zee jaankari: 'अपने' पत्रकारों पर फूल, ZEE NEWS के पत्रकारों पर हमला क्यों?
Advertisement

zee jaankari: 'अपने' पत्रकारों पर फूल, ZEE NEWS के पत्रकारों पर हमला क्यों?

जी न्यूज संवाददाता नीरज गौड़ और जितेंद्र शर्मा के साथ धक्का-मुक्की की गई. जबकि जी न्यूज कैमरा Person कमर ख़ान को भीड़ ने बुरी तरह पीटा. इस दौरान Zee News का कैमरा छीनकर उसे तोड़ दिया गया.

zee jaankari: 'अपने' पत्रकारों पर फूल, ZEE NEWS के पत्रकारों पर हमला क्यों?

72 वर्ष पहले आज ही के दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की देश की राजधानी दिल्ली में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. आज उसी दिल्ली में एक बार फिर से गोली चली है. और इस गोली कांड ने Twenty Twenty के भारत पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं. दिल्ली के जामिया नगर में नए नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे थे. इन्हीं प्रदर्शनों के दौरान गोपाल नाम के एक नाबालिग युवा ने एक प्रदर्शनकारी छात्र पर गोली चला दी. इस गोली कांड के बाद दिल्ली के अलग अलग इलाकों में प्रदर्शन शुरू हो गए. प्रदर्शनकारी हिंसा की इस घटना की निंदा कर रहे थे.

और ज़ी न्यूज़ भी प्रदर्शनकारियों पर इस हमले की कड़ी निंदा और भर्त्सना करता है. लेकिन शाम होते-होते इस घटना का विरोध खुद हिंसक प्रदर्शनों में बदल गया. और हमेशा की तरह इन हिंसक प्रदर्शनकारियों का पहला शिकार बना Zee News.  Zee News के संवाददाता जितेंद्र शर्मा और नीरज गौड़ जब दिल्ली के सुखदेव विहार में विरोध प्रदर्शन की कवरेज कर रहे थे.

तभी भीड़ ने इन दोनों Reporters पर हमला कर दिया. हमारे संवाददाता नीरज गौड़ और जितेंद्र शर्मा के साथ धक्का-मुक्की की गई. जबकि हमारे कैमरा Person कमर ख़ान को भीड़ ने बुरी तरह पीटा. इस दौरान Zee News का कैमरा छीनकर उसे तोड़ दिया गया. सोमवार को जब हमने शाहीन बाग जाकर Reporting की थी. तब भी हमें विरोध का सामना करना पड़ा था. हमें ऐसा लग रहा था कि जैसे हम भारत के किसी इलाके में नहीं बल्कि किसी और देश में खड़े हैं. जहां जाने के लिए हमें इजाजत लेनी होगी. 

लेकिन ये सब हो क्यों रहा है? क्यों देश को दो हिस्सों में बांटा जा रहा है? आज आपको ये समझने के लिए दिल्ली पुलिस के उस खुलासे के बारे में जानना चाहिए जो भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने वाली सोच का पर्दाफाश करता है.

टुकड़े टुकड़े गैंग, बुद्धीजीवी और डिज़ाइनर पत्रकार ये आरोप लगाते हैं कि भारत को एक हिंदू राष्ट्र बनाने की कोशिश की जा रही है. जबकि सच ये है कि पांच हज़ार वर्षों के इतिहास में भारत ने कभी खुद को हिंदू राष्ट्र के तौर पर स्थापित नहीं किया. जनसंख्या के हिसाब से देखा जाए तो भारत एक हिंदू राष्ट्र नहीं बल्कि हिंदुओं का राष्ट्र है.

लेकिन फिर भी भारतीय सभ्यता ने कभी किसी दूसरे धर्म को खारिज नहीं किया और धर्म पर आधारित राष्ट्र बनाने का सपना भी नहीं देखा. लेकिन भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने का सपना बहुत लोग देखते आए हैं और ये सपना आज भी देखा जा रहा है. 

