Zee जानकारी : (ब्रसेल्स हमले) क्या आतंकवाद के खिलाफ सहनशील होना सही है?
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Zee जानकारी : (ब्रसेल्स हमले) क्या आतंकवाद के खिलाफ सहनशील होना सही है?

आपने अक्सर ऐसे इलाकों के बारे में सुना होगा, जहां पर माफिया और अपराधियों का राज चलता है। कुछ इलाके ऐसे भी होते हैं जहां सिर्फ एक तरह की कट्टर सोच वाले लोग कब्ज़ा कर लेते हैं। फिर ऐसे लोग बाहर से किसी को भी वहां आने नहीं देते। प्रशासन, पुलिस और आम लोगों को ऐसे मोहल्लों में जाने से डर लगता है। बाहर से देखने पर ऐसे मोहल्लों और इलाकों में जिंदगी बिल्कुल सामान्य दिखाई देती है, लेकिन अक्सर ये इलाके कट्टर सोच और आतंकवाद की उपजाऊ भूमि में बदल जाते हैं।

 Zee जानकारी : (ब्रसेल्स हमले) क्या आतंकवाद के खिलाफ सहनशील होना सही है?

नई दिल्ली : आपने अक्सर ऐसे इलाकों के बारे में सुना होगा, जहां पर माफिया और अपराधियों का राज चलता है। कुछ इलाके ऐसे भी होते हैं जहां सिर्फ एक तरह की कट्टर सोच वाले लोग कब्ज़ा कर लेते हैं। फिर ऐसे लोग बाहर से किसी को भी वहां आने नहीं देते। प्रशासन, पुलिस और आम लोगों को ऐसे मोहल्लों में जाने से डर लगता है। बाहर से देखने पर ऐसे मोहल्लों और इलाकों में जिंदगी बिल्कुल सामान्य दिखाई देती है, लेकिन अक्सर ये इलाके कट्टर सोच और आतंकवाद की उपजाऊ भूमि में बदल जाते हैं।

बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में एयरपोर्ट और मेट्रो स्टेशन पर हुए हमलों के तार भी बेल्जियम के एक ऐसे ही मोहल्ले से जुड़ रहे हैं। और इस इलाक़े का नाम है मोलिनबेक। 4 दिन पहले ही मोलिनबेक से पेरिस हमलों में शामिल रहे आतंकी सालेह अब्देसलाम को गिरफ्तार किया गया था और तभी से इस बात की आशंका जताई जा रही थी कि राजधानी ब्रसेल्स पर आतंकी हमला हो सकता है। सुरक्षा ऐजेंसियों का ये डर आज सच साबित हुआ और आतंकियों ने ब्रसेल्स एयरपोर्ट और मेट्रो स्टेशन को निशाना बनाकर 34 लोगों की जान ले ली जबकि इन हमलों में 180 लोग घाय़ल हो गए।

पश्चिम य़ूरोप में बसा बेल्जियम एक छोटा सा देश है जिसकी कुल आबादी एक करोड़ 10 लाख के आस पास है। यानी ये संख्या दिल्ली की ढाई करोड़ की आबादी के आधे से भी कम है। छोटा देश होने की वजह से सुरक्षा एजेंसियां इंटेलिजेंस के आधार पर काम करती हैं।  वहां भारत की तरह ऐसा प्रोटोकॉल नहीं है कि एयरपोर्ट कॉम्प्लेक्स में एंट्री से पहले आपकी कई बार चेकिंग हो। अक्सर लोगों को किसी खास सुरक्षा जांच का सामना नहीं करना पड़ता और वो एयरपोर्ट के अंदर टिकट काउंटर तक पहुंच जाते हैं। शायद इसी का फायदा ब्रसेल्स एयरपोर्ट पर हमला करने वाले आतंकियों ने भी उठाया है। 

ब्रसेल्स यूरोपियन यूनियन का हिस्सा है और यूरोपियन यूनियन का हेडक्वार्टर भी ब्रसेल्स में ही है यानी आप ब्रसेल्स को सिर्फ बेल्जियम नहीं बल्कि पूरे यूरोपियन यूनियन की राजधानी भी कह सकते हैं। अरबी भाषा में जिहादी नारे लगाते हुए ब्रसेल्स पर हमला करने वाले आतंकियों ने पूरे यूरोपियन यूनियन के 50 करोड़ लोगों को चेतावनी देने की कोशिश की है कि आतंकी जब चाहें, और जहां चाहें, हमला कर सकते हैं। 

