ZEE जानकारीः आपके Data की मदद से कोई पार्टी चुनाव कैसे जीत सकती है?
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ZEE जानकारीः आपके Data की मदद से कोई पार्टी चुनाव कैसे जीत सकती है?

क्या आप 21वीं सदी में फेसबुक जैसी कंपनियों के Digital गुलाम बन गए हैं? ये वो सवाल हैं, जिनका जवाब हर कोई जानना चाहता है. इसलिए आज हम अपने विश्लेषण में आपके हर सवाल का जवाब विस्तार से देंगे. 

ZEE जानकारीः आपके Data की मदद से कोई पार्टी चुनाव कैसे जीत सकती है?

21वीं सदी में Information यानी सूचना ही सबसे बड़ी पूंजी है और दुनिया के आम लोगों की जानकारियां Facebook और Google जैसी कंपनियों की तिजोरियों में बंद हैं. भारत में 25 करोड़ लोग फेसबुक का इस्तेमाल करते हैं. यानी भारत के 25 करोड़ लोगों ने अपनी निजी जानकारियां फेसबुक की तिजोरियों में बंद की हुई हैं. और आपकी यही जानकारियां इन तिजोरियों से चोरी हो रही हैं. और इस Data का इस्तेमाल करके राजनीतिक और सामाजिक फॉर्मूले बनाए जा रहे हैं. आपके ही Data से आपकी आदतों का Database बनाया जा रहा है और उसका इस्तेमाल मनमाने ढंग से किया जा रहा है. यानी फेसबुक अब एक सोशल नेटवर्क नहीं है, बल्कि आपके कीमती Data का व्यापारी है. और अब इस बात का असर भारत पर भी पड़ रहा है.

पिछले 5 दिनों से आप फेसबुक के Data Leakage वाले विवाद के बारे में सुन रहे होंगे. आप ये भी सुन रहे होंगे कि फेसबुक के इस Data का इस्तेमाल अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने चुनाव जीतने के लिए किया है. और भारत में भी कांग्रेस और बीजेपी एक दूसरे पर Cambridge analytica नामक Data कंपनी की सेवाएं लेने और अपनी App के ज़रिए लोगों का डेटा लेकर चुनाव में उसका फायदा लेने का आरोप लगा रही हैं. लेकिन किसी को ये समझ में नहीं आ रहा कि सच्चाई क्या है ? आपके Data की मदद से कोई पार्टी चुनाव कैसे जीत सकती है? और क्या आप 21वीं सदी में फेसबुक जैसी कंपनियों के Digital गुलाम बन गए हैं? ये वो सवाल हैं, जिनका जवाब हर कोई जानना चाहता है. इसलिए आज हम अपने विश्लेषण में आपके हर सवाल का जवाब विस्तार से देंगे. लेकिन सबसे पहले आपको इस पूरे विवाद का Update बता देते हैं. 

इस विवाद में सबसे बड़ा अपडेट ये है कि रविवार को फेसबुक ने अमेरिका और ब्रिटेन के अखबारों में बाकायदा विज्ञापन देकर माफी मांगी है. Data Leak पर मांगी गई इस माफी के नीचे फेसबुक के CEO Mark Zuckerberg के हस्ताक्षर हैं. इस माफी में फेसबुक की तरफ से लिखा गया है कि हमारे पास आपका Data सुरक्षित रखने की ज़िम्मेदारी है, और अगर हम ऐसा नहीं कर पा रहे हैं, तो हम इसके लायक नहीं हैं. Mark Zuckerberg ने लिखा है कि ये विश्वासघात है और ऐसा दोबारा न हो, इसके लिए हम कदम उठा रहे हैं. 

अब हम आपको ये दिखाते हैं कि Singapore में एक संसदीय समिति के सामने कैसे फेसबुक के अधिकारियों की क्लास लगाई गई ? 22 मार्च को Singapore की संसद में फेसबुक, Twitter और Google के अधिकारियों को Fake न्यूज़ पर चर्चा के लिए बुलाया गया था. इस दौरान जब फेसबुक के एक अधिकारी से कमेटी के सदस्यों ने Cambridge Analytica के बारे में पूछा तो अधिकारी ने जवाब देने से इनकार कर दिया. इसके बाद कमेटी में शामिल सिंगापुर के गृह मंत्री ने फेसबुक के अधिकारी को जमकर फटकार लगाई. और वहां बहुत ही सधी हुई भाषा में फेसबुक के अधिकारी को ये समझाया गया कि जो पूछा गया है, उसका जवाब देना ही होगा. इस बातचीत को सुनवाने से पहले आपको ये बता दें कि सिंगापुर के गृहमंत्री भारतीय मूल के हैं. 

जब कभी कोई देश किसी दूसरे देश के खिलाफ युद्ध करने का फैसला करता है तो उससे पहले वो अपने देश की खुफिया एजेंसियों को सक्रिय कर देता है . और फिर खुफिया एजेंसी दूसरे देशों की और वहां के लोगों की कमज़ोरियों का पता लगाती हैं . इसके लिए खुफिया एजेंसियों को कई लोगों की जान को दांव पर लगाना पड़ता है . काफी पैसा खर्च करना पड़ता है . लेकिन फेसबुक और दूसरी विदेशी Social Media Websites को हम अपनी निजी जानकारियां खुद अपनी ही मर्जी से दे रहे हैं . और ये बहुत ख़तरनाक है.

एक बात आपको हमेशा ध्यान रखनी चाहिए कि सार्वजनिक होने के बाद, आपकी निजी जानकारियां, आपकी बहुत बड़ी कमज़ोरी बन सकती हैं . आपके द्वारा दी गई किसी जानकारी को अपने फायदे के लिए कोई दूसरी कंपनी, संस्था या कोई देश किस तरह इस्तेमाल कर रहा है ? ये आप तब जान पाएंगे... जब आपका नुकसान हो चुका होगा . इसलिए अपने Data की रक्षा का भार खुद आपके कंधों पर है. और अपने Data की रक्षा आपको खुद करनी होगी . क्योंकि आपकी इजाज़त के बाद ही किसी विदेशी कंपनी को आपकी निजी जानकारी Access करने की सुविधा मिलती है . हमारे देश में आधार का Data देने का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है. बहुत सारे लोग सेवाओं के लिए आधार का Data दिए जाने का विरोध..

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