ZEE जानकारी: संभलकर रहिए! अब तो जीरा भी नकली और मिलावटी हो गया है
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ZEE जानकारी: संभलकर रहिए! अब तो जीरा भी नकली और मिलावटी हो गया है

आप जो सब्जियां और फल खा रहे हैं उनमें मिलावट है. जो दूध आप पी रहे हैं उसमें भी मिलावट है. जिस हवा में आप सांस ले रहे हैं उसमें भी प्रदूषण घुल चुका है और जो पानी आप पी रहे हैं वो भी पीने लायक नहीं है. यानी सुबह से शाम तक आप सिर्फ मिलावट भरी जिंदगी जी रहे हैं और इस मिलावट को रोकने के लिए जो कोशिशें हो रही हैं. वो ऊंट के मुंह में जीरे के बराबर है और अब तो ये जीरा भी मिलावट का शिकार हो गया है. 

ZEE जानकारी: संभलकर रहिए! अब तो जीरा भी नकली और मिलावटी हो गया है

आधुनिक चिकित्सा के जनक कहे जाने वाले Hippocrates (हिप्पो-क्रेटिस) ने करीब ढाई हज़ार वर्ष पहले कहा था कि जो भोजन आप करते हैं वो किसी औषधी की तरह होना चाहिए. यानी भोजन ऐसा होना चाहिए जो शरीर में पहुंचकर उसे स्वस्थ बनाए और बीमारियों से शरीर की रक्षा करे. आज भी दुनिया भर के डॉक्टर मरीज़ों का इलाज शुरू करने से पहले जो शपथ लेते हैं उसे Hippocratic (हिप्पो-क्रेटिक) Oath कहा जाता है लेकिन आज जो भोजन आप कर रहे हैं वो आपको स्वस्थ बनाने की बजाय, बीमार बना रहा है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि हमारे देश में मिलावट और बेईमानी को NOC यानी No Objection Certificate दे दिया गया है. यानी अब हमारे देश में किसी को भी मिलावट और बईमानी से कोई आपत्ति नहीं है और ये मिलावट हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन चुकी है.

आप जो सब्जियां और फल खा रहे हैं उनमें मिलावट है. जो दूध आप पी रहे हैं उसमें भी मिलावट है. जिस हवा में आप सांस ले रहे हैं उसमें भी प्रदूषण घुल चुका है और जो पानी आप पी रहे हैं वो भी पीने लायक नहीं है. यानी सुबह से शाम तक आप सिर्फ मिलावट भरी जिंदगी जी रहे हैं और इस मिलावट को रोकने के लिए जो कोशिशें हो रही हैं. वो ऊंट के मुंह में जीरे के बराबर है और अब तो ये जीरा भी मिलावट का शिकार हो गया है. 

जीरे को गुजराती में जीरू, कश्मीरी में ज़्यूर, मराठी में जिरे, संस्कृत में जीरा का, तमिल में जीरागम और तेलगु में जिडाकरा कहते हैं. आप देश के किसी भी हिस्से में रहते हो..इस बात की आशंका बहुत ज्यादा है..कि जो जीरा आप खा रहे हैं, वो मिलावटी है. दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे गैंग को रंगे हाथों पकड़ा है. जो जीरे में मिलावट का कारोबार कर रहा था. पुलिस ने एक फैक्ट्री पर छापा मारकर करीब 20 हज़ार किलो नकली जीरा बरामद किया है. 

इस जीरे की सप्लाई दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में की जाती थी. और जीरे के नाम पर इसमें जो मिलाया जाता था. उसके बारे में जानने के बाद, आप शायद आज रात ऐसा कोई भोजन नहीं कर पाएंगे जिसमें आपने जीरे का इस्तेमाल किया है. मिलावट करने वाले जीरे में वो घास मिलाते थे जिस घास से फूल झाड़ू तैयार की जाती है. 

