनेता नहीं है, कोई सेलिब्रिटी भी नहीं है, क्रिकेटर भी नहीं है और इनका फिल्मों से भी कोई लेना देना नहीं है.

लेकिन राजनेताओं में इस व्यक्ति के साथ अपना नाम जोड़ने की होड़ मची है . इस व्यक्ति का नाम है चाणक्य . लेकिन आज हम आपका परिचय कलयुग की राजनीति के चाणक्यों से नहीं बल्कि असली चाणक्य से कराएंगे .चाणक्य का जन्म.. आज से 2300 वर्ष पहले हुआ था . इन 2300 वर्षों में भारत बदल गया, भारत का नक्शा बदल गया, राजाओं की जगह जनता द्वारा चुने गए नेताओं ने ले ली . लेकिन राजनीति का स्वरूप नहीं बदला..2300 वर्ष पहले भी सत्ता के लिए बड़े बड़े युद्ध हुए थे और आज भी सत्ता के लिए ही सारी लड़ाइयां लड़ी जा रही हैं . लेकिन सत्ता के इस लालच के बीच चाणक्य ने राजनीति के शुद्धिकऱण के लिए अपना सारा जीवन दांव पर लगा दिया था .

चाणक्य आज भारत में Trend कर रहे हैं . लेकिन 2300 वर्ष पहले वो पूरी दुनिया में Trend किया करते थे . ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि चाणक्य के जीवनकाल के दौरान ही..भारत में मौर्य साम्राज्य की स्थापना हुई . और उस वक्त भी उनकी राजनीतिक समझ की चर्चा पूरी दुनिया में हुआ करती थी . ग्रीस के बहुत सारे राजा..उनके जीवनकाल के दौरान भारत पर हमला करने से डरते थे..क्योंकि बाहरी आक्रमणकारियों से लड़ने के लिए ही चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य को एक शक्तिशाली राजा के तौर पर स्थापित किया था.

यानी चाणक्य हर कीमत पर..देश की अखंडता की रक्षा करना चाहते थे . और उन्होंने ऐसा किया भी . चाणक्य देश के राजा को प्रजा का सेवक मानते थे और कहते थे कि सिंहासन पर बैठने वाला व्यक्ति सिर्फ राजा नहीं होता..बल्कि वो धर्म का प्रवर्तक भी होता है . यानी एक राजा की जिम्मेदारी सिर्फ सत्ता हासिल करना नहीं है..बल्कि धर्म यानी न्याय की स्थापना करना ही एक राजा का ध्येय होना चाहिए . लेकिन आज हमारे देश में इसी राजधर्म मज़ाक उड़ाया जा रहा है.

यानी चाणक्य आज Trend तो कर रहे हैं लेकिन उनकी सिखाई बातों को कोई किसी के साथ Share नहीं करना चाहता, Viral नहीं करना चाहता . नेताओं में चाणक्य बनने की होड तो लगी है..लेकिन ज्यादातर नेता भी देश को चाणक्य के चश्मे से नहीं देखना चाहते . उनके लिए साम दाम दंड भेद जैसी नीतियां..राज्य की रक्षा करने का माध्यम नहीं बल्कि सिर्फ विरोधियों को हराने का माध्यम बन गई है .

यानी जो चाणक्य नीति देश को चलाने का शास्त्र बन सकती है..उस चाणक्य नीति का प्रयोग सिर्फ जनता की आंखों में धूल झोंकने के लिए हो रहा है.

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