Zee जानकारी : एक जैसे हमलों के बावजूद भारत औऱ फ्रांस के सिस्टम की सोच अलग
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Zee जानकारी : एक जैसे हमलों के बावजूद भारत औऱ फ्रांस के सिस्टम की सोच अलग

अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में कुछ देश आतंकवाद को एक हथियार की तरह इस्तेमाल करते हैं और कुछ देश इसे बिज़नेस या अपनी छवि चमकाने के मौके के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं। पेरिस में हुए आतंकवादी हमले के बाद दुनिया का हर बड़ा देश आतंकी संगठन आईएसआईएस के ख़ात्मे की कसम खा रहा है। फ्रांस और अमेरिका ने आईएसआईएस के ठिकानों पर बमबारी तेज़ कर दी है। आईएसआईएस के हमले के एक घंटे के अंदर ही पेरिस में आपातकाल घोषित कर दिया गया था और अब दुनिया के तमाम ताकतवर देशों का एक ही एजेंडा है और वो है आईएसआईएस का खात्मा। पेरिस में हुए आतंकी हमलों ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है। खुद को सुपरपावर समझने वाले देशों ने आईएसआईएस के खिलाफ बड़े-बड़े डायलॉग भी मारे हैं। ऐसे में हमें 2008 में 26 नवंबर को मुंबई पर हुआ आतंकवादी हमला याद आ रहा है।

Zee जानकारी : एक जैसे हमलों के बावजूद भारत औऱ फ्रांस के सिस्टम की सोच अलग

नई दिल्ली : अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में कुछ देश आतंकवाद को एक हथियार की तरह इस्तेमाल करते हैं और कुछ देश इसे बिज़नेस या अपनी छवि चमकाने के मौके के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं। पेरिस में हुए आतंकवादी हमले के बाद दुनिया का हर बड़ा देश आतंकी संगठन आईएसआईएस के ख़ात्मे की कसम खा रहा है। फ्रांस और अमेरिका ने आईएसआईएस के ठिकानों पर बमबारी तेज़ कर दी है। आईएसआईएस के हमले के एक घंटे के अंदर ही पेरिस में आपातकाल घोषित कर दिया गया था और अब दुनिया के तमाम ताकतवर देशों का एक ही एजेंडा है और वो है आईएसआईएस का खात्मा। पेरिस में हुए आतंकी हमलों ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है। खुद को सुपरपावर समझने वाले देशों ने आईएसआईएस के खिलाफ बड़े-बड़े डायलॉग भी मारे हैं। ऐसे में हमें 2008 में 26 नवंबर को मुंबई पर हुआ आतंकवादी हमला याद आ रहा है।

मुंबई हमले के बाद किसी भी बड़े देश ने ये नहीं कहा था कि पाकिस्तान में आतंकवादियों के अड्डों को ध्वस्त करना चाहिए या आतंकवाद के प्रायोजकों पर बमबारी करनी चाहिए जबकि मुंबई पर हुआ हमला इस मायने में पेरिस से बड़ा हमला था क्योंकि मुंबई पर हमला करने के लिए आए आतंकवादियों को पाकिस्तान की सरकार और सिस्टम से पूरा समर्थन मिला हुआ था।

एक आतंकवादी संगठन द्वारा किए गए हमले और एक देश के समर्थन से किए गए आतंकवादी हमले में बहुत बड़ा फ़र्क होता है। मुंबई का हमला एक तरह से भारत के खिलाफ युद्ध था लेकिन अफसोस की बात ये है कि उस वक्त दुनिया के सभी बड़े देश इस तरह से खुलकर नहीं बोल रहे थे जिस तरह से आज वो आईएसआईएस के खिलाफ बोल रहे हैं क्योंकि बीच में पाकिस्तान था। मुंबई के 26/11 हमले को एक कूटनीतिक टकराव समझकर नज़रअंदाज़ कर दिया गया। हमें लगता है कि अलग-अलग जगहों पर हो रहे आतंकवाद में कोई फर्क नहीं होता। इसलिए भारत जिस आतंकवाद से पीड़ित है वो फ्रांस पर हुए आतंकवादी हमले से कमतर नहीं है।

वैसे फर्क सिर्फ दुनिया के नज़रिये में नहीं है। हमारे सिस्टम के नज़रिए में भी है। फ्रांस ने जिस तरह आतंकवादी हमले पर अपनी प्रतिक्रिया दी वो भारत की प्रतिक्रिया से कहीं ज़्यादा तेज़ और असरदार थी। ऐसे में हम पेरिस और मुंबई पर हुए आतंकवादी हमलों का एक तुलनात्मक अध्ययन करेंगे। पेरिस हमले के बाद दुनिया गंभीर सवालों का सामना कर रही है। हम आपको बताएंगे कि फ्रांस आतंकवादियों के निशाने पर क्यों है? और आईएसआईएस का मक़सद क्या है?