पहले ये सपना 1300 साल पहले भारत आए मुसलमान आक्रमणकारियों ने देखा था. फिर मोहम्मद अली जिन्ना जैसे नेताओं ने ये सपना देखना शुरू किया और अब शरजील इमाम जैसे देशद्रोह के आरोपी ये सपना देख रहे हैं. देशद्रोही बयान देने के आरोप में JNU का छात्र शरजील इमाम इस वक्त दिल्ली पुलिस की हिरासत में है.

और पूछताछ के दौरान शरजील ने जो खुलासे किए हैं. वो पूरे देश को चिंता में डाल देंगे. सूत्रों के मुताबिक शरजील ने पूछताछ में बताया है कि वो भारत को एक इस्लामिक राष्ट्र बनाना चाहता है. आपने बिल्कुल ठीक सुना हमारे ही देश का एक छात्र जो देश के लोगों के टैक्स के पैसे से शिक्षा हासिल कर रहा है. जो JNU जैसी प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में पढ़ रहा है, जो देश के बुद्धिजीवियों और अंग्रेज़ी बोलने वाले Celebrities का नया आदर्श बन गया है वो भारत को एक इस्लामिक राष्ट्र बनाना चाहता है. शरजील ठीक वही सपना देख रहा है जो टुकड़े टुकड़े गैंग देखता है, जो Popular Front Of India (PFI) जैसे संगठन देखते हैं और जो पाकिस्तान देखता है.

यानी गज़वा-ए-हिंद का जो सपना पहले सिर्फ पाकिस्तान और वहां बैठे आतंकवादी संगठन देखा करते थे. वो सपना अब भारत के कुछ लोग भी देखने लगे हैं. शरजील IIT से ग्रेजुएट है और फिलहाल JNU में आगे की पढ़ाई कर रहा है वो डेनमार्क की एक यूनिवर्सिटी के लिए भी काम कर चुका है.

अब आप अंदाज़ा लगाइए कि शरजील जहां भी रहता होगा, जहां भी पढ़ता होगा, या फिर जहां भी नौकरी करता होगा, जिस परिवार में रहता होगा, जिस मोहल्ले में रहता होगा वहां के लिए ये कितना बड़ा वैचारिक Time Bomb है. और ऐसे हज़ारों Time Bomb इस समय आपके आपसपास घूम रहे हैं. और इन Time Bombs में जो बारूद भरा गया है. उसका नाम है गज़वा-ए-हिंद.

गज़वा-ए-हिंद उस थ्योरी का नाम है. जिसके मुताबिक मुसलमानों का आखिरी उद्धेश्य हिंदुओं का कत्ल करके भारत को एक इस्लामिक राष्ट्र बनाना है. इस्लाम के कुछ जानकार मानते हैं कि गज़वा-ए-हिंद की भविष्यवाणी पैगबंर मोहम्मद ने की थी. जिसके मुताबिक मुसलमानों का एक समूह हिंदुस्तान पर आक्रमण करेगा और काफिरों को मारने के बाद एक बार फिर भारत पर मुसलमानों का शासन होगा.

ये Theories कितनी सही हैं. ये कहना तो मुश्किल है. लेकिन ये लश्कर-ए-तैयबा और जैश के मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठन गज़वा-ए-हिंद को भी अपना सबसे बड़ा मकसद मानते हैं और पाकिस्तान की सेना का भी अंतिम लक्ष्य यही है. लेकिन फिलहाल ये काम हमारे ही देश के कुछ लोग कर रहे हैं. शरजील ऐसे ही लोगों में से एक है.

शरजील ने पूछताछ में बताया है कि वो भारत में मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों से बहुत आहत है. और उसे अपने बयानों पर कोई पछतावा नहीं है. पुलिस के सूत्रों का कहना है कि शरजील पूरी तरह से कट्टरपंथ का शिकार है और इसीलिए भी वो भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाना चाहता है. दिल्ली पुलिस शरजील और इस्लामिक संगठन Popular Front Of India के संबंधों की भी जांच कर रही है .

