Zee जानकारी: भगौड़े बिज़नेसमैन नीरव मोदी के बुरे दिन शुरू, लंदन में गिरफ्तार
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Zee जानकारी: भगौड़े बिज़नेसमैन नीरव मोदी के बुरे दिन शुरू, लंदन में गिरफ्तार

दूसरी ख़बर ये है कि PNB घोटाले के एक और आरोपी मेहुल चोकसी को Antigua से भारत वापस लाने का काम भी शुरू हो गया है. 

Zee जानकारी: भगौड़े बिज़नेसमैन नीरव मोदी के बुरे दिन शुरू, लंदन में गिरफ्तार

पहली ख़बर ये है कि भगौड़े बिज़नेसमैन नीरव मोदी के बुरे दिन शुरू हो गये हैं. और देश को होली से ठीक एक दिन पहले उसकी गिरफ्तारी की खुशख़बरी मिली है. और उसके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरु हो चुकी है. जबकि दूसरी ख़बर ये है, कि PNB घोटाले के एक और आरोपी मेहुल चोकसी को Antigua से भारत वापस लाने का काम भी शुरू हो गया है लेकिन क्या ये सब कुछ इतना आसान होगा ? क्या, नीरव मोदी, मेहुल चोकसी या विजय माल्या जैसे भगोड़ों के अच्छे दिन ख़त्म हो चुके हैं? आज हम इन सभी सवालों के जवाब आपको देंगे. साथ ही आपको ये भी बताएंगे, कि कैसे होली से ठीक एक दिन पहले आई खुशख़बरी पर भी हमारे देश के नेताओं और बुद्धिजीवियों को तकलीफ हो रही है. और उन्होंने भारत की इस जीत पर भी राजनीति करनी शुरू कर दी है. 

सबसे पहले नीरव मोदी की बात करते हैं. 31 जुलाई 2018 को भारत सरकार ने नीरव मोदी के प्रत्यर्पण के लिए ब्रिटेन से अपील की थी. इसके बाद लंडन की Westminster Court के सीनियर डिस्ट्रिक्ट जज ने 13 मार्च 2019 को नीरव मोदी के खिलाफ Arrest Warrant जारी किया. कल शाम लंडन के Holborn Tube Station से उसे गिरफ्तार कर लिया गया. और पूरी रात नीरव मोदी को जेल में बितानी पड़ी. 

नीरव मोदी की गिरफ्तारी भी दिलचस्प तरीके से हुई. अंतर्राष्ट्रीय News Channel, Wion की पत्रकार ने जानकारी दी है, कि नीरव मोदी को लंडन में एक बैंक क्लर्क ने पहचाना. और उसके बारे में स्थानीय पुलिस को सूचना दे दी. जिसके बाद पुलिस आई और नीरव मोदी को गिरफ्तार कर लिया गया. और आज उसे भारतीय समय के अनुसार दोपहर साढ़े तीन बज़े लंडन के Westminster Court में पेश किया गया. 

नीरव मोदी के वकील ने अदालत में कहा, कि ये पूरा केस राजनीति से प्रेरित है. और भारत में जेलों की स्थिति भी अच्छी नहीं है. आपको याद होगा, विजय माल्या ने भी अपने मामले में भारतीय जेलों की खराब स्थिति का ज़िक्र किया था. लेकिन अदालत ने माल्या की अपील भी खारिज कर दी. और नीरव मोदी के मामले में भी ऐसा ही हुआ है. जज ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं. इस दौरान नीरव मोदी ने ज़मानत दिए जाने की अपील भी की थी. 

लेकिन, अदालत ने उसकी बात नहीं मानी. और अब इस मामले की अगली सुनवाई 29 मार्च को होगी. तब तक नीरव मोदी लंडन पुलिस की हिरासत में ही रहेगा. यानी अगले 9 दिन नीरव मोदी पर भारी हैं. इसका सीधा सा अर्थ ये है, कि कोई भी मुज़रिम कितना ही भागने की कोशिश क्यों ना करे. वो एक न एक दिन ज़रुर पकड़ा जाता है. और शायद इसीलिए कहते हैं, कि कानून के हाथ लंबे होते हैं. इस बीच नीरव मोदी पर सिर्फ ब्रिटेन में ही कार्रवाई नहीं हो रही, बल्कि भारत में भी उसके खिलाफ कार्रवाई चल रही है. 

Enforcement Directorate और Income Tax Department ने नीरव मोदी की 173 Paintings को ज़ब्त किया था. इन सभी Paintings की क़ीमत 57 करोड़ रुपये से ज़्यादा है. और Prevention of Money Laundering Act के तहत स्पेशल कोर्ट ने इन सभी Paintings को नीलाम किए जाने की इजाज़त दे दी है. इसके अलावा स्पेशल कोर्ट ने नीरव मोदी की 11 महंगी गाड़ियों को भी बेचने का आदेश दिया है. जिनमें Rolls Royce, Porsche और Mercedes जैसी महंगी गाड़ियां हैं. साथ ही साथ नीरव मोदी की पत्नी Ami Modi के खिलाफ भी गैर ज़मानती वारंट जारी कर दिया गया है. ताकि आगे की कार्रवाई हो सके.

