Zee जानकारी: रियल इस्टेट रेगुलेशन एक्ट ने दिखाई उम्मीद की किरण, बिल्डर्स की मनमानी पर लगेगी रोक
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Zee जानकारी: रियल इस्टेट रेगुलेशन एक्ट ने दिखाई उम्मीद की किरण, बिल्डर्स की मनमानी पर लगेगी रोक

एक सामान्य नौकरीपेशा व्यक्ति का सबसे बड़ा सपना होता है अपना घर जिसके लिए वो बड़ी मेहनत से पाई-पाई जुटाकर पैसा इकट्ठा करता है। लाखों रुपये का कर्ज़ लेता है और घर की बुकिंग कराता है। इसके बाद वो अपने परिवार की तमाम ज़रूरतों और शौक पर कैंची चलाकर हर महीने बैंक को भारी भरकम ईएमआई देता है लेकिन बदले में बिल्डर उसके साथ धोखा करता है। 

Zee जानकारी: रियल इस्टेट रेगुलेशन एक्ट ने दिखाई उम्मीद की किरण, बिल्डर्स की मनमानी पर लगेगी रोक

नई दिल्ली : एक सामान्य नौकरीपेशा व्यक्ति का सबसे बड़ा सपना होता है अपना घर जिसके लिए वो बड़ी मेहनत से पाई-पाई जुटाकर पैसा इकट्ठा करता है। लाखों रुपये का कर्ज़ लेता है और घर की बुकिंग कराता है। इसके बाद वो अपने परिवार की तमाम ज़रूरतों और शौक पर कैंची चलाकर हर महीने बैंक को भारी भरकम ईएमआई देता है लेकिन बदले में बिल्डर उसके साथ धोखा करता है। 

सारी कागज़ी कार्रवाई पूरी करने और ईएमआई देने के बावजूद अपने सपनों के घर में एंट्री करने में, एक सामान्य व्यक्ति को कई वर्ष लग जाते हैं। ये देश के मध्यम वर्ग के लाखों लोगों का दर्द हैं। जिसकी कोई सुनवाई नहीं होती। हालांकि इन मुश्किलों के बीच उम्मीद की एक किरण भी दिखी है। सरकार ने  रियल इस्टेट रेगुलेशन एक्ट के नियमों को नोटिफाई कर दिया है। अब बिल्डर की तरफ से पजेशन में देरी और खरीददार की तरफ से किस्त जमा करने में देरी के मामलों में ज़ुर्माने की दर बराबर कर दी गई है।

-पजेशन यानी खरीददारों को घर सौंपने में देरी करने वाले बिल्डरों को अब 10.9% की दर से खरीददार को ब्याज़ देना होगा।  
-इसी तरह EMI देने में देरी करने पर घर खरीदने वाले को भी 10.9 प्रतिशत की दर से ही ज़ुर्माना देना होगा। 
-पहले EMI में देरी होने पर खरीददारों को 15 प्रतिशत की दर से जुर्माना देना पड़ता था। जबकि मकान का पजेशन देने में देरी होने पर बिल्डर ज़्यादातर मामलों में ग्राहकों को कुछ नहीं देते थे और अगर कोई मामला बड़ा हो जाता था तो वो ग्राहकों को छोटी मोटी रकम देकर मामला रफा दफा कर देते थे।
-नये नियमों के मुताबिक जो ग्राहक बिल्डर से परेशान होकर रिफंड लेना चाहते हैं उन्हें ऐसा करने का पूरा हक होगा।
-नए नियमों के मुताबिक बिल्डर को 45 दिनों के अंदर रिफंड की रकम ग्राहकों को चुकानी होगी।
-इन नियमों के नोटिफाई होने के बाद हर बिल्डर को अपने अपने राज्य के स्टेट रेगुलेटर के पास अपना पंजीकरण कराना होगा।
-बिलडर्स को प्रोजेक्ट के नाम पर जुटाए गए फंड्स का 70 प्रतिशत पैसा एक अलग बैंक खाते में जमा कराना होगा।
-इस नियम का फायदा ये होगा कि बिल्डर किसी एक प्रोजेक्ट के लिए इकठ्ठा किया गया पैसा अपने किसी दूसरे प्रॉजेक्ट में इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे।
-इससे पहले नियमों के अभाव में बिल्डर आपसे ली गई रकम को दूसरे प्रोजेक्ट्स में लगा देते थे और इसी वजह से निर्माण कार्य में देरी हुआ करती थी।
-अब बिल्डर्स को प्रोजेक्ट के रजिस्ट्रेशन के समय ही ये बताना होगा कि वो किस वक्त तक ग्राहकों को पजेशन देंगे।
-फिलहाल कई मामले ऐसे हैं जहां लोग 10-10 वर्षों से पजेशन का इंतज़ार कर रहे हैं। लेकिन बिल्डरों की मनमानी की वजह से उन्हें अपना घर नहीं मिल पा रहा है।
-नये नियमों के मुताबिक बिल्डर्स के खिलाफ शिकायत दर्ज होने के बाद स्टेट रेगुलेटर को 60 दिनों के अंदर मामले का निपटारा करना होगा।

