Zee जानकारी : लाउड स्पीकर बन गया है सहनशील समाज के लिए असहनीय दर्द
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Zee जानकारी : लाउड स्पीकर बन गया है सहनशील समाज के लिए असहनीय दर्द

जिस तरह ऊंची आवाज़ में और शोर मचाकर कहा गया झूठ सच नहीं होत। उसी तरह ऊंची आवाज़ में बजाया गया संगीत हमेशा मन को सुकून नहीं देता। शादियों, पार्टियों, धार्मिक कार्यक्रमों और राजनीतिक पार्टियों के प्रचार के दौरान बजाए जाने वाले लाउड स्पीकर और लाउड म्यूजिक का शोर हमारे सहनशील समाज के लिए असहनीय दर्द की वजह बन गया है। इसीलिए डीएनए में अब हम ऊंची आवाज़ में संगीत बजाकर पड़ोसियों को परेशान करने वाले लोगों की गिरी हुई सोच का डीएनए टेस्ट करेंगे।

Zee जानकारी : लाउड स्पीकर बन गया है सहनशील समाज के लिए असहनीय दर्द

नई दिल्ली : जिस तरह ऊंची आवाज़ में और शोर मचाकर कहा गया झूठ सच नहीं होत। उसी तरह ऊंची आवाज़ में बजाया गया संगीत हमेशा मन को सुकून नहीं देता। शादियों, पार्टियों, धार्मिक कार्यक्रमों और राजनीतिक पार्टियों के प्रचार के दौरान बजाए जाने वाले लाउड स्पीकर और लाउड म्यूजिक का शोर हमारे सहनशील समाज के लिए असहनीय दर्द की वजह बन गया है। इसीलिए डीएनए में अब हम ऊंची आवाज़ में संगीत बजाकर पड़ोसियों को परेशान करने वाले लोगों की गिरी हुई सोच का डीएनए टेस्ट करेंगे।

लेकिन इस विश्लेषण से पहले आपको ये पता होना चाहिए कि आपके अधिकार क्या हैं जब आपको अपने अधिकारों का ज्ञान हो जाएगा। तब आप इस ख़बर को एक जागरूक नागरिक की नज़र से देख पाएंगे। 2005 में सुप्रीम कोर्ट ने ध्वनि प्रदूषण से जुड़े एक केस की सुनवाई करते हुए कहा था कि जीने के अधिकार में ये भी शामिल है कि आप किसी शोर को सुनना चाहते हैं या नहीं और कोई भी शख्स शोर मचाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 19(1) A में दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ नहीं ले सकता।

आसान शब्दों में कहा जाए, तो लाउड स्पीकर के ज़रिए शादिय़ों का शोर राजनीतिक प्रचार, और धार्मिक सभाओं जैसे कार्यक्रमों से आने वाली ऊंची आवाज़ों को आप सुनना चाहते हैं या नहीं ये फैसला करना आपका अधिकार है। यानी कोई भी व्यक्ति अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर आपको शोर सुनने के लिए मजबूर नहीं कर सकता। 

लाउड म्यूजिक बजाकर पड़ोसियों, बुजुर्गों, बच्चों, बीमार लोगों और बेजुबान जानवरों को परेशान करने वाले लोगों को अब अपने टीवी का वॉल्यूम बढ़ाकर ये खबर ज़रूर देखनी चाहिए लेकिन वॉल्यूम इतना मत बढ़ाइयेगा कि पड़ोसियों को तकलीफ होने लगे। 

दिल्ली के वसंतकुंज इलाके में हरदीप नाम के एक युवक की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी गई क्योंकि उसने देर रात तक तेज़ आवाज़ में संगीत बजा रहे कुछ लोगों को ऐसा करने से रोकने की कोशिश की थी। हरदीप एक वीडियो एडिटर था और अगले हफ्ते उसकी शादी होने वाली थी जिस बिल्डिंग में हरदीप रहता था उसी बिल्डिंग में मौजूद एक जिम का मालिक अपने दोस्तों के साथ शराब के नशे में 10 बजे के बाद भी लाउड म्यूजिक बजाता रहा और जब हरदीप ने उसे ऐसा करने से रोकने की कोशिश की तो जिम के मालिक ने गोली मारकर उसकी हत्या कर दी।   

आपको बता दें कि ध्वनि प्रदूषण के संबंध में दिल्ली पुलिस का सिटिजन चार्टर कहता है कि 

-रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच लाउड स्पीकर्स का इस्तेमाल, एम्पलीफाइड म्यूजिक बजाना, ड्रम बजाना और पटाखे छोड़ना कानूनन जुर्म है। 
-दिल्ली पुलिस के चार्टर के मुताबिक ऐसा करना सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन है।
-रात 10 से सुबह 6 के बीच लाउड स्पीकर बजाना एक दंडनीय अपराध है।
-इससे बीमार लोगों को नुकसान पहुंच सकता है।
-इससे आम लोगों के साथ-साथ पढ़ाई करने वाले छात्रों को परेशानी होती है।
-साइलेंस जोन्स यानी ऐसे क्षेत्र जहां अस्पताल, नर्सिंग होम, शैक्षणिक संस्थान या अदालते हैं वहां लाउड स्पीकर या ऊंची आवाज़ में संगीत बजाने की इजाज़त नहीं दी जा सकती। 

दिल्ली पुलिस का सिटिज़न चार्टर कहता है कि लाउड स्पीकर बजाने से जुड़े नियमों का उल्लंघन आराम कर रहे लोगों और पालतू जानवरों के लिए तो परेशानी बनता ही है ये स्थानीय समुदाय के सम्मान को भी ठेस पहुंचाता है। और सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि लाउड म्यूजिक के शोर में नियमों को अनसुना करने वालों के लिए इनवायरमेंट प्रोटेक्शन एक्ट,1986 के तहत 5 साल की सज़ा और 1 लाख रुपये तक के जुर्माने का भी प्रावधान है। 

शांति की तलाश में आप अक्सर ऐसी जगहों पर जाना पसंद करते हैं जहां कम शोर हो, ट्रैफिक की आवाज़ कम हो, कम भीड़-भाड़ हो और जहां आप एकांत में कुछ पल शोर शराबे से दूर बिता सके। विश्व स्वाथ्य संगठन यानी WHO का मानना है कि रात में 40 डेसिबल से ज्यादा की आवाज़ और दिन में 80 डेसिबल से ज्यादा की आवाज़ शरीर के साथ साथ मन पर भी बुरा असर डालती है लेकिन हमारे देश में हालात ये हैं कि जश्न और आस्था के नाम पर शोर मचाने वाले लोग वक्त की परवाह नहीं करते और पार्टी, शादी और प्रचार के नाम पर शांति पसंद लोगों की जिंदगी में शोर घोलते हैं। सवाल ये है कि क्या जश्न के नाम पर 80 डेसिबल से ज्यादा शोर वाली शादी को सभ्य समाज की शादी माना जा सकता है? सवाल ये भी है कि आस्था के नाम पर इबादतगाहों और मंदिरों से आने वाली 80 डेसिबल से ज्यादा की आवाज़ को प्रार्थना माना जा सकता है?

हमें लगता है कि भगवान तक पहुंचने वाली आवाज़ का ऊंचा यानी लाउड होना जरूरी नहीं है बल्कि दिल की गहराई से और अहिंसक तरीके से की गई भक्ति भगवान तक ज्यादा तेज़ी से पहुंचती है। आगे हम आपको ये भी बताएंगे कि अगर आसपास कोई लाउडस्पीकर के ज़रिए शोर मचाकर आपको परेशान कर रहा है तो आप क्या कर सकते हैं लेकिन उससे पहले आपको ये पता होना चाहिए कि आवाज़ों को मापने का पैमाना क्या है और तेज़ आवाज़ें आपको किस तरह का नुकसान पहुंचा सकती हैं। 

-ध्वनि प्रदूषण को मापने का पैमाना डेसिबल होता है।
-और एक सामान्य व्यक्ति 0 डेसिबल तक की आवाज़ सुन सकता है।
-ये पेड़ के पत्तों की सरसराहट जितनी आवाज़ होती है। 
-सामान्य तौर पर आप और हम जो बातचीत करते हैं वो 60 डेसिबल के आस पास होती है।
-लेकिन 85 डेसिबल से ज्यादा की आवाज़ आपके कानों को स्थायी नुकसान पहुंचा सकती है।
-और 100 डेसिबल की आवाज़ को 15 मिनट तक लगातार सुनने से आपके कान हमेशा के लिए खराब हो सकते हैं जिसे आम बोल चाल की भाषा में हम कान का पर्दा फटना भी कहते हैं।
-यहां आपको बता दें कि बिजली कड़कने की आवाज़ 120 डेसिबल तक हो सकती है और बंदूक चलाने पर निकलने वाली आवाज़ का लेवल 140 से 190 डेसिबल तक जा सकता है और ये दोनों आवाज़ें आपके कान को फौरन नुकसान पहंचा सकती हैं। 

