सन 1943 में जापान की फौज... Burma यानी आज के दौर के Myanmar पर कब्ज़ा करने के बाद भारत पर भी हमला करने की तैयारी में थी. उस दौर में ये माना जाता था कि जापानी सैनिक जंगल में युद्ध करने में माहिर होते हैं.
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आपने नोट किया होगा कि जब भी इतिहास में हुए युद्ध और लड़ाइयों की चर्चा की जाती है तो उन्हें तारीख़ों और जीतने या हारने वालों के नाम तक सीमित कर दिया जाता है. लेकिन आज हम युद्ध की तारीख़ के बारे में नहीं बल्कि युद्ध की तकनीक के बारे में बात करेंगे. ये एक ऐसी युद्ध तकनीक है जिसने पूरी दुनिया के सैनिकों को सर्जिकल स्ट्राइक करना सिखाया...आप इसे Mother of Surgical Strikes भी कह सकते हैं. दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान के सैनिक पूरे एशिया पर कब्ज़ा करने के मकसद से आगे बढ़ रहे थे इस दौरान उन्होंने इंडोनेशिया, सिंगापुर और थाईलैंड पर अधिकार कर लिया था
सन 1943 में जापान की फौज... Burma यानी आज के दौर के Myanmar पर कब्ज़ा करने के बाद भारत पर भी हमला करने की तैयारी में थी. उस दौर में ये माना जाता था कि जापानी सैनिक जंगल में युद्ध करने में माहिर होते हैं. इसलिए उन्हें हराना नामुमकिन है लेकिन ब्रिटिश सेना का एक अफसर ब्रिगेडियर इस बात से सहमत नहीं था. उसने 1943 में एक बहुत ही कठिन Deep Penetration Operation की योजना बनाई, जिसमें 3 हज़ार सैनिकों को बर्मा के घने जंगलों में जापानी सैनिकों के पीछे उतारना था और वहां सर्जिकल स्ट्राइक करके जापानियों की सप्लाई लाइन को तोड़ना था.
इस फोर्स का नाम था CHINDITS. दरअसल ये एक पौराणिक प्रतीक है जो आधा शेर है और इसे बर्मा में मंदिरों का रक्षक माना जाता है. इसे बर्मा की भाषा में चिंथे कहते हैं और उसी के नाम पर इन सैनिकों को CHINDITS कहा गया..