ये एक प्रकार की जंगली घास होती है जिसमें जीरे के आकार की छोटी छोटी पत्तियां होती हैं. ये घास उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में नदियों और नहरों के किनारे उगाई जाती है. इसके बाद इसमें पत्थर का चूरा और गुड़ का शीरा मिलाकर इसे सुखाया जाता है और फिर इसमें असली जीरे की कुछ मात्रा मिलाकर इसे बाज़ारों में बिकने के लिए भेज दिया जाता है और आप इसे मुंह मांगे दाम पर खरीद भी लेते हैं. 

जीरे में ये मिलावट 80-20 के अनुपात में की जाती है. यानी इसमें 80 प्रतिशत असली जीरा और 20 प्रतिशत नकली जीरा शामिल होता है लेकिन आप सोचिए जिस जीरे का इस्तेमाल आप भोजन का स्वाद बढ़ाने और उसे पौष्टिक बनाने के लिए करते हैं..वो जीरा असल में जंगली घास...पत्थर और गुड़ का मिश्रण है .

दिल्ली में जिस फैक्ट्री से नकली जीरा बरामद किया गया है वहां 5 हज़ार 250 किलो पत्थर और 1600 किलो. फूल झाड़ू बनाने में इस्तेमाल होने वाली घास और 1200 किलो गुड़ भी मौजूद था. यानी मिलावट का ये अनुपात 80-20 नहीं बल्कि Fifty-Fifty का भी हो सकता है. डॉक्टरों के मुताबिक, ये नकली जीरा शरीर के लिए भी बहुत हानिकारक है. इससे पथरी यानी stone की समस्या हो सकती है, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो सकती है, और तो और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां भी हो सकती है. 

जीरा स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक माना जाता है और आयुर्वेद के मुताबिक जीरे के इस्तेमाल से पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं, इससे शरीर में खून की कमी भी नहीं होती और शुगर के मरीज़ों के लिए भी जीरा लाभयादक माना जाता है . लेकिन एक औषधि जितनी खूबियां रखने वाला जीरा मिलावट का शिकार हो गया है..और हो सकता है कि ये जीरा आपको स्वस्थ बनाने की बजाय बीमार बना रहा हो .

भारत पूरी दुनिया में जीरे का सबसे ज्यादा उत्पादन करता है और जीरे की सबसे ज्यादा खपत भी भारत में ही होती है . दुनिया में पैदा होने वाले जीरे का करीब 60 प्रतिशत भारत में ही इस्तेमाल होता है. जीरे का उत्पादन सबसे पहले पश्चिम एशिया और सीरिया के आसपास के इलाकों में शुरू हुआ था और इसका इतिहास 5 हज़ार वर्ष से भी ज्यादा पुराना है . प्राचीन इजिप्ट में जीरे को एक बहुमूल्य पदार्थ माना जाता था. यानी जो जीरा भारत ही नहीं दुनिया भर की संस्कृतियों का हिस्सा रहा है..उसे मिलावटखोरों ने कूड़े-करकट में बदल दिया है . भारत में मिलावट का शिकार सिर्फ जीरा नहीं हो रहा है . बल्कि आप सुबह से शाम तक मिलावट भरी जिंदगी ही जी रहे हैं. 

सुबह उठकर सबसे पहले जो पानी आप पीते हैं वो पीने लायक नहीं है. उपभोक्ता मंत्रालय द्वारा की गई एक स्टडी के मुताबिक, दिल्ली में 11 जगहों से लिए गए पानी के सैंपल जांच में सभी पैमानों पर फेल हो गए हैं. और देश के 21 में से 15 बड़े शहरों का पानी भी पीने लायक नहीं है. जो हवा आप लेते हैं उसमें प्रदूषण की मात्रा इतनी ज्यादा है..कि पूरे देश में वायु प्रदूषण की वजह से हर साल करीब 12 लाख लोग मारे जाते हैं. 

इसके बाद जो चाय आप पीते हैं वो भी खराब गुणवत्ता वाले दूध और चायपत्ती से तैयार होती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में करीब 15 लाख किलो चायपत्ती का आयात नेपाल से किया जाता है. ये खराब गुणवत्ता वाली ऐसी चायपत्ती होती है जिसे भारत में दार्जिलिंग चायपत्ती के नाम से बेचा जाता है . Darjeeling tea को Premium Quality वाली चायपत्ती माना जाता है लेकिन असल में इसके नाम पर आपको नेपाल से आयी चायपत्ती बेची जा रही है.