Fugitive Economic Offenders Act 2018 के तहत 10 जुलाई 2018 को नीरव मोदी को Fugitive Offender घोषित किया गया था. और उसकी 1 हज़ार 400 करोड़ रुपये से ज़्यादा की संपत्ति को ज़ब्त करने की बात कही गई थी. इस मामले की अगली सुनवाई 22 मार्च 2019 को होगी.

इस बीच अब सबके मन में ये सवाल उठ रहा है कि आगे क्या होगा? क्या नीरव मोदी या मेहुल चौकसी को वापस लाना इतना आसान होगा ? अगर हां...तो ये सारी प्रक्रिया कैसी होगी ? इन सवालों का जवाब सुनने से पहले आपको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक बात सुननी चाहिए. जो उन्होंने इसी वर्ष 1 जनवरी को एक Interview के दौरान कही थी. तब उनसे यही प्रश्न पूछा गया था, कि देश छोड़कर भागने वाले भगौड़ों पर केंद्र सरकार कब कार्रवाई करेगी? 

जनवरी 2019 में प्रधानमंत्री ने Diplomatic Channel से भगौड़े अपराधियों को भारत वापस लाने की बात कही थी. और उस दिशा में हर संभव कोशिश की गई है. अब कुछ तथ्यों की बात करते हैं. 
ब्रिटेन के साथ भारत ने वर्ष 1992 में प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर किये थे. लेकिन वहां से किसी अपराधी को प्रत्यर्पित करके भारत लाना मुश्किल ही नहीं, लगभग नाममुकिन है. इसे समझने के लिए आप सिर्फ इतना जान लीजिए, कि पिछले 26 वर्षों में ब्रिटेन से सिर्फ एक अपराधी को ही भारत लाया जा सका है. वो भी वर्ष 2016 में. तब गुजरात दंगों के आरोपी SV Patel नामक एक व्यक्ति का प्रत्यर्पण हुआ था. और इसी वर्ष 3 फरवरी को United Kingdom के Secretary of State ने विजय माल्या के प्रत्यर्पण से जुड़े दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किए थे. हालांकि, विजय माल्या के भारत लौटने में फिलहाल कुछ वक्त लगेगा. लेकिन Tiger Hanif, Nadeem Saifi, Ravi Sankaran और Lalit Modi जैसे कुछ और नाम भी हैं, जिन्हें भारत लाया जाना बाकी है.

ठीक इसी तरह नीरव मोदी भी रातों-रात भारत वापस नहीं लाया जा सकता. वहां पर अभी एक लम्बी कानूनी प्रक्रिया चलेगी. जिसमें सबसे पहले वहां की निचली अदालत यानी Westminster court भारत के प्रत्यर्पण की अपील पर सुनवाई करेगी. अगर अदालत उसके प्रत्यर्पण से जुड़े मामले की सुनवाई के बाद भारत के पक्ष में फैसला सुनाती है. तो उसके बाद वहां के Secretary of State के पास ये फाइल जाएगी. और वो प्रत्यर्पण के विषय पर अपनी मंजूरी देगा. अगर फैसला भारत के पक्ष में आता है, तो इसके बाद नीरव मोदी के पास ऊपरी अदालत में जाने का मौका होगा. बिल्कुल वैसे ही जैसे विजय माल्या के केस में हुआ. 

विजय माल्या और नीरव मोदी के मामले में सबसे बड़ा फर्क ये है, कि विजय माल्या बार-बार पैसा लौटाने की बात कहता आया है. और साथ ही उसकी दलील ये भी रही है, कि उसका बिजनेस फेल होने की वजह से ये पैसे डूबे थे. जबकि नीरव मोदी का मामला, सीधे-सीधे धोखाधड़ी का मामला है. जिसमें बैंकों को धोखा देकर उनके पैसे लूटे गए. इसलिए इस बात की संभावना ज़्यादा है, कि नीरव मोदी के केस में फैसला भारत के पक्ष में आए और बहुत जल्दी आए.

अब आपको ये बताते हैं कि ये घोटाला कब और कैसे शुरू हुआ? इसे समझने के लिए आपको एक Banking Term को समझना ज़रूरी है. और ये Term है, Letter of Undertaking यानी LOU. LOU एक तरह की बैंक गारंटी होती है. इस LOU के ज़रिये बैंक अपने ग्राहक का लोन बिना किसी शर्त के भरने की सहमति देता है. इस LOU को दिखाकर ग्राहक उस बैंक की गारंटी पर विदेशों में भारतीय बैंकों से सस्ते लोन हासिल कर सकता है. पिछले वर्ष जनवरी में PNB ने CBI में एक FIR दर्ज करवाई थी.