ब्रसेल्स पर आतंकी हमला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बेल्जियम यात्रा से ठीक 8 दिन पहले हुआ है। ब्रसेल्स आतंकी हमले के बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने साफ किया कि प्रधानमंत्री तय कार्यक्रम के मुताबिक ही 30 मार्च को ब्रसेल्स में 13वें भारतीय-यूरोपीय सम्मेलन में हिस्सा लेंगे।

हमने आपको बेल्जियम की राजधानी के करीब मौजूद मोलिनबेक नाम के उस छोटे से इलाके के बारे में बताया था जो पूरे यूरोप के जिहादियों की राजधानी बनता जा रहा है। मोलिनबेक करीब 6 वर्ग किलोमीटर में फैला एक छोटा सा शहरी इलाका है। एक ज़माने में मोलिनबेक अपने चमत्कारी कुएं के लिए जाना जाता था, और इस कुएं से पानी लेने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते थे। लेकिन अब मोलिनबेक में श्रद्धालु नहीं बल्कि शरणार्थी आते हैं। मोलिनबेक में इस्लामिक देशों से आने वाले शरणार्थियों की संख्या सबसे ज्यादा है, यू तों मोलिनबेक की ज्यादातर आबादी अस्थाई है, लेकिन इसी आबादी में छिपकर रहने वाले कुछ लोग बेल्जियम को स्थायी नुकसान पुहंचाना चाहते हैं, ये वो लोग हैं जो बेल्जियम को बेल्जिस्तान में बदलना चाहते हैं।

कट्टरपंथियों और जिहादियों ने धीरे-धीरे मोलिनबेक को बाकी लोगों के लिए नो गो जोन में बदल दिया है। यानी ऐसा क्षेत्र जहां कोई बाहरी व्यक्ति नहीं आ सकता। कैसे मोलिनबेक की गली-गली में जेहादी तैयार किए जा रहे हैं ये हम आपको दिखाएंगे। साथ ही आपको ये भी समझाएंगे कि कैसे मोलिनबेक अब यूरोप का एक ऐसा इलाका बन गया है जहां जाने से पुलिस, प्रशासन और देश के बाकी नागरिक भी घबराते हैं। 

बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में हुए आतंकी हमलों को आप पूरे यूरोपियन यूनियन की राजधानी पर हुआ हमला भी मान सकते हैं
यूरोपियन यूनियन में 28 देश शामिल हैं और इन 28 देशों में करीब 50 करोड़ लोग रहते हैं। इन 50 करोड़ लोगों का प्रतिनिधत्व जो यूरोपियन यूनियन करती है उसका हेडक्वार्टर यानी मुख्यालय ब्रसेल्स में ही हैं। यानी आतंकियों ने ब्रसेल्स के एयरपोर्ट और मेट्रो स्टेशन को निशाना बनाकर एक साथ 50 करोड़ लोगों को डराने की कोशिश की है।

यूरोपियन यूनियन के मुख्यालय से 3 किलोमीटर की दूरी पर बसा है मोलिनबेक। मोलिनबेक को आप बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स का बाहरी इलाका भी कह सकते हैं। मोलिनबेक देखने में बेल्जियम के दूसरे शहरों की तरह ही है, मध्यकालीन आर्टकिटेक्चर, साफ सुथरी सड़कें, बाज़ार और बाज़ारों में खरीददारी करते लोग। लेकिन अब मोलिनबेक की पहचान ब्रसेल्स के राष्टीय राजधानी क्षेत्र के तौर पर नहीं बल्कि यूरोप के जेहादियों के गढ़ के तौर पर हो रही है। 

13 नवंबर 2015 को फ्रांस की राजधानी पेरिस पर आतंकी हमला करने वाले आतंकियों में से 3 मोलिनबेक में ही रह रहे थे मोलिनबेक में ही पेरिस हमले का पूरा प्लान तैयार किया गया था। पेरिस हमले के बाद बेल्जियम की पुलिस लगातार मोलिनबेक में छापे मारी कर रही थी लेकिन पुलिस को कामयाबी मिली 4 महीने बाद 18 मार्च 2016 को पेरिस हमले में शामिल रहे आतंकी सालेह अब्देसलाम को मोलिनबेक में ही एक मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया।