इसके बाद नाश्ते में जो दूध आप पीते हैं उसकी गुणवत्ता भी भरोसे लायक नहीं है Food Safety and Standards Authority of India यानी FSSAI के मुताबिक भारत में मिलने वाला 49 प्रतिशत दूध.. शुद्धता के पैमानों पर खरा नहीं उतरता है. अगर आप अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखते हैं और नाश्ते में फलों का सेवन करते हैं तो भी खुश होने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि भारत में बिकने वाले बहुत सारे फलों को भी रसायनों की मदद से पकाया जाता है और सेब जैसे फलों पर हानिकारक मोम लगाई जाती है . ये रसायन और मोम आपको कैंसर जैसी बीमारियां भी दे सकती है. 

दोपहर में जो Lunch आप करते हैं, वो भी किसी ना किसी रूप में अशुद्ध ही होता है क्योंकि Food Safety and Standards Authority of India की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में बिकने वाला खाने-पीने का 25 प्रतिशत सामान मिलावटी है . FSSAI ने वर्ष 2018 में खाने-पीने की चीज़ों के 85 हज़ार 729 सैंपल जांच के लिए भेजे थे. उनमें से 25 प्रतिशत फेल हो गए थे. इनमें दूध, और दूध से बने उत्पाद, अनाज और मसाले शामिल थे. 

दिनभर मेहनत करने के बाद, रात में जब आप घर पहुंचते हैं..तो भी आपको मिलावट से छुटकारा नहीं मिल पाता है. जिस बिस्तर पर आप आराम करते हैं उसकी गुणवत्ता भी सवालों के घेरे में है. भारत में बिकने वाले ज्यादातर mattresses यानी गद्दे आपको अच्छी नींद की बजाय, बदन दर्द और अनिद्रा जैसी समस्याएं दे सकते हैं. ये स्थिति तब हैं, जब भारत में mattresses का बाज़ार 2021 तक 14 हजार करोड़ रुपये होने का अनुमान है. यानी जीरे और मसालों से लेकर अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करने वाले फल, सब्जियां, आपका बिस्तर और यहां तक कि हवा और पानी भी बेईमानी और मिलावट के शिकार हो चुके हैं. 

दुख की बात ये है कि अगर ये मिलावट आपको बीमार कर दे और आप दवाइयों के ज़रिए इसका इलाज करने की कोशिश करें तो भी आपको राहत नहीं मिलने वाली क्योंकि World Health Organization के मुताबिक भारत में बिकने वाली 20 प्रतिशत दवाइयां या तो नकली हैं या फिर पूरी तरह से बेअसर. मिलावट को लेकर इतनी दुखदायी स्थिति इसलिए आई है..क्योंकि बेइमानी और मिलावट को हमारे समाज में अब बुरी नज़र से नहीं देखा जाता. इन दोनों बुराइयों को अघोषित रूप से भारतीय समाज का अभिन्न अंग बना दिया गया है और बहुत सारे भारतीय खुद किसी ना किसी रूप में बेइमानी और मिलावट को बढ़ावा दे रहे हैं. भारत के DNA में मिलावट का शामिल होना. खतरे की घंटी है और अगर इसके खिलाफ एक जन-आंदोलन नहीं चलाया गया तो ये मिलावट महामारी बनकर..भारत के लोगों की जान लेने लगेगी. 

विडंबना ये है कि जिस शुद्धता को एक मौलिक अधिकार का दर्जा मिलना चाहिए था वो शुद्धता भारत में एक Luxury बनकर रह गई है और जो लोग इस Luxury की कीमत नहीं चुका सकते वो मिलावटी भोजन करने पर मजबूर हैं लेकिन आप कुछ सामान्य से तरीके अपनाकर खाने-पीने की चीज़ों में मिलावट की पहचान कर सकते हैं. जीरे के मामले में आप थोड़ा सा जीरा लेकर. उसे हथेलियों से रगड़ें. अगर आपकी हथेली पर काला रंग दिखाई देता है..तो उसका मतलब ये है कि जीरा मिलावटी है. 

