Zee जानकारी : किक मारो तो एक कश्मीरी की तरह मारो
Advertisement

Zee जानकारी : किक मारो तो एक कश्मीरी की तरह मारो

Zee जानकारी : किक मारो तो एक कश्मीरी की तरह मारो

ये तो आप सभी जानते हैं, कि कश्मीर देश का वो हिस्सा है, जहां से देश-विरोधी आवाज़ें उठती रही हैं। जब इसी वर्ष अप्रैल के महीने में श्रीनगर के NIT कैम्पस में भारत विरोधी हरकतें हुईं थीं..तो हमारे देश के बुद्धिजीवी वर्ग ने मौन व्रत धारण कर लिया था। कश्मीर में झूठी अफवाहों का एजेंडा चलाकर भारतीय सेना को भी बदनाम करने की साज़िश होती रहती हैं, लेकिन फिर भी कोई उफ्फ तक नहीं करता...कश्मीरी अलगाववादी...पाकिस्तान के प्रति प्रेम का प्रदर्शन करते हैं...और भारत के टुकड़े करने की धमकी देते हैं....इसके बावजूद कोई इनके ख़िलाफ आवाज़ नहीं उठाता....

इतना ही नहीं...जम्मू-कश्मीर में एक क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन होता है...जिसमें भाग लेने वाली 3 टीमों के नाम, आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकवादियों के नाम पर रख दिए जाते हैं.... और कश्मीर के त्राल सेक्टर में ये टूर्नामेंट दो महीने तक चलता रहता है....फिर भी इस पर किसी को आपत्ति नहीं होती। कश्मीर ने इन सभी घटनाओं को देखा है और इनकी चुभन को सहन किया है... हमारे ही देश के कुछ लोगों ने कश्मीर की विचारधारा को अपने एजेंडे के रंग से Paint करने की कोशिश की है..  लेकिन आज, ऐसे सभी लोगों के लिए हमारे पास एक Surprise है.....

ऐसे सभी लोगों को शर्मिन्दा करने के लिए आज मैं आपकी मुलाकात...कश्मीर के बडगाम ज़िले के 7 कश्मीरी बच्चों से कराऊंगा। जिनके बारे में ये कहा जा रहा है, कि Kick-it like a Kashmiri...यानी किक मारो तो एक कश्मीरी की तरह मारो....ऐसा इसलिए, क्योंकि जिस वक्त कश्मीर में पत्थरबाज़ों की फौज पथराव करने में व्यस्त थी, उस वक्त कश्मीर के ये होनहार बच्चे,  International Championship Of Martial Arts की तैयारी कर रहे थे। यानी पथराव करने वाले पत्थरबाज़ देश को चोट पहुंचा रहे थे....और ये बच्चे देश का नाम रोशन करने के लिए खून-पसीना एक कर रहे थे। आज आपको ये जानकर गर्व होगा, कि भूटान में आयोजित हुए टूर्नामेंट में इन बच्चों ने, 6 गोल्ड मेडल और एक सिल्वर मेडल जीतकर देश को नए साल का तोहफा दिया है।

इसके अलावा, मैं आपकी मुलाकात कश्मीर की उस महिला बॉक्सर से भी कराऊंगा, जिसका ख्वाब देश के लिए मेडल जीतना है। इस महिला बॉक्सर का नाम है अंदलीब ज़ैहरा। अंदलीब... बॉक्सर Mary Kom को अपना रोल मॉडल मानती हैं और उन्हीं के नक्शे कदम पर चलते हुए, ओलंपिक्स में देश के लिए मेडल जीतना चाहती हैं।

नोटबंदी के बाद देश के लोगों को भले ही थोड़ी बहुत तकलीफ का सामना करना पड़ा हो। लेकिन नोटबंदी के चाबुक की चोट सबसे ज़्यादा कश्मीर के पत्थरबाज़ों और अलगाववादियों को लगी है। क्योंकि पिछले 51 दिनों से कश्मीर में पत्थरबाज़ी की घटनाओं पर ब्रेक लग चुका है। और खुशी की बात ये है, कि अब वहां से बुरी ख़बरें नहीं, बल्कि अच्छी ख़बरें आने लगी हैं। हालांकि, ये भी एक दुखद विडंबना ही है, कि कश्मीर से आ रहे 'शुभ समाचारों' को दिखाने की दिलचस्पी किसी को नहीं है। 
लेकिन हमें लगता है, कि आज आपको कश्मीर की सकारात्मक सोच वाली ख़बर के बारे में संपूर्ण जानकारी होनी चाहिए...मैं चाहूंगा कि आप पूरे परिवार के साथ बैठकर....इस ख़बर में छिपी शिक्षा को ग्रहण करें....मैं यहां उन युवा दर्शकों से ख़ासतौर पर अपील करना चाहता हूं...जो अपने जीवन में क़ामयाब होना चाहते हैं....यकीन मानिए...कश्मीर के 7 बच्चों और समाज की रूढ़ीवादी सोच पर 'मुक्का' चलाने वाली महिला बॉक्सर की कहानी, आपके जीवन के लिए भी एक Turning Point साबित हो सकती है....

आपको याद होगा, जब हिजबुल मुजाहिद्दीन का आतंकवादी बुरहान वानी मारा गया था, तो अलगवावादियों ने उसे अपना हीरो बताया था। कुछ लोगों ने बुरहान वानी को कश्मीर का Brand Ambassador बनाकर, उसका महिमामंडन भी किया था। लेकिन अगर आप एक सच्चे देशभक्त से पूछेंगे, तो वो यही बोलेगा, कि सही मायने में जम्मू कश्मीर के असली Brand Ambassador, ये युवा हैं.. जिनके बारे में हमने आपको बताया। 

Trending news