महानगरों में ध्वनि प्रदूषण एक बड़ी समस्या है और हर साल भारत के अलग अलग शहरों में ध्वनि प्रदूषण का स्तर नापा जाता है। 
सेंट्रेल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड यानी सीपीसीबी के मुताबिक 

-भारत में सबसे ज्यादा शोर वाला शहर मुंबई है।
-जबकि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ दूसरे नंबर पर है और तीसरे नंबर पर हैदराबाद है। 
-जबकि देश की राजधानी दिल्ली शोर मचाने के मामले में चौथे नंबर पर हैं और चेन्नई पांचवें नंबर पर।
-9 शहरों के बीच कराए गए इस सर्वे में बंगलुरु और कोलकाता 8वें और 9वें नंबर पर हैं। 

10 दिसंबर 2015 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार को निर्देश दिए थे कि वो ध्वनि प्रदूषण से जुड़े निर्दशों का सख्ती से पालन कराए। एनजीटी ने अपने फैसले में कहा था कि लाउड स्पीकर से आने वाली आवाज़ मनोवैज्ञानिक समस्याएं पैदा करती है।

ध्वनि प्रदूषण के बारे में यहां करें शिकायत

अब आपको बताते हैं कि अगर आपके आस पास कोई शोर वाली हिंसा करता है और इस हिंसा के लिए लाउडस्पीकर्स को हथियार की तरह इस्तेमाल करता है तो आप कहां शिकायत कर सकते हैं। देश की राजधानी दिल्ली में आप उद्योगों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण की शिकायत दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी से कर सकते हैं जबकि त्योहारों और निजी कार्यक्रमों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण की शिकायत  दिल्ली पुलिस के 100 नंबर पर की जा सकती हैं।

-कर्नाटक में रहने वाले लोग ध्वनि प्रदूषण की शिकायत कर्नाटक स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से कर सकते हैं। 
-महाराष्ट्र में आप पुलिस को 100 नंबर पर कॉल कर लाउडस्पीकर औऱ तेज़ म्यूजिक बजाने वालों की शिकायत कर सकते हैं।
-महाराष्ट्र में सीनियर इंसपेक्टर रैंक के अधिकारी को ध्वनि प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार दिया गया है। 
-कोलकाता में ध्वनि प्रदूषण की शिकायत आप कोलकाता पुलिस से कर सकते हैं।
-ध्वनि प्रदूषण से जुड़े नियमों पर ज्यादा जानकारी के लिए आप सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की वेबसाइट पर लॉग इन भी कर सकते हैं।

शोर और ध्वनि प्रदूषण से पूरी दुनिया परेशान है। डबल्यूएचओ के मुताबिक जापान और स्पेन सबसे ज्यादा ध्वनि प्रदूषण वाले देश हैं और भारत भी इस लिस्ट में शामिल है लेकिन दुनिया के ज्यादातर विकसित देशों में शोर को काबू में रखने के लिए सख्त नियम बनाए गए हैं।

-इंग्लैंड में रात 9 बजे से लेकर सुबह 8 बजे तक लाउडस्पीकर नहीं बजाए जा सकते।
-सड़कों और मोहल्लों में बिना इजाज़त ध्वनि प्रदूषण फैलाने पर दोषी को करीब 5 हज़ार ब्रिटिश पाउंड यानी करीब 4 लाख 80 हज़ार रुपये का जुर्माना भरना पड़ सकता है।
-जबकि अगर कोई संस्था ऐसा करती है तो जुर्माने की राशि 20 हज़ार ब्रिटिश पाउंड यानी करीब 19 लाख रुपये तक हो सकती है।
-जापान में ऐसा करने पर 10 हज़ार येन यानी करीब 6083 रुपये से लेकर 1 लाख येन यानी करीब 60 हज़ार रुपये का जुर्माना भरना पड़ सकता है। 

इसी तरह अमेरिका में ध्वनि प्रदूषण फैलाने वालों पर अलग अलग राज्यों में वहां के नियमों के मुताबिक भारी जुर्माने का प्रावधान है। तो हमारी आपसे अपील है कि अगली बार जब आप म्यूजिक, जागरण, पार्टी और प्रचार के नाम पर अपने म्यूजिक सिस्टम का वॉल्यूम बढ़ाएं तो इस बात का ख्याल रखें कि जबरदस्ती का शोर मचाना भी एक प्रकार की हिंसा है लिहाज़ा इस हिंसा को छोड़ते हुए हमें शांति और अंहिसा के रास्ते को अपनाना चाहिए और अगर आपके आसपास कोई लाउडस्पीकर वाली हिंसा कर रहा है तो उसके खिलाफ पुलिस या प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड में शिकायत करें। हमारा मकसद आपको जागरूक बनाना है।

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