इसी तरह फलों और सब्जियों को काटने से पहले अच्छी तरह धो लें. अगर धोने के दौरान उसमें से रंग निकलता है..तो आपको सावधान हो जाने की ज़रूरत है. सेब को आप चाकू से खुरच कर देख लें. अगर उसमें से अत्याधिक मात्रा में Wax निकलती है तो आपको वो सेब खाने से बचना चाहिए लेकिन ये भी सच है कि खाने-पीने की ज्यादातर वस्तुओं की जांच आप घर पर नहीं कर सकते..क्योंकि ये जांच किसी लैब में ही संभव हो पाती है . लेकिन आप नकली सामान की शिकायत ज़रूर कर सकते हैं. 

इसके लिए आपको Food Safety and Standards Authority of India के टोल फ्री नंबर.. 1800112100 पर फोन करके शिकायत दर्ज करानी होगी. FSSAI वेबसाइट www.fssai.gov.in पर.. 6 अलग-अलग क्षेत्रों के शिकायद केंद्रों और दो Laboratories के नंबर भी उपलब्ध है. आप इन नंबरों पर भी संपर्क कर सकते हैं और मिलावट से जुड़ी शिकायत दर्ज करा सकते हैं. 

कानून के मुताबिक अगर नकली सामान की वजह से किसी की मौत हो जाती है तो आरोपी को उम्र कैद की सज़ा हो सकती है और उस पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी हो सकता है लेकिन अगर नकली सामान से किसी को कोई शारीरिक नुकसान नहीं पहुंचता है तो आरोपी को 6 महीने की सज़ा हो सकती है. गंभीर शारीरिक नुकसान पहुंचने की स्थिती में 6 साल की सज़ा के साथ साथ 5 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान भी है. यानी मिलावट को रोकने के लिए कानून तो मौजूद हैं. लेकिन इसका असर मिलावटखोरों पर नहीं हो रहा है. 

मिलावट को अब भारतीय समाज ने स्वीकार कर लिया है. यही वजह है कि मिलावट अब कोई बड़ा मुद्दा नहीं है लेकिन एक ज़माना था, जब इसे एक सामाजिक बुराई माना जाता था. यही वजह है कि पहले की फिल्मों में मिलावट करने वाले को खलनायक के रूप में दिखाया जाता था और फिल्म का नायक उसे सज़ा भी देता था. इस बात को समझने के लिए आपको आज से 32 साल पहले आई फिल्म, ''मिस्टर इंडिया'' का ये दृश्य देखना चाहिए. 

दुख की बात ये है कि भारत में बेईमानी और मिलावट का ये सिलसिला घरों से लेकर बाज़ार तक...दफ्तरों से लेकर...बड़े बड़े Shopping Malls तक और यहां तक कि मंदिरों में भी लगातार चलता रहता है.  हम अपने भगवान को भी मिलावटी दूध और फल अर्पित कर देते हैं. यानी मिलावट का धंधा करने वाले...धर्म को भी नहीं छोड़ रहे. भारत में नकल करके पास होने वाले छात्र हैं. 100 प्रतिशत शुद्धता की गारंटी देकर नकली सामान बेचने वाले व्यापारी हैं. जनता से वादा करके उसे तोड़ने वाले नेता हैं. कानूनों और नियमों का मज़ाक उड़ाने वाले भ्रष्ट अधिकारी हैं. ख़बरों में मिलावट करने वाले डिज़ाइनर पत्रकार हैं . दूषित हवा और पानी है . और दूध और घी की हालत तो आप जानते ही हैं. इस मिलावट को किसी कानून से दूर नहीं किया जा सकता. इसके लिए किसी Gadget या तकनीक का आविष्कार करने की ज़रूरत नहीं है, इसके लिए बस थोड़ी सी नैतिकता और ईमानदारी की ज़रूरत है. और अगर ऐसा हुआ तो सुबह से शाम तक मिलावट के बीच में रहने की वजह से ना तो आपका शरीर शुद्ध रहेगा और ना ही आपके विचार. 

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