एक सामान्य मध्यमवर्गीय व्यक्ति के लिए ये बहुत बड़ा मुद्दा है कि सब कुछ दांव पर लगाकर भी उसे अपना घर नहीं मिल पाता है। हम आपको कुछ आंकड़े दिखाते हैं जो ये बताते हैं कि ये संकट कितना बड़ा है?

-दिल्ली-एनसीआर में इस वर्ष करीब 6 लाख 45 हज़ार फ्लैट्स का पजेशन दिया जाना था।
-लेकिन इनमें से 72 फीसदी फ्लैट्स के पजेशन में अब भी 2 से 4 वर्ष का समय लग सकता है।
-अगर पजेशन मिलने में होने वाली औसत देरी को देखें तो गाज़ियाबाद और नोएडा में ढाई वर्ष की देरी हो रही है। इसी तरह गुड़गांव में करीब 3 वर्ष
और फरीदाबाद में करीब 4 वर्ष की देरी हो रही है।
-इसमें नोएडा क्षेत्र की हालत सबसे ज़्यादा ख़राब है जहां इस वर्ष करीब 3 लाख 60 हज़ार फ्लैट्स का पजेशन दिया जाना था लेकिन इनमें 89 फीसदी
फ्लैट कम से कम तीन वर्ष की देरी से ही मिलेंगे।
-ASSOCHAM के मुताबिक देश भर में रियल स्टेट सेक्टर के 75 फीसदी से ज़्यादा प्रोजेक्ट वक्त पर पूरे नहीं होते हैं।
-यही वजह है कि अब लोग फ्लैट खरीदने से हिचक रहे हैं, हालत ये है कि प्रॉपर्टी के 8 बड़े Markets में इस वक्त करीब 7 लाख घर खाली पड़े हैं और उनकी बिक्री नहीं हो पा रही है ।

यहां गौर करने वाली बात ये भी है कि बिल्डर आपसे पैसा लेने के बाद उसे सही जगह पर लगाने के बजाए इस पैसे पर ब्याज़ वसूलते हैं या फिर इस पैसे को किसी दूसरे प्रोजेक्ट में लगा देते हैं। आपसे पैसे लेकर वक़्त पर काम पूरा न करने वाले ये बिल्डर आलीशान घरों में रहते हैं। बड़ी-बड़ी गाड़ियों में घूमते हैं और जब आप उनसे अपने पैसे वापस मांगते हैं तो वो कहते हैं कि उनके पास पैसा नहीं है। जब आप ऐसे बिल्डर्स से मिलने की कोशिश करते होंगे तो इनके प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड्स आपको इन तक पहुंचने भी नहीं देते लेकिन अब रियल इस्टेट रेगुलेशन एक्ट के अमल में आने के बाद हालात बदलने की उम्मीद की जा सकती है। 

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