ZEE जानकारी: झूठ बोलने में सबसे बड़ी कलाकार होती हैं टेलीकॉम कंपनियां
Advertisement

ZEE जानकारी: झूठ बोलने में सबसे बड़ी कलाकार होती हैं टेलीकॉम कंपनियां

भारत जैसे देश में, जहां 4G नेटवर्क की स्पीड चींटी की रफ़्तार से भी कम है, वहां ऐसे चांद पर 4जी नेटवर्क की शुरूआत लोगों के साथ एक मजाक है.

ZEE जानकारी:  झूठ बोलने में सबसे बड़ी कलाकार होती हैं टेलीकॉम कंपनियां

अगर कुछ देर के लिए झूठ बोलने को एक कला मान लिया जाए तो भारत में 4G नेटवर्क देने वाली कंपनियों को इस कला का सबसे बड़ा कलाकार कहा जा सकता है. 4G नेटवर्क के बारे में सुनकर आपके दिमाग में मोबाइल पर धूमती हुई चकरी वाली तस्वीर उभरती होगी. भारत में तेज़ स्पीड वाले 4G नेटवर्क के नाम पर आपको सिर्फ़ Buffering mode वाला नेटवर्क मिलता है. ऐसा इसलिए होता क्योंकि 4G नेटवर्क देने वाली टेलीकॉम कंपनिय़ों ने आपके साथ बहुत बड़ा मज़ाक किया है.

ये कंपनियां सिर्फ महंगे और आर्कषक विज्ञापनों के जरिए अपना कनेक्शन आपको बेच देती हैं लेकिन जब आप इसका इस्तेमाल करते हैं तो मिलती है थकी हुई 4G स्पीड और घूमती हुई चकरी. परेशानी की बात ये है कि आपकी इस समस्या का इलाज न तो 4G देने वाली कंपनियों के पास है और ना ही सिस्टम के पास है.

इन सारी समस्याओं के बीच 4G से जुड़ी एक और ख़बर आई है. 2019 में चांद पर 4G नेटवर्क की शुरूआत की जाएगी. इस ख़बर ने देश के करोड़ों 4G नेटवर्क उपभोक्ताओं की दुखती रग पर हाथ रख दिया है. आपमें से ज़्यादातर लोगों की यही प्रतिक्रिया होगी कि पहले धरती पर तो 4G नेटवर्क की सही तरीके से शुरुआत कर लेते, उसके बाद चांद की तैयारी होनी चाहिए. दुनिया की तीन बड़ी कंपनियां वोडाफोन, नोकिया और कार बनाने वाली कंपनी ऑडी ने मिलकर एक प्रोजेक्ट तैयार किया है जिसके तहत अगले साल 2019 तक चांद पर 4G नेटवर्क की शुरूआत की जाएगी. 

इस 4G नेटवर्क की मदद से चांद की सतह से HD क्वालिटी में वीडियो स्ट्रीमिंग की जाएगी. यानी चांद की सतह के वीडियो को धरती पर आसानी से Live देखा जा सकेगा. इस मिशन में नोकिया तकनीकी पार्टनर है जो वोडाफोन के साथ मिलकर चांद पर अल्ट्रा कॉम्पैक्ट नेटवर्क तैयार करेगा. इस तकनीक में हल्के वज़न वाले उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है. इस प्रोजेक्ट में कार बनाने वाली कंपनी ऑडी lunar quattro rovers बनाएगी इसे आसान भाषा में आप चांद की सतह पर चलने वाली छोटे आकार की गाड़ी भी कह सकते हैं. 

विज्ञान के क्षेत्र में आप इसे क्रांतिकारी कदम कह सकते हैं. लेकिन भारत जैसे देश में, जहां 4G नेटवर्क की स्पीड चींटी की रफ़्तार से भी कम है, वहां ऐसे समाचार करोड़ों लोगों का मज़ाक उड़ाते हैं. आप इसे इन कंपनियों का ज़बरदस्त मार्केटिंग प्लान भी कह सकते हैं. आपको याद होगा कि कुछ दिन पहले अमेरिका की कार बनाने वाली कंपनी Tesla ने अंतरिक्ष में अपनी एक कार भेजी थी. जबकि इस कार को अंतरिक्ष में भेजने से विज्ञान के क्षेत्र में कोई लाभ नहीं होने वाला था लेकिन कार बनाने वाली कंपनी ने अपने प्रचार के लिए ऐसा किया था. 

भारत में इंटरनेट की सेवाएं देने वाली टेलिकॉम कंपनियां भी मार्केटिंग तो खूब करती हैं लेकिन उनसे उपभोक्ता खुश नहीं हैं. दुनियाभर में इंटरनेट स्पीड का विश्लेषण करने वाली संस्था Open Signal के मुताबिक, 4G LTE स्पीड के मामले में भारत 78 देशों में 76 वें नंबर पर है. सिंगापुर इस लिस्ट में पहले नंबर पर है. भारत में औसत 4G स्पीड 6.07 Mbps है. जबकि सिंगापुर में ये स्पीड करीब 7 गुना ज़्यादा यानी 44.3 Mbps है. ऐसे में चांद वाले 4G नेटवर्क की ख़बर भारत के लोगों के लिए एक मज़ाक है.

Trending news