शरजील देश को इस्लामिक राष्ट्र बनाना चाहता है. तो देश के कुछ युवा विरोध के नाम पर सड़कों पर खून खराबा कर रहे हैं. महात्मा गांधी ने देश को अहिंसा और सत्य के रास्ते पर चलना सिखाया था. लेकिन महात्मा गांधी का देश होने के बावजूद भारत कभी. इन दोनों गुणों को पूरी तरह आत्मसात नहीं कर पाया. इसी का नतीजा है कि कभी सत्याग्रह के नाम पर हो रहे आंदोलन हिंसक हो जाते हैं. तो कभी आंदोलनों का विरोध करने वाले लोग गोली चला देते हैं.

दिल्ली के जामिया नगर इलाके में आज ऐसा ही हुआ. इस इलाके में जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के कुछ छात्र एक मार्च निकाल रहे थे. इसी मार्च के दौरान राम गोपाल नाम के एक युवा ने शादाब नाम के एक प्रदर्शनकारी छात्र पर गोली चला दी. ये गोली शादाब के हाथ में लगी और अब उसका इलाज दिल्ली के एक अस्पताल में चल रहा है.

ये गोली कुछ फीट की दूरी से चलाई गई थी. जो सीधे प्रदर्शनकारी छात्र के हाथ में लगी. हैरानी की बात ये है कि दिल्ली पुलिस के कई जवान पास में ही खड़े थे. लेकिन उनमें से किसी ने भी इस हमलावर को रोकने की कोशिश नहीं की. इसलिए आज हिंसा रोकने के लिए दिल्ली पुलिस की तैयारियों पर भी सवाल उठ रहे हैं. 

एक तरफ शरजील जैसे युवा हैं. जो देश को तोड़ने और इसे इस्लामिक राष्ट्र बनाने का सपना देख रहे हैं. दूसरी तरफ गोपाल जैसे युवा हैं. जो कट्टर सोच से प्रभावित होकर हिंसा का रास्ता चुन रहे हैं. अब ये देश के लोगों को तय करना है कि वो शरजील के साथ खड़े हैं, गोपाल के साथ या फिर भारत की उस पहचान के साथ जो सत्य और अहिंसा से जुड़ी है.

नए नागरिकता कानून के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शनों में अब हिंसा की एंट्री हो चुकी है. इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि हिंसा किस तरफ से की जा रही है. हिंसा चाहे कोई भी करे. उसकी निंदा की जानी चाहिए और हिंसा करने वालों की जगह सिर्फ जेल में है. लेकिन जब कोई आंदोलन खुद हिंसा का शिकार हो जाता है. या उसकी वजह से हिंसा होती है. तो उसे स्थगित कर देना चाहिए. गांधी जी का भी यही विचार था.

आज से करीब 100 वर्ष पहले गांधी जी ने अंग्रेज़ों के खिलाफ असहयोग आंदोलन की शुरुआत की थी. सत्याग्रह पर आधारित ये आंदोलन पूरी तरह से अहिंसक था. लेकिन 1922 में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के चौरी चौरा में अचानक ये आंदोलन हिंसक हो गया. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई और बदले में प्रदर्शनकारियों ने एक पुलिस चौकी में आग लगा दी. इसमें 22 पुलिस वाले मारे गए. इस घटना से गांधी जी इतने दुखी हुए कि उन्होंने ये आंदोलन वापस ले लिया.

जिस वक्त बापू ने ये फैसला किया उस वक्त ये आंदोलन अपने चरम पर था. और इसने भारत में ब्रिटिश सरकार की नींव हिला दी थी. लेकिन हिंसा की एक घटना के बाद उन्होंने अपना सबसे बड़ा आंदोलन वापस लेने में एक पल भी नहीं लगाया. इसका नतीजा ये हुआ कि कांग्रेस के कई नेता गांधी जी से अलग हो गए.

इनमें भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के पिता मोती लाल नेहरू और चितरंजन दास भी थे. जिन्होंने स्वराज नाम से अपनी अलग पार्टी बना ली. गांधी जी के इस फैसले का विरोध करने वालों में खान बंधु भी थे. इनके नाम थे शौकत अली और मोहम्मद अली जौहर. मोहम्मद अली जौहर एक वक्त पर मोहम्मद अली जिन्ना के 14 सूत्रीय योजना के भी समर्थक थे.