आज दुनिया भर में पेरिस हमले की चर्चा हो रही है लेकिन पेरिस के दर्द को कोई देश सबसे ज़्यादा महसूस कर सकता है तो वो देश भारत है। 26 नवंबर 2008 को मुंबई की वो काली रात और उसके बाद के 60 घंटे हम कभी नहीं भूल सकते हैं। पेरिस में भी आतंकवादियों ने बिल्कुल मुंबई जैसा हमला किया है।

-मुंबई पर हमला करने के लिए 10 आतंकवादी आए थे, पेरिस पर 8 आतंकवादियों ने हमला किया।
-मुंबई हमले में 2-2 आतंकवादियों के 5 ग्रुप बने थे, जबकि पेरिस हमले में 4-4 आतंकवादियों के 2 ग्रुप बने थे।
-मुंबई पर हमला करने वाले आतंकवादी फिदायीन थे, इसी तरह पेरिस में भी आतंकवादियों ने ख़ुद को बम से उड़ा लिया।
-मुंबई हमले में आतंकवादियों ने 10 चुनी हुई जगहों पर हमले किए, पेरिस में आतंकवादी ने 7 चुनी हुई जगहों पर हमले किए।
-मुंबई हमले में आतंकवादियों ने टारगेट वाली जगहों पर अंधाधुंध फायरिंग की और लोगों को बंधक बना लिया, पेरिस में भी ठीक ऐसा ही हुआ।
-मुंबई हमले में सबसे ज़्यादा 58 लोग सीएसटी रेलवे स्टेशन पर मारे गए थे।
-जबकि पेरिस हमले में एक थिएटर में 89 लोग मारे गए।
-मुंबई हमले में 9 आतंकवादी मारे गए थे और एक आतंकवादी कसाब ज़िंदा पकड़ा गया था, पेरिस हमले में 7 आतंकवादी मारे गए और 1 आतंकवादी फरार है।
-मुंबई हमले की तरह पेरिस हमला भी पूरी तैयारी से किया गया एक सुनियोजित हमला था।
-मुंबई हमले के आतंकवादियों को पाकिस्तान में ट्रेनिंग मिली और हथियार मिले, पेरिस हमले के आतंकवादियों को आईएसआईएस से ट्रेनिंग और हथियार मिले।
-मुंबई हमला पाकिस्तान से प्रायोजित आतंकवाद था...तो पेरिस हमला आतंकवादी संगठन आईएसआईएस द्वारा प्रायोजित आतंकवाद है।

अब सोचिए कि एक हमला जो किसी देश द्वारा प्रायोजित था और एक हमला जो किसी आतंक-वादी संगठन द्वारा प्रायोजित है। इन दोनों के बीच कितना बड़ा फ़र्क है। फिर भी मुंबई हमले के बाद पाकिस्तान पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। पाकिस्तान के अंदर चल रहे आतंकी ट्रेनिंग कैंपों पर किसी ने बमबारी नहीं की। किसी ने पाकिस्तान के खिलाफ कुछ नहीं कहा। इसे एक कूटनीतिक टकराव मानकर ठंडा कर दिया गया। ये बहुत अफसोस की बात है कि पेरिस हमले के बाद अब दुनिया को ये समझ में आ रहा है कि मुंबई हमला क्या था। दुनिया के बड़े देशों को ये दोहरी नीति छोड़नी पड़ेगी तभी आतंकवाद को हम ख़त्म कर सकते हैं। वैसे पेरिस हमले से भारत के लिए भी बड़े सबक हैं। एक जैसे हमलों के बावजूद फ्रांस के सिस्टम की सोच और भारत के सिस्टम की सोच किस तरह से अलग-अलग है। आज इसका विश्लेषण करना देश हित के लिए बहुत ज़रूरी है।

पेरिस पर हमले के बाद किस तरह से फ्रांस का सिक्योरिटी सिस्टम और सरकार तुरंत एक्शन में आ गई। इसे भारत के सिक्योरिटी सिस्टम और सरकार चलाने वालों को ज़रूर समझना चाहिए। पूरी दुनिया में पेरिस हमले और 26-11 के मुंबई हमले के बीच की समानता पर चर्चा हो रही है लेकिन मुंबई हमले के बाद हमारे देश के सिस्टम की प्रतिक्रिया कैसे लचर रही, इस पर भी बात होनी चाहिए।

