ZEE Jankari: ट्रंप और किम जोंग उन की उत्‍तर कोरिया में मुलाकात का व‍िश्‍लेषण
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ZEE Jankari: ट्रंप और किम जोंग उन की उत्‍तर कोरिया में मुलाकात का व‍िश्‍लेषण

Donald Trump उत्तर कोरिया की ज़मीन पर क़दम रखने वाले अमेरिका के पहले राष्ट्रपति बन गये हैं. उन्होंने दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया की सीमा को पार करके तानाशाह Kim Jong Un से मुलाक़ात की है.

ZEE Jankari: ट्रंप और किम जोंग उन की उत्‍तर कोरिया में मुलाकात का व‍िश्‍लेषण

एक कहावत है कि युद्ध की सबसे शानदार नीति ये है कि आप दुश्मन से लड़े बिना ही उस पर विजय प्राप्त कर लें. ये बात आधुनिक युग की अंतरराष्ट्रीय कूटनीति पर पूरी तरह लागू होती है और इस बार अमेरिका के राष्ट्रपति Donald Trump ने उत्तर कोरिया को लेकर एक और ऐतिहासिक क़दम आगे बढ़ाया है. Donald Trump उत्तर कोरिया की ज़मीन पर क़दम रखने वाले अमेरिका के पहले राष्ट्रपति बन गये हैं. उन्होंने दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया की सीमा को पार करके तानाशाह Kim Jong Un से मुलाक़ात की है. ये तस्वीरें ऐतिहासिक हैं क्योंकि इससे पहले अमेरिका का कोई राष्ट्रपति उत्तर कोरिया नहीं गया है.

इस इलाक़े को DMZ यानी De-Militarized Zone कहा जाता है. ये उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया को बांटने वाली सीमा है. पहले दोनों कोरिया एक ही देश थे. लेकिन, 1953 के बाद से उत्तरी और दक्षिणी कोरिया के बीच ये सरहद खिंच गई है. जापान में G-20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने के बाद Trump ने Tweet करके Kim Jong Un को मुलाक़ात का ऑफर दिया था. उन्होंने लिखा था कि जापान के बाद वो दक्षिण कोरिया जाएंगे और अगर उत्तर कोरिया के चेयरमैन Kim चाहें, तो मैं उनसे सिर्फ़ हाथ मिलाने और Hello कहने के लिये बॉर्डर पर मिलूंगा.

इस मुलाक़ात पर Kim Jong Un ने कहा है कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि राष्ट्रपति Trump उनसे इस जगह पर मिलेंगे. दोनों ने De-militarized Zone में हाथ मिलाया और फिर Kim Jong, Donald Trump को इसी ज़ोन में बने Freedom House ले गये. जहां दोनों के बीच क़रीब 50 मिनट तक मुलाक़ात हुई. अमेरिका चाहता है कि उत्तर कोरिया अपना परमाणु कार्यक्रम बंद करे, और उत्तर कोरिया चाहता है कि उसके ऊपर लगे आर्थिक प्रतिबंध हटाये जाएं.

जब Trump और Kim Jong अंदर बातचीत कर रहे थे...तब बाहर अफ़रातफ़री मची हुई थी. उत्तर कोरिया के सुरक्षाकर्मियों ने अमेरिकी पत्रकारों को वहां जाने से रोक दिया था, जहां Trump और Kim Jong बैठे हुए थे. इस दौरान उनके साथ धक्का-मुक्की भी की गई. White House की प्रेस सचिव Stephanie Grisham (स्टेफनी ग्रिशम) भी उत्तर कोरिया के सुरक्षाकर्मियों से उलझती हुई नज़र आईं इस दौरान सुरक्षाकर्मियों ने अमेरिकी पत्रकारों के लिये दरवाज़ा बंद कर दिया था. बाद में उन्हें बहुत मुश्किल से अंदर जाने दिया गया.

कार्यक्रम के हिसाब से Trump को Kim Jong से मिलने के बाद दक्षिण कोरिया में एक मिलिट्री बेस पर जाना था. लेकिन बॉर्डर पर हाथ मिलाने और एक दूसरे को Hello कहने वाली कूटनीति का Kim Jong ने विस्तार कर दिया और फिर दोनों के बीच क़रीब 50 मिनट तक Freedom House में बातचीत हुई. यानी बॉर्डर पर मिलने वाली कूटनीति की जो पहल Donald Trump ने की थी...उसे एक तरह से Kim Jong ने हाईजैक कर लिया. दोनों ही देशों के अधिकारी ये नहीं जानते थे कि आगे क्या होने जा रहा है.