जिन्ना की इस 14 सूत्रीय योजना को आप पाकिस्तान बनने का आधार भी कह सकते हैं. इस योजना के तहत मांग की गई थी कि भारत के मुसलमानों को चुनावों में सिर्फ मुसलमान नेताओं को वोट डालने का हक दिया जाए और साथ ही केंद्र और राज्य के मंत्रीमंडल में मुसलमानों को 33 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए इसके अलावा संविधान में भारत के मुसलमानों की संस्कृति, धर्म और शिक्षा की रक्षा करने का भी प्रावधान हो.

हालांकि कांग्रेस ने जिन्ना के इन प्रस्तावों को खारिज कर दिया था और माना जाता है कि इसके बाद ही जिन्ना ने पाकिस्तान का सपना देखना शुरू कर दिया था. हम आज ये सब आपको इसलिए बता रहे हैं ताकि आप समझ पाएं कि एक आंदोलन के रुकने की वजह से महात्मा गांधी का साथ उनके अपनों ने ही छोड़ दिया था, और साथ छोड़ने वाले कुछ नेता तो Two Nation Theory में भी विश्वास करने लगे थे . लेकिन गांधी जी अपने आंदोलनों में हिंसा को ज़रा भी जगह नहीं देना चाहते थे..इसलिए आज इन प्रदर्शनकारियों को भी महात्मा गांधी का अनुसरण करते हुए..आंदोलन को स्थगित कर देना चाहिए .

और जो लोग इन प्रदर्शनकारियों का विरोध करने के नाम पर गोलियां चला रहे हैं. उन्हें भी कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए..क्योंकि महात्मा गांधी के देश में हिंसा को बिलकुल भी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. गांधी जी कहते थे कि आंख के बदले आंख की जिद पूरी दुनिया को अंधा बना देगी. इसलिए आज पूरे भारत को आंखें खोलने की ज़रूरत है. ताकि जो आज जामिया में हुआ वो कहीं और ना हो. अब इस मामले पर राजनीति और आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है. 

आज हम आपको गोपाल और शरजील की कहानी दिखा रहे हैं. ये दोनों देश के युवा हैं. दोनों छात्र हैं यानी पढ़ाई कर रहे हैं लेकिन दोनों ही अब नफरत का रास्ता अपना चुके हैं. आप कह सकते हैं कि देश की सड़कों पर अब एक खूनी खेल शुरू हो चुका है. जिसकी कीमत आने वाले देश में भारत के लोगों को ही चुकानी होगी. क्योंकि अगर देश के युवा ही भारत को बांटने और एक दूसरे पर गोलियां चलाने की नीति पर चलने लगेंगे तो फिर देश के भविष्य का क्या होगा.

शरजील इमाम भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाना चाहता है. जबकि सच ये है कि दुनिया में इस समय करीब 60 इस्लामिक राष्ट्र हैं. 53 मुस्लिम देशों में कानून का आधार शरिया है. जबकि 17 इस्लामिक देश ऐसे हैं. जहां कानूनन सिर्फ कोई मुसलमान ही राष्ट्र अध्यक्ष बन सकता है. जबकि बाकी के देशो में भी किसी गैर मुसलमान का राष्ट्र अध्यक्ष बनना लगभग असंभव है.

इसलिए शरजील चाहे तो इनमें से किसी भी देश में जाकर रह सकता है. शरजील पाकिस्तान जा सकता है, बांग्लादेश में शरण मांग सकता है या फिर वो सऊदी अरब, यमन, कुवैत और इराक जैसे देशों में भी जाकर रह सकता है. शरजील का सपना भारत को एक इस्लामिक राष्ट्र बनाना है. क्योंकि उसे लगता है कि भारत को एक हिंदू राष्ट्र बनाया जा रहा है. जबकि सच ये है कि आज की तारीख में दुनिया में कोई भी देश हिंदू राष्ट्र नहीं है.

जबकि पूरी दुनिया में हिंदू धर्म को मानने वालों की संख्या 100 करोड़ से ज्यादा है. अगर ये सभी हिंदू वाकई अपना एक अलग देश बना लें तो आबादी के हिसाब से ये किसी एक धर्म को मानने वाला दुनिया का सबसे बड़ा देश होगा.

Trending news