-मुंबई हमले में 60 घंटे तक मुंबई बंधक बनी रही लेकिन पेरिस में 6 घंटे में ही सब सामान्य हो गया।
-मुंबई हमले में शुरुआती 2 घंटे तक पुलिस भ्रम में रही लेकिन पेरिस में पुलिस ने 90 मिनट में मोर्चा संभाल किया।
-मुंबई हमले के शुरुआत में पुलिस के बड़े अफसर इसे गैंगवार समझते रहे, पेरिस में पुलिस तुरंत एक्टिव हो गई।

मुंबई हमले में हालात ये थे कि मुंबई पुलिस के अफसरों को समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करें। इसे गैंगवॉर समझने की भूल में मुंबई पुलिस के जांबाज़ अधिकारियों की जान चली गई। इनमें शहीद एटीएस चीफ हेमंत करकरे, शहीद एसीपी अशोक काम्टे, शहीद विजय सालस्कर का नाम है।

-मुंबई हमले में पुलिस के जवान पुराने हथियार के दम पर आतंकवादियों का सामना कर रहे थे।
-मुंबई पुलिस के जवानों के पास अच्छे स्तर की बुलेटप्रूफ जैकेट भी नहीं थी।
-जबकि पेरिस में पुलिस के कमांडो पूरी तरह से तैयार थे।
-पेरिस पुलिस के कमांडो के पास आधुनिक सिस्टम और हथियार थे।
-और पेरिस पुलिस ने बिना किसी देरी के आतंकवादियों पर काउंटर अटैक किया।

मुंबई हमले में हालात से निपटने के लिए मरीन कमांडो लगाए गए थे लेकिन ये कमांडो इन हालात के लिए ट्रेंड नहीं थे। इसके अलावा सुरक्षा एजेंसियां सरकार के आदेश का इंतज़ार करती रहीं। हालत ये थी कि मुंबई हमले के शुरुआत में केंद्र या राज्य सरकार में किसी को कोई जानकारी ही नहीं थी जबकि पेरिस हमले के तुरंत बाद वहां की सुरक्षा एजेंसियां और पुलिस एक्टिव हो गईं।

-स्टेडियम में फंसे होने पर भी राष्ट्रपति ने तुरंत एक्शन लेना शुरू किया।
-फ्रांस के राष्ट्रपति ने तुरंत इमरजेंसी लगाने का ऐलान कर दिया।
-फ्रांस से जुड़े सभी बॉर्डर सील हो गए, आर्मी को अलर्ट कर दिया।
-पुलिस ने इंतज़ार किए बिना घंटे भर में सभी जगहों पर चार्ज ले लिया।
-पेरिस में दाखिल होने और निकलने के रास्ते तुरंत सील कर दिए गए।
-पेरिस में पुलिस की मदद के लिए आर्मी के 1500 जवानों को बुलाया गया।
-फरार आतंकवादी को पकड़ने के लिए 160 से ज़्यादा छापे किए गए।

अब मुंबई हमले को ज़रा याद कीजिए। आतंकवादी कसाब को पकड़ने वाले मुंबई पुलिस के कॉन्सटेबल शहीद तुकाराम ओंबले उस वक्त खाली हाथ थे। सरकार चलाने वालों की लचर प्रतिक्रिया देखिए कि हमले के डेढ़ घंटे बाद महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख को इसकी जानकारी मिली थी तब उन्होंने तत्कालीन गृह मंत्री शिवराज पाटिल से बात की और एनसीजी कमांडो भेजने को कहा। सिस्टम की हालत ये थी कि दिल्ली से एनएसजी कमांडोज़ के आने में ही 10 घंटे लग गए थे।

सवाल ये है कि क्या मुंबई के लोगों की जान पेरिस के लोगों की जान से सस्ती है। पेरिस में हमले के बाद अगर फ्रांस आईएसआईएस से बदला लेने की कसम खा सकता है और आईएसआईएस के इलाकों में जाकर बमबारी कर सकता है तो भारत ठीक ऐसा ही क्यों नहीं कर सकता था। आज पेरिस के हमलावरों को ढूंढने में फ्रांस के पड़ोसी देश भी मदद कर रहे हैं। फ्रांस का पड़ोसी देश बेल्जियम भी हमलावरों को ढूंढ रहा है क्योंकि एक हमलावर का कनेक्शन बेल्जियम से भी है लेकिन मुंबई हमले के बाद क्या हुआ था। वो भी ज़रा याद कीजिए पाकिस्तान ने तो ये मानने से भी इनकार कर दिया था कि मुंबई पर हमला करने वाले आतंकवादी उसके देश के हैं जबकि ये आतंकवादी मुंबई में बैठकर पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं से निर्देश ले रहे थे और इसकी पूरी रिकॉर्डिंग मौजूद है। मुंबई पर हमला करने वाले आतंकवादी आज भी पाकिस्तान में चैन से ज़िंदगी जी रहे हैं। मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज़ सईद को तो पाकिस्तान की सरकार ने पूरा संरक्षण दे रखा है और वो पाकिस्तान में खुलेआम बेफिक्र होकर घूमता है।

