Zee जानकारी : सफेद बाघों को बचाएगी रीवा की ह्वाइट टाइगर सफारी
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Zee जानकारी : सफेद बाघों को बचाएगी रीवा की ह्वाइट टाइगर सफारी

आपने अक्सर इंसानों के पलायन के बारे में कई बार सुना होगा जब कोई शहर या मोहल्ला हिंसा या अन्य कारणों की वजह से रहने लायक नहीं रहता तो वहां बसे इंसान पलायन कर जाते हैं और जब पलायन कर चुके लोगों को वापस उसी जगह बसाने की कोशिश की जाती है तो उसे घर वापसी भी कहा जाता है। लेकिन हम डीएनए में इंसानों की नहीं बल्कि जानवरों की घर वापसी का विश्लेषण करेंगे।

Zee जानकारी : सफेद बाघों को बचाएगी रीवा की ह्वाइट टाइगर सफारी

नई दिल्ली : आपने अक्सर इंसानों के पलायन के बारे में कई बार सुना होगा जब कोई शहर या मोहल्ला हिंसा या अन्य कारणों की वजह से रहने लायक नहीं रहता तो वहां बसे इंसान पलायन कर जाते हैं और जब पलायन कर चुके लोगों को वापस उसी जगह बसाने की कोशिश की जाती है तो उसे घर वापसी भी कहा जाता है। लेकिन हम डीएनए में इंसानों की नहीं बल्कि जानवरों की घर वापसी का विश्लेषण करेंगे।

ये एक ऐसे जानवर की घर वापसी है जिसे दुनिया का सबसे खूबसूरत जानवर भी कहा जाता है। इस जानवर का नाम है ह्वाइट टाइगर यानी सफेद बाघ। मध्य प्रदेश के रीवा में दुनिया की पहली ह्वाइट टाइगर सफारी शुरू करके जंगलों से विलुप्त हो चुके सफेद बाघों को उनके प्राकृतिक माहौल में बसाने की कोशिश की जा रही है।

आज से करीब 65 वर्ष पहले भारत में पाये जाने वाले सफेद बाघ शिकार की वजह से अपने घर यानी जंगलों से विस्थापित हो गए थे और तब से लेकर अब तक दुनिया भर में सफेद बाघ इंसानों के संरक्षण में पाले जाते रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया में आखिरी बार किसी सफेद बाघ को जंगल में वर्ष 1958 में देखा गया था।

