एंटी हाईजैकिंग बिल देश के हर नागरिक की सुरक्षा से जुड़ा एक बेहद महत्वपूर्ण मुद्दा है। लेकिन जब संसद में इस मुद्दे पर चर्चा हो रही थी, तब ज्यादातर सांसद सदन में उपस्थित नहीं थे।
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नई दिल्ली : एंटी हाईजैकिंग बिल देश के हर नागरिक की सुरक्षा से जुड़ा एक बेहद महत्वपूर्ण मुद्दा है। लेकिन जब संसद में इस मुद्दे पर चर्चा हो रही थी, तब ज्यादातर सांसद सदन में उपस्थित नहीं थे।
- 24 दिसम्बर 1999 को इंडियन एयरलाइंस के विमान IC-814 के हाईजैक के बाद अब जाकर संसद में 9 मई 2016 को एंटी हाईजैकिंग बिल पास हो पाया है। हालांकि राज्यसभा में यह बिल पहले ही पास हो चुका है।
- इसके मुताबिक हाईजैकिंग का मतलब 'किसी विमान पर गैर-कानूनी तरीके से जानबूझकर नियंत्रण करना, ताकत या तकनीक की मदद से विमान को जबर्दस्ती अपने कब्जे में लेना, या किसी दूसरे तरीके से धमकाना' शामिल है।
- बिल के मुताबिक- अगर विमान अपहरण की स्थिति में किसी बंधक या सुरक्षाकर्मी की जान जाती है, तो दोषी व्यक्ति के लिए सजा-ए-मौत का प्रावधान किया गया है।
- अगर किसी हाइजैकिंग केस में लोगों की जान नहीं जाती है तो भी दोषियों के खिलाफ उम्रकैद का प्रावधान किया गया है।
- विमान अपहरण में दोषी पाए गए लोगों की चल और अचल संपत्ति जब्त की जा सकती है।
- एंटी हाईजैकिंग बिल में विमानों के अपहरण से जुड़े अंतरराष्ट्रीय समझौते को प्रभावी बनाने के प्रावधान भी किए गए हैं।
- विमान अपहरण का दोषी व्यक्ति अगर देश छोड़कर भाग जाता है, तो उसके प्रत्यर्पण का भी प्रावधान रखा गया है।
- आतंकवाद को लेकर बेहद सख्त रवैया रखने वाले देशों में इजरायल का नाम प्रमुख है। इजरायल की स्पष्ट नीति है कि वो आतंकवादियों से किसी तरह का समझौता नहीं करता, फिर चाहे इसके लिए देश को कितना भी बड़ा नुकसान क्यों ना उठाना पड़े। इजरायल ने आतंकवाद के खिलाफ 1948 से ही स्पष्ट कानून बनाया हुआ है, जिसमें वक्त के हिसाब से तीन बार बदलाव किए गए। हालांकि इजरायल की इस नीति में एक अपवाद भी है। वर्ष 2006 में फिलिस्तीन के आतंकी संगठन हमास ने इजरायल के एक सैनिक को बंधक बना लिया था और बदले में अपने संगठन के लोगों को छोड़ने की मांग की थी। इजरायल ने पांच सालों तक आतंकवादियों की बात नहीं मानी। लेकिन जब बंधक सैनिक मौत की कगार पर पहुंच गया, तो इजरायल ने उसके बदले में हमास के 1027 आतंकवादियों को छोड़ दिया। हालांकि इजरायल में इस फैसले की काफी आलोचना हुई थी।
- इजरायल के अलावा रूस भी आतंकवादियों से किसी तरह का समझौता नहीं करता है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने वर्ष 2004 से ही नीति बनाई हुई है कि उनका देश किसी भी कीमत पर आतंकवादियों के सामने नहीं झुकेगा और ना ही उनसे किसी तरह का समझौता करेगा।
- अमेरिका में प्लेन हाईजैकिंग की स्थिति से निपटने के लिए, पायलटों को हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जाती है। वहां के फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन ने तय किया हुआ है कि हर अंतर्राष्ट्रीय विमान में फेडरल एयर मार्शल हर कीमत पर मौजूद रहेंगे।
एके-47 के नाम सुनते ही हर किसी के दिमाग में सिर्फ रायफल का ही नाम आता है। पूरी दुनिया में इसे मौत का दूसरा नाम भी कहा जाता है क्योंकि पूरी दुनिया में इस रायफल की गोलियों से हर वर्ष करीब 2.5 लाख लोग मारे जाते हैं। लेकिन अब एके-47 रायफल बनाने वाली रूस की कंपनी कालाशनिकोव कपड़े बेचने पर मजबूर हो गई है। कंपनी इसे अपने लिए एक किलर फैशन बता रही है, लेकिन हकीकत ये है कि मौजूदा दौर में इस कंपनी का बुरा वक्त शुरू हो गया है।
दरअसल अमेरिका और यूरोपीयन यूनियन ने क्रीमिया पर कब्जे के खिलाफ 2014 से रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाया हुआ है। जुलाई 2015 में अमेरिका ने रूस के हथियार उद्योग और हथियारों के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया था जिसकी वजह से यूरोप और अमेरिका के बड़े बाजारों तक कालाशनिकोव कंपनी की पहुंच खत्म हो गई और इसका सीधा असर इसकी बिक्री पर पड़ा है। इस प्रतिबंध की वजह से कालाशनिकोव को अमेरिका और कनाडा को दो लाख राइफल्स की डिलीवरी रोकनी पड़ी। इसी वजह से अब कालाशनिकोव कंपनी के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया और उसे अपने लिए नए बिजनेस मॉडल तलाशने पड़ रहे हैं।
कालाशनिकोव अब कपड़ों के मार्केट में उतरने की तैयारी कर चुका है। कालाशनिकोव ब्रैंड के नाम से कंपनी इस वर्ष के अंत तक रूस में मिलिटरी स्टाइल के कपड़ों के 60 स्टोर खोलने जा रही है। कंपनी प्रबंधन का तर्क है कि कैटरपिलर और फरारी जैसे ब्रैंड अपने रेवेन्यू का 10% हिस्सा कपड़ों की बिक्री से ही पूरा करते हैं और इसीलिए उनके ब्रैंड को भी लोग पसंद करेंगे।
जानिये एके 47 रायफल के बारे में खास बातें-
- एके 47 का पूरा नाम ऑटोमेटिक कालाशनिकोव-47 है, क्योंकि इस राइफल का उत्पादन 1947 में शुरु हुआ था और इस रायफल का नाम मिखाइल कालाशनिकोव के नाम पर पड़ा था, जिन्होंने इस रायफल को डिजाइन किया था। हालांकि अब उनकी मौत हो चुकी है।
- लाखों लोगों की मौत की वजह बन चुकी एके-47 के निर्माता मिखाइल कालाशनिकोव को इस राइफल पर हमेशा गर्व रहा है। उनका मानना था कि लोगों की जान रायफल ने नहीं, बल्कि इंसानों ने ली है।
- उनकी लिखी कविताओं की छह किताबें छपी हैं। कालाशनिकोव एक कवि थे, जिन्होंने दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार बनाया, लेकिन अगर वो आज जिंदा होते तो अपनी कंपनी की ऐसी हालत देखकर उन्हें काफी दुख होता।