पेरिस हमले की जांच कर रही टीम को मोलिनबेक के एक अपार्टमेंट से सालेह अब्देसलाम के फिंगर प्रिंट मिले थे। पुलिस ने जब इस अपार्टमेंट पर रेड की, तो सालेह और उसके साथियों ने पुलिस पर आधुनिक हथियारों से गोलियां चलानी शुरू कर दी। सवाल ये है कि एक आतंकी कैसे 4 महीने तक बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स से 3 किमी दूर एक छोटे से शहरी इलाके में छिपा रहा और पुलिस उसका पता लगाने में नाकामयाब रही।  

जवाब है पिछले कुछ वर्षों में मोलिनबेक में फैलाया गया जेहाद का जहर औऱ यूरोप का शरणार्थी संकट तेज़ी से बढ़ती मुस्लिम आबादी, शरणार्थियों की बढ़ती संख्या और आतंकवादियों की कट्टर सोच का समर्थन करने वाली ताकतों ने मोलिनबेक को एक ऐसे इलाके में बदल दिया है, जहां छोटे छोटे घरों की चाहरदिवारी के भीतर झांकर सच का पता लगाना पुलिस के लिए भी किसी चुनौती से कम नहीं है।  

सालेह अब्देसलाम की गिरफ्तारी के बाद से ही ब्रसेल्स में हाई अलर्ट कर दिया गया था। बावजूद इसके आतंकी हमला करने में कामयाब रहे। आखिर पुलिस सबकुछ पता होने के बावजूद मोलिनबेक में चल रही आतंकी गतिविधियों को रोकने में कामयाब क्यों नहीं रही? 
जवाब है मोलिनबेक का धीरे-धीरे ऐसे एक मोहल्ले में बदल जाना जहां जाने से पुलिस भी डरती है।

मोलिनबेक का पूरा नाम मोलिनबेक सेंट जीन है और ये एक महानगरपालिका है, मोलिनबेक 18 शताब्दी के औद्योगीकरण के बाद आर्थिक रूप से संपन्न और विकसित शहर बन गया था, लेकिन 2011 से शुरू हुए शरणार्थी संकट ने मोलिनबेक की सूरत बिगाड़नी शुरू कर दी, और अब मोलिनबेक बेल्जियम के सबसे गरीब इलाकों में शुमार है, जहां रहने वाली ज्यादातर जनसंख्या के पास, अपराध की दुनिया में जाने के अलावा कोई रास्ता नहीं है।   

मोलिनबेक की ज्यादातर जनसंख्या अस्थायी है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में मोलिनबेक की मुस्लिम आबादी में तेज़ी से इजाफा हुआ है, इस वक्त मोलिनबेक की कुल आबादी में 40 फीसदी मुस्लिम हैं और कुछ इलाके ऐसे हैं जहां मुस्लिम आबादी 90 फीसदी तक है, ये अलग बात है कि मोलिनबेक में 30 अलग अलग देशो के लोग रहते हैं, लेकिन इस्लाम के नाम पर नफरत फैलाने वाले लोगों के निशाने पर अक्सर वो मुस्लिम युवक आते हैं जो बेरोजगारी औऱ गरीबी का सामना कर रहे हैं। 

मोलिनबेक के ऐसे ही युवाओं जेहाद के नाम पर भड़का कर पहले सीरिया और इराक जैसी जगहों पर भेजा जाता है और वापस आने पर इन्हीं जेहादियों से यूरोप में आतंकी हमलों को अंजाम दिलाया जाता है। स्थानीय लोगों के साथ पुलिस की मुठभेड़, ड्रग्स के कारोबार चोरी चकारी, अपराध, आतंकियों को ट्रेनिंग औऱ धर्मस्थानों से भड़काऊ भाषणों की घटनाओं की वजह से मोलिनबेक पूरे यूरोप के लिए चुनौती बन गया है।

यूरोप में कट्टर सोच वाले कुछ लोग बेल्जियम को आने वाले 30 वर्षों में बेल्जिस्तान में बदल देना चाहते हैं। कुलमिलाकर मुठ्ठी भर कट्टर लोगों की वजह से पूरे यूरोप का सामाजिक संतुलन बिगड़ गया है और वहां मुसलिम समुदाय के लोगों का ब्रेनवॉश करने की साज़िश हो रही है।