आतंकवादी हमलों पर मीडिया और नेताओं की सोच का विश्लेषण

-पेरिस हमले में आपने ना खून से सने फोटो देखे होंगे, ना दहशत वाले वीडियो देखे होंगे।
-जबकि मुंबई हमले में मीडिया ने ऐसी तस्वीरें और वीडियो दिखाने से परहेज नहीं किया।
-फ्रांस के मीडिया की सोच थी कि एकजुटता दिखाकर आतंकवाद को हराना होगा।
-लेकिन मुंबई हमले में मीडिया ने इस तरह की लाइव रिपोर्टिंग की, जिसे देखकर आतंकवादियों को ही फायदा हो रहा था।
-मुंबई में आतंकियों को नुकसान करने के लिए ज़्यादा वक़्त मिल रहा था और मीडिया के ज़रिए जानकारियां मिल रही थीं।
-यहां तक कि मुंबई हमले में हमारा मीडिया आतंकवादियों की बातचीत का भी प्रसारण कर रहा था।
-पेरिस हमले में वहां के मीडिया के रिपोर्टर पीड़ितों से ये नहीं पूछ रहे थे कि आपको कैसा लग रहा है?
-जबकि मुंबई हमले के बाद आपने भारतीय मीडिया केकई बड़े चेहरों को पीड़ित लोगों से ऐसे सवाल पूछते हुए देखा होगा।
-मीडिया के ऐसे बड़े-बड़े संपादक और रिपोर्टर ऐसे मौकों को अपना चेहरा चमकाने का बड़ा अवसर मानते हैं।
-इसके अलावा अगर जनता की बात करें तो पेरिस हमले में फुटबॉल स्टेडियम में भगदड़ मचाने के लिए तीन धमाके किए गए।
-स्टेडियम में फ्रांस के राष्ट्रपति सहित 80 हज़ार लोग मौजूद थे।
-लेकिन इन सभी लोगों ने हिम्मत दिखाई और पूरा संयम बरता।
-यहां तक कि लोगों ने उसी स्टेडियम में एकजुट होकर राष्ट्रगान भी गाया और कतार में निकले लोगों ने घायलों की मदद की और शहर में अपने स्तर पर कैंपेन भी चलाया।
-लेकिन मुंबई हमले के बाद क्या हुआ था इसे याद करिए, जनता ने नेताओं पर ग़ुस्सा निकलना शुरू कर दिया था।
-जनता के गुस्से को मीडिया ने भड़काया और वो नेताओं के खिलाफ बोलने में सबसे आगे रहा।
-किसी ने इस बात पर ज़ोर नहीं दिया कि ये आरोप लगाने का नहीं, बल्कि एकजुट रहने का वक्त होता है।

आतंकी हमले पर सरकार की सोच का विश्लेषण

-पेरिस हमले के बाद फ्रांस में किसी तरह की राजनैतिक बयानबाज़ी नहीं हुई।
-ना ही हमले के तुरंत बाद सरकार और सिस्टम की खामियां बताई जाने लगीं।
-ये तब है जब फ्रांस में स्थानीय स्तर के चुनाव होने वाले हैं।
-फ्रांस में विपक्ष के नेता ने इस हमले के बाद कहा कि पूरा देश इस मुश्किल वक्त में राष्ट्रपति के साथ खड़ा है।
-पूरे देश ने और नेताओं ने पेरिस हमले को देश के खिलाफ छेड़ा गया युद्ध बताया है।
-ऐसे नाज़ुक मौके पर वहां निजी स्वार्थ और एजेंडा चलाने वाली सोच नहीं दिखाई दी।
-मुंबई हमले के बाद यहां पर मुख्यमंत्री और गृह मंत्री से तुरंत इस्तीफा मांगा जाने लगा।
-5 दिन के अंदर देश के गृह मंत्री और महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा।
-दिग्विजय सिंह जैसे नेता बिना जाने और समझे हमलों को घर की ही साज़िश बताने लगे।
-और वोट की राजनीति के लिए हिंदू आतंकवाद जैसे शब्द उछालने लगे।
-आज भी यही हो रहा है मणिशंकर अय्यर और आज़म खान जैसे नेता पेरिस में हुए हमले को असहनशीलता की प्रतिक्रिया बताकर एक तरह से जायज़ ठहरा रहे हैं।

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