आप इससे अंदाज़ा लगा सकते हैं कि उत्तर कोरिया और अमेरिका के रिश्तों में कितना अविश्वास है. ये दोनों देश...ख़ासतौर से Donald Trump और Kim Jong, एक दूसरे के साथ Mind game खेल रहे हैं. Trump और Kim के बीच ये तीसरी मुलाक़ात है. इस बार वो बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए राज़ी हुए हैं. 12 जून 2018 को सिंगापुर में Donald Trump और Kim Jong के बीच पहली मुलाक़ात हुई थी. तब से दोनों के रिश्तों में बहुत से उतार-चढ़ाव आए हैं.

इस साल फरवरी में दोनों नेता वियतनाम की राजधानी हनोई में मिले थे. तब कहा गया कि इस बैठक में उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को बंद करने के लिये कोई Roadmap भी आ सकता है. लेकिन ये बातचीत नाकाम हो गई थी. फरवरी से दोनों पक्षों के बीच रुकी बातचीत को Trump ने इस Surprise मुलाक़ात के साथ फिर शुरू किया है. पिछले वर्ष सिंगापुर में हुई बैठक से पहले दोनों देशों के तेवर ऐसे थे.

जैसे लगता था कि वो Nuclear Button दबा देंगे और उनके बीचे परमाणु युद्ध हो जाएगा. लेकिन एक साल में ही दोनों देशों के रिश्तों ने 180 डिग्री का Turn ले लिया है. अमेरिका और उत्तर कोरिया...दोनों ही देशों के प्रमुख इस वक़्त दुनिया के सबसे Un-predictable यानी ऐसे नेता हैं, जिनके अगले क़दम के बारे में पहले से कोई अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता. Trump और Kim Jong की मुलाक़ात को कई तरह से Decode किया जा रहा है. अमेरिका में अगले साल राष्ट्रपति पद का चुनाव होना है. उसके लिये Trump काफ़ी मेहनत कर रहे हैं. अगर वो उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को बंद कराने में कामयाब रहते हैं, तो उनकी रेटिंग बढ़ जाएगी.

Trump को अंतरराष्ट्रीय स्तर के साथ घर में भी इज़्ज़त मिलनी शुरू हो जाएगी. इसकी कोशिश वो पिछले तीन सालों से कर रहे हैं. वहीं उत्तर कोरिया के तानाशाह Kim Jong के लिये भी ये परीक्षा का वक़्त है. उनके देश की आर्थिक स्थिति बहुत ख़राब है. लेकिन Trump के साथ उन्हें भी फ़ायदा होगा. दुनिया में Kim Jong की छवि एक तड़ीपार नेता की है. कोई देश उत्तर कोरिया से बात नहीं करता. अंतरराष्ट्रीय संबंधों के नाम पर सिर्फ़ चीन और Russia के साथ उसके ठीक-ठाक रिश्ते हैं. इसलिये Kim Jong की भी कोशिश है कि Diplomacy के ज़रिये वो दुनिया की मुख्यधारा में शामिल हों.

Kim Jong को नरम रुख़ दिखाने का फ़ायदा भी हुआ है. मई में Russia के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने Kim Jong को अपने देश बुलाया था. और जून में शी जिनपिंग भी उत्तर कोरिया गये थे. पिछले 14 वर्षों में वो उत्तर कोरिया की यात्रा करने वाले चीन के पहले राष्ट्रपति हैं. लेकिन अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच विश्वास की कमी है. दोनों देश एक दूसरे को शक की निगाह से देखते हैं. इसलिये परमाणु विवाद ख़त्म करने के लिये Trump ने अब सीधे उत्तर कोरिया में क़दम रखा है. इस De-Militarized Zone को दुनिया की सबसे ख़तरनाक जगह माना जाता है. वर्ष 1950 में उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच हुआ युद्ध 3 साल तक चला था. तब ये लड़ाई तो ख़त्म हो गई थी...लेकिन दोनों पक्षों के बीच शीत युद्ध आज भी जारी है.

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