आईएसआईएस जैसे आतंकी संगठन और शरिया फॉर बेल्जियम जैसे कट्टर इस्लामिक संगठनों का सपना है कि बेल्जियम में शरीया कानून लागू किया जाए और बेल्जियम को धीऱे-धीरे एक इस्लामिक मुल्क बना दिया जाए। ये सपना दूर की कौड़ी लग सकता है, लेकिन हकीकत ये है कि पिछले कुछ वर्षों में शरणार्थी संकट, मजबूत होती कट्टर इस्लामिक ताकतों और खराब अर्थव्यवस्था ने आईएसआईएस और शरिया फॉर बेल्जियम जैसे संगठनों को उनके सपने के बहुत करीब पहुंचने में मदद की है। 

-प्रति 10 लाख की जनसंख्या के हिसाब से बेल्जियम में पूरे यूरोप में सबसे ज्यादा जेहादी हैं।
-2012 से अब तक बेल्जियम के करीब 500 नागरिक सीरिया और इराक जा चुके हैं।
-जानकार मानते हैं कि सीरिया और इराक से लौटकर आने वाले जेहादी बाद में पेरिस और ब्रसेल्स एयरपोर्ट पर हमले जैसी आतंकी वारदात को अंजाम देते हैं।
-बेल्जियम से हर महीने करीब 5 लोग अब भी इराक और सीरिया रवाना होते हैं।
-13 नवंबर 2015 को पेरिस में हमलों को अंजाम देने वाले आतंकियों में से 3 का ताल्लुक बेल्जियम के मोलिनबेक इलाके से था।
-आप मोलिनबेक को यूरोप का एक ऐसा मोहल्ला भी कह सकते हैं जहां पुलिस भी जाने से डरती है।
-बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स से सटे मोलिनबेक की आबादी करीब 90 हज़ार के आस-पास है।
-मोलिनबेक सघन आबादी वाला एक महानगरीय इलाका है जहां आए दिन दंगे, अपराध, चोरी-चकारी और लड़ाई-झगड़ों की खबरें आती रहती हैं।
-मोलिनबेक में कार्रवाई करने वाली पुलिस पर अक्सर स्थानीय लोग हमला भी कर देते हैं।
-यही वजह है मोलिनबेक के कई इलाकों पर पुलिस की पकड़ ज्यादा मजबूत नहीं है।
-मोलिनबेक में रहने वाले कई लोग खुद को बेल्जियम राज्य का हिस्सा नहीं मानते।
-मोलिनबेक के करीब 30 फीसदी लोग बेरोजगार है और यही बेरोजगार लोग अक्सर आतंक के लिए भर्ती करने वालों का आसान निशाना बन जाते हैं।

आपने अक्सर भारत में भी कई ऐसे मोहल्लों और जगहों के बारे में सुना होगा जहां पुलिस जाने से डरती है, जहां अपराधी बे-लगाम होते हैं, जहां लोगों के पास नौकरियां नहीं होती और जहां एक समुदाय की ज्यादा आबादी और अशिक्षा अक्सर कट्टरपन फैलाने वालों को मौका दे देती है। जरूरत है कि पूरी दुनिया में ऐसे मोहल्लों की पहचान की जाए और वक्त रहते हालात बदलकर ऐसे मोहल्लों को आतंकियों और असमाजिक तत्वों का गढ़ बनने से रोक दिया जाए।

यूरोप के कई अन्य देशों की तरह बेल्जियम को भी बहु-सांस्कृतिक और बहु-भाषी समाज माना जाता है। भाषा को लेकर राजनैतिक संघर्ष को छोड़ दिया जाए तो कुल मिलाकर बेल्जियम एक सहनशील देश रहा है जिसने सभी वर्गों को अपनी व्यवस्था में उचित और पर्याप्त जगह देने की प्रणाली बनाई। इसलिए बेल्जियम की शासन व्यवस्था बहुत हद तक भारत के जैसी ही है लेकिन इस बहु सांस्कृतिक समाज में भी अब ऐसे तत्व प्रमुखता से दिखने लगे हैं जो इस व्यवस्था पर यकीन नहीं करते हैं। इसके अलावा इराक और सीरिया जैसे इलाकों से आए शरणार्थियों ने भी कहीं ना कहीं यूरोप का सामाजिक संतुलन बिगाड़ दिया है। सवाल यही है कि क्या बेल्जियम को अपनी सहनशीलता की सज़ा मिल रही है? आज पूरी दुनिया को इस बड़े सवाल पर विचार करना होगा कि क्या आतंकवाद के खिलाफ सहनशील होना सही है?

ये भलाई का ज़माना नहीं है। जरा सा मौका मिल जाए तो बुरी ताकतें अच्छे लोगों को कुचल देती हैं। ऐसी ताकतों से हमें सावधान रहना होगा।

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