Zee जानकारी : नेशनल हेराल्ड मामले में गांधी परिवार को कोर्ट से नहीं मिली राहत
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Zee जानकारी : नेशनल हेराल्ड मामले में गांधी परिवार को कोर्ट से नहीं मिली राहत

दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को 'यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड' नामक कंपनी की जांच, इनकम टैक्स विभाग द्वारा किये जाने पर रोक लगाने से इंकार कर दिया। ये कंपनी सोनिया गांधी और राहुल गांधी के मालिकाना हक वाली कंपनी है, और इस कंपनी में इन दोनों के 38-38% शेयर्स हैं। 

Zee जानकारी : नेशनल हेराल्ड मामले में गांधी परिवार को कोर्ट से नहीं मिली राहत

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को 'यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड' नामक कंपनी की जांच, इनकम टैक्स विभाग द्वारा किये जाने पर रोक लगाने से इंकार कर दिया। ये कंपनी सोनिया गांधी और राहुल गांधी के मालिकाना हक वाली कंपनी है, और इस कंपनी में इन दोनों के 38-38% शेयर्स हैं। 

ये वही कंपनी है जिसने नेशनल हेराल्ड अखबार चलाने वाली कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड का अधिग्रहण किया था। ये अधिग्रहण ही सवालों के घेरे में है और इसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर धोखाधड़ी के आरोप भी लग चुके हैं।  

एजेएल यानी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड 2008 से रीयल इस्टेट के बिजनेस में है और देशभर में उसके पास करीब 2000 करोड़ रुपये की संपत्तियां हैं। 2008 से पहले एजेएल अंग्रेज़ी में नेशनल हेराल्ड, हिंदी में नवजीवन, और ऊर्दू में कौमी आवाज़ नाम के अख़बार निकालती थी। लेकिन आर्थिक संकट के बाद वर्ष 2008 में नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन बंद हो गया। और उस वक्त एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड पर करीब 90 करोड़ रुपये का कर्ज़ था। 

कांग्रेस पार्टी आज तक ये दावा करती रही कि उसने एजेएल को उसकी देनदारियों से बचाने के लिए उसे 90 करोड़ का कर्ज दिया। लेकिन ज़ी न्यूज की जांच में पता चला है कि कांग्रेस पार्टी के पास इस कर्ज़ के कोई सबूत नहीं हैं। यानी कांग्रेस पार्टी ने आज तक जांच एजेंसियों को ये नहीं बताया है कि अगर उन्होंने ये कर्ज दिया है, तो फिर उसका क्या सबूत है? जांच ऐजेंसियों द्वारा बार-बार पूछने के बावजूद कांग्रेस पार्टी ये बताने में अब तक नाकाम रही है कि उसने ये लोन एजेएल को कैसे दिया? 

राहुल गांधी, सोनिया गांधी और उनके बाकी कांग्रेसी नेताओं ने यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड नाम की नई कंपनी बनाकर एजेएल का अधिग्रहण किया था और फिर कांग्रेस पार्टी ने एजेएल को 90 करोड़ रुपये का लोन दिया गया था लेकिन अब कांग्रेस पार्टी इसका कोई सबूत नहीं दिखा पा रही है। 

अगर कांग्रेस पार्टी इनकम टैक्स विभाग को इसका सबूत उपलब्ध नहीं करवा पाती है, तो फिर एजेएल का टेक ओवर गैरकानूनी माना जाएगा और ये एक आपराधिक केस बन जाएगा। अब इनकम टैक्स विभाग ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। 

इनकम टैक्स विभाग इस बात की भी जांच कर रहा है कि क्या कोई राजनीतिक दल रीयल इस्टेट का काम करने वाली कंपनी को लोन दे सकता है? इसका सीधा मतलब ये निकलता है कि हो सकता है कि कांग्रेस पार्टी ने एजेएल को 90 करोड़ रुपये का लोन दिया ही ना हो। और बिना लोन दिये नई कंपनी यंग इंडियन के द्वारा एजेएल का अधिग्रहण कर लिया हो।

हमारी जांच में जो दूसरी बड़ी बात पता चली है, वो इस पूरे अधिग्रहण के तार हवाला कारोबारियों से जोड़ती है। यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड का दावा है कि उसने 15 फरवरी 2011 को डॉटेक्स मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी से 1 करोड़ रुपये का लोन लिया था।  इनकम टैक्स विभाग की जांच में पता चला है कि इस कंपनी के डाइरेक्टर्स सुनील भंडारी और सुनील सांगनेरिया कोलकाता की 50 दूसरी कंपनियों में भी डाइरेक्टर्स हैं और इन कंपनियों में से कई कंपनियां हवाला कारोबार में शामिल पाई गई हैं। 

यानी जिस कंपनी में कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी के 76% शेयर्स हैं, उसने एक ऐसी कंपनी से लोन लिया, जिसके मालिक हवाला कारोबार में शामिल हैं।  इस लोन पर इसलिए भी सवाल उठते हैं, क्योंकि यंग इंडियन एक नई कंपनी थी और इस कंपनी का कैपिटल बेस सिर्फ 5 लाख रुपये का था, तो फिर कोई दूसरी कंपनी इस कंपनी को 1 करोड़ रुपये का लोन क्यों देगी? और ये लोन भी बिना ब्याज़ के दिया गया था। 

कोई भी बिजनेसमैन किसी भी व्यक्ति को ऐसा कर्ज़ नहीं देगा, जिसकी वापसी की कोई गारंटी न हो। इसलिए इनकम टैक्स विभाग ऐसी आशंका भी जता रहा है कि ये पैसा यंग इंडियन कंपनी का ही हो सकता है। जिसके मालिक राहुल गांधी और सोनिया गांधी हैं। 

 

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