उस FIR में PNB की तरफ से कहा गया था कि उनके बैंक की मुंबई की Mid Croporate Branch से फर्ज़ी तरीके से LOUs जारी किए गए. ये LOUs तीन कंपनियों के पक्ष में जारी किए गये थे. 

ये कंपनियां थीं 
M/s Diamond R US....
M/s Solar Exports 
और M/s Stellar Diamonds 

शिकायत के मुताबिक इन तीनों कंपनियों में नीरव मोदी, निशाल मोदी, एमी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी.. Partners हैं. ये चारों कौन हैं, ये आपको हम आगे विस्तार से बताएंगे. पहले ये समझिए कि इस पूरे घोटाले का खुलासा कैसे हुआ. ये बहुत दिलचस्प है, इसलिए ध्यान से देखिएगा. PNB के मुताबिक 16 जनवरी, 2018 को इन कंपनियों की तरफ से बैंक से आग्रह किया गया कि उन्हें विदेशी Suppliers को पैसा देने के लिए LOU जारी किए जाएं. PNB के अधिकारियों की तरफ से इन कंपनियों से लोन के बदले 100% गारंटी मांगी गई. लेकिन कंपनियों की तरफ से PNB को कहा गया कि वो तो इस सुविधा का लाभ पिछले काफी वक्त से ले रहे हैं. लेकिन जब PNB की तरफ से अपने बैंक के रिकॉर्ड्स चैक किए गए तो उन्हें ऐसा कोई सबूत नहीं मिला. जिससे पता चले कि इन कंपनियों को PNB की तरफ से LOUs जारी किए गए थे. 

पंजाब नेशनल बैंक ने जब अपनी जांच को आगे बढ़ाया तो उन्हें एक बहुत बड़े घोटाले का पता चला. उन्हें पता चला कि उनके बैंक के दो कर्मचारियों ने फर्ज़ी तरीके से इन कंपनियों को LOUs जारी किए थे. 
इन कंपनियों को LOU जारी करने के लिए ना तो प्रक्रिया का पालन किया गया, ना कोई कागज़ात मांगे गए, ना अधिकारियों की अनुमति ली गई और ना ही इन LOUs की Entry बैंक के सिस्टम में की गई. यानी सबकुछ फर्ज़ी तरीके से हो रहा था. 

PNB की तरफ से 29 जनवरी 2018 को की गई शिकायत में 8 ऐसे LOUs की जानकारी दी गई थी. जिनमें कुल मिलाकर 280 करोड़ 70 लाख रुपये के घोटाले का ज़िक्र था. आरोपी कंपनियों ने इन LOUs के आधार पर Hongkong के इलाहाबाद बैंक और Axis बैंक की शाखाओं से 280 करोड़ 70 लाख रुपये का लोन लिया. इस शिकायत के आधार पर CBI ने इन आरोपी कंपनियों के खिलाफ केस दर्ज किया.
इसके बाद 13 फरवरी 2018 को PNB की तरफ से CBI को 142 LOUs की जानकारी दी गई. और इसी आधार पर इसे 11 हज़ार 400 करोड़ रुपये का घोटाला कहा जा रहा है. 

अब आपको उस व्यक्ति के बारे में बताते हैं, जो इस घोटाले का मुख्य आरोपी है. इसका नाम है नीरव मोदी. 48 साल का नीरव मोदी हीरा कारोबारी है. नीरव मोदी गुजरात में पैदा हुआ था, लेकिन वो बेल्जियम में पला बढ़ा. उसकी कुल संपत्ति 11 हज़ार 100 करोड़ रुपये की है. पिछले वर्ष Forbes ने कहा था, कि वो भारत का 85वां सबसे अमीर व्यक्ति है. नीरव मोदी का अपने नाम पर आधारित एक Jewellery brand भी है, जिसके दिल्ली, मुंबई, न्यूयॉर्क, Hong Kong, London और Macau में 16 Stores हैं लेकिन वो FIR दर्ज होने से पहले ही 1 जनवरी 2018 को देश छोड़कर भाग गया. 

CBI की FIR में नीरव मोदी के अलावा 3 अन्य लोगों के नाम थे. ये हैं नीरव का भाई निशाल, उसकी पत्नी एमी और मामा मेहुल चोकसी. नीरव मोदी का भाई निशाल Belgium का नागरिक है. और वो भी 1 जनवरी 2018 को भारत छोड़कर विदेश भाग गया. इसके अलावा नीरव मोदी के मामा मेहुल चोकसी ने 4 जनवरी 2018 को भारत छोड़ा. और इस वक्त वो Antigua में शरण लिए बैठा है. नीरव मोदी की पत्नी एमी अमेरिका की नागरिक है और वो भी 6 जनवरी 2018 को भारत छोड़कर विदेश भाग गईं.  