-इस वक्त दुनिया में करीब 200 ह्वाइट टाइगर्स यानी सफेद बाघ हैं और ये सभी इंसानों की क़ैद में हैं।
-ह्वाइट टाइगर्स को भी रॉयल बंगाल टाइगर्स का ही वंशज माना जाता है लेकिन जीन्स में बदलाव की वजह से ह्वाइट टाइगर्स की त्वचा सफेद रंग की होती है।
-ह्वाइट टाइगर शुद्ध रूप से भारतीय बाघ हैं। जरूरत से ज्यादा शिकार की वजह से ह्वाइट टाइगर्स असम, पश्चिम बंगाल और रीवा के जंगलों से गायब हो गए।
-सफेद बाघ के बारे में दर्ज की गई सबसे पुरानी जानकारी सन 1561 में अकबरनामा से हासिल की गई एक पेंटिंग में मिलती है आपको बता दें कि अकबरनामा मुगल बादशाह अकबर के दौर के बारे में जानकारी देने वाली सबसे प्रामाणिक किताब है।
-इसमें अकबर को दो सफेद बाघों का शिकार करते हुए दिखाया गया है।
-यानी राजा महाराजाओं और अंग्रेज़ों के शिकार के शौक की वजह से भारत में सफेद बाघ लगभग लुप्त हो गए।
-25 मई 1951 को रीवा के महाराजा मार्तंड सिंह एक बाघिन का शिकार करने के लिए निकले थे।
-इस बाघिन के साथ उसके 3 शावक यानी बच्चे भी थे जिनमें से एक का रंग सफेद था।
-उस वक्त ये मान्यता थी कि अगर किसी बाघिन का शिकार किया जाए तो उसके साथ बच्चों को भी मार दिया जाना चाहिए।
-मार्तंड सिंह ने दो बच्चों को तो मार दिया लेकिन सफेद बाघ वहां से भाग गया। दो दिन बाद इस सफेद बाघ को पकड़ा गया लेकिन राजा ने उसे ना मारने का फैसला किया।
-राजा मार्तंड सिंह ने बाघिन के सफेद रंग वाले बच्चे को मोहन कहना शुरू किया और गोविंद गढ़ के किले में उसे पालने लगे।
-राजा मार्तंड सिंह की ये कोशिश, भारत में सफेद बाघों के संरक्षण की पहली इंसानी कोशिश थी।
-मोहन नाम का ये सफेद बाघ धीरे-धीरे पूरी दुनिया में मशहूर हो गया।
-सफेद बाघों के प्रति दुनिया की दिलचस्पी को देखते हुए मोहन की क्रास ब्रीडिंग कराई गई।
-और इस तरह से मोहन नामक सफेद बाघ की संतानें पूरी दुनिया में फैलने लगीं।
-18 दिसंबर 1969 को सफेद बाघ मोहन की मौत हो गई।
-लेकिन मरने से पहले भारत के पहले संरक्षित सफेद बाघ मोहन ने 19 वर्षों में 34 बाघों को जन्म दिया जिनमें से 21 सफेद बाघ थे। बाद में मोहन की संतानों ने दुनिया भर में सफेद बाघों के परिवार को आगे बढ़ाया।
-1960 में अमेरिका ने भारत के ह्वाइट टाइगर्स में दिलचस्पी दिखाई और मोहन की ही एक संतान को 10 हज़ार डॉलर्स में खरीद लिया गया। इस ह्वाइट टाइगर का नाम था मोहिनी था।
-मोहिनी जब अमेरिका पहुंची तो अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति Dwight D आइसनहावर ने खुद उसका स्वागत किया।
-1963 में रीवा के गोविंदगढ़ से ही सफेद बाघों का एक जोड़ा इंग्लैंड के ब्रिस्टल चिड़ियाघर में भी पहुंचा।
-1967 में जब यूगोस्लाविया के राष्ट्रपति मार्शल टीटो भारत आए तो उनके कार्यक्रम में सफेद बाघ के दर्शन को विशेष तौर पर जोड़ा गया।
-टीटो आधे घंटे तक बाड़े में कैद एक सफेद बाघ को देखते रहे थे।
-ये भारत का ह्वाइट मैजिक था जिसके प्रति दुनिया का आकर्षण लगातार बढ़ रहा था।
-1970 तक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भारत का सफेद बाघ भारत का सबसे बड़ा दूत बन चुका था।
-हालांकि विडंबना ये है कि भारतीय ह्वाइट टाइगर मोहन के वंशज आज भी दुनिया भर में क़ैद की जिंदगी जीने पर मजबूर है।

ह्वाइट टाइगर के बारे में अतिरिक्त जानकारी

-पूरी दुनिया में इस वक्त करीब 200 सफेद बाघ हैं जिनमे से 100 भारत में हैं।
-सफेद बाघ का वैज्ञानिक नाम पैंथेरा ट्राइग्रिस-टाइग्रिस है।
-नर सफेद बाघ का वज़न 120 से 130 किलो के बीच होता है।
-एक बड़े सफेद बाघ की लंबाई 6 से 8 फीट के बीच होती है।
-एक सफेद बाघ की उम्र अक्सर 16 से 20 वर्षों के बीच होती है।
-सफेद बाघ को बहुत ही ताकतवर जानवर माना जाता है और सामान्य तौर पर एक सफेद बाघ को प्रतिदिन 8 से 10 किलो मांस खिलाया जाता है।
-लेकिन जिस सफेद रंग की वजह से ये बाघ पूरी दुनिया में मशहूर हैं वही सफेद रंग इनकी जान का दुश्मन भी बन जाता है।
-सामान्य बाघों के शरीर का रंग पीला और संतरी होता और उनके शरीर पर जो काली धारियां होती हैं वो उनके शरीर को छुपाने का काम करती हैं।
-लेकिन सफेद बाघ के शरीर का रंग सफेद होने की वजह से ये खुद को ठीक से छिपा नहीं पाते और आसानी से इंसानों का शिकार बन जाते हैं।
-सफेद बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए इनके ही कुनबे में ब्रीडिंग कराई जाती है जिसकी वजह से कई नए बच्चे जन्मजात विकृतियों के साथ पैदा होते हैं। कुछ लोग इसे जानवरों के प्रति क्रूरता भी मानते हैं।

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