अब देश का पैसा लूटकर विदेश भागने वालों के नाम पर हो रही राजनीति को समझिए. ये बात सच है, कि नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जैसे भगौड़ों को वापस लाना इतना आसान नहीं होगा. लेकिन, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता, कि कूटनीतिक स्तर पर इन दोनों के खिलाफ शिंकजा कसा जाना, भारत के लिए एक बहुत बड़ी जीत है. क्योंकि, ऐसे भगौड़ों के खिलाफ अभी तक जितनी भी कार्रवाई हुई या भविष्य में जो कुछ भी होगा, उसमें जांच एजेंसियों के अलावा सरकार की भी भूमिका है. भारत ने शरुआत से ही कूटनीतिक स्तर पर ब्रिटेन और Antigua पर इन दोनों के खिलाफ कार्रवाई के लिए दबाव बनाया. और आज जो भी कार्रवाई हुई है, वो भारत की जीत है. लेकिन हमारे देश की विपक्षी पार्टियां इस क़ामयाबी को देश की जीत नहीं, बल्कि चुनावी हथकंडा बता रही हैं. 

यहां आपको ये भी समझना चाहिए कि नीरव मोदी के खिलाफ पिछले एक वर्ष में क्या-क्या कदम उठाए गए? जनवरी 2018 में नीरव मोदी भारत छोड़कर भागा था. फरवरी 2018 में उसके पासपोर्ट को रद्द कर दिया गया. और उसके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया. मई 2018 में उसके खिलाफ चार्जशीट फाइल की गई. जुलाई 2018 में इंटरपोल ने नीरव मोदी के खिलाफ Red Corner Notice जारी कर दिया. 
अगस्त 2018 में भारत सरकार ने उसके प्रत्यर्पण के लिए ब्रिटेन से अपील की. 2 मार्च 2019 को एक ब्रिटिश अखबार के पत्रकार ने उसे London की सड़कों पर देखा. 

और इसके बाद नीरव मोदी का वीडियो Viral हो गया. अंतर्राष्ट्रीय न्यूज़ चैनल Wion ने आज लंडन में इसी ब्रिटिश पत्रकार से बात की है. जिसमें वो बता रहा है, कि किस प्रकार नीरव मोदी ना सिर्फ पूरे ऐशो-आराम के साथ लंडन में रहता था. बल्कि हर रोज़ अपने ऑफिस भी जाया करता था. हमारे देश के कुछ लोग इस पत्रकार द्वारा लिए गए वीडियो को ही नीरव मोदी की गिरफ्तारी की असली वजह बता रहे हैं. लेकिन सच ये है कि भारत सरकार की तरफ से इस मामले में लगातार आक्रामक कूटनीति चल रही थी.

3 मार्च 2019 को Enforcement Directorate ने जानकारी दी, कि ब्रिटेन के Home Office ने नीरव मोदी के खिलाफ भारत की अपील को वहां की कोर्ट में भेज दिया है. इसके बाद लंडन की उसी कोर्ट ने 13 मार्च 2019 को उसके खिलाफ Arrest Warrant जारी किया. 19 मार्च को उसे गिरफ्तार किया गया. अब यहां पर ये देखिए, कि Scotland Yard पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी के बाद किन शब्दों का इस्तेमाल किया. 

इन शब्दों से साफ है, कि खुद ब्रिटेन की पुलिस ने स्वीकार किया, कि नीरव मोदी को भारत की जांच एजेंसियों के कहने पर गिरफ्तार किया गया है. इसके बाद उसे आज अदालत में पेश किया गया. और अब वो 29 मार्च को होने वाली सुनवाई तक हिरासत में ही रहेगा. ठीक इसी तरह मेहुल चोकसी को Antigua से भारत वापस लाने की प्रक्रिया का शुरु होना कोई छोटी-मोटी बात नहीं है. क्योंकि, भारत और Antigua के बीच प्रत्यर्पण संधि नहीं है. इसके बावजूद मेहुल चोकसी को दोनों देशों के बीच अच्छे रिश्तों की वजह से भारत लाया जा सकता है. भारत और Antigua, दोनों ही देश Commonwealth देशों के सदस्य हैं. और Antigua के Extradition Act, 1993 के Section 7 के तहत अगर भारत सरकार अपील करे, तो Antigua की सरकार उसके प्रत्यर्पण पर विचार कर सकती है. और मेहुल चोकसी के केस में ऐसा ही हुआ है. दुख की बात ये है कि हमारे ही देश के कुछ लोग, अपनी राजनीति के तहत, इस प्रयास को कम करके आंक रहे हैं.

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