ZEE जानकारीः इंसानी शरीर में एक घड़ी फिट होती है जो उसका मूड को तय करती है!
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ZEE जानकारीः इंसानी शरीर में एक घड़ी फिट होती है जो उसका मूड को तय करती है!

ब्रिटेन में हुए एक रिसर्च के मुताबिक अगर इंसान अपनी Psychological Clock यानी मनोवैज्ञानिक घड़ी के हिसाब से अपना जीवन जिए तो वो आसानी से सफलता प्राप्त कर सकता है . 

ZEE जानकारीः इंसानी शरीर में एक घड़ी फिट होती है जो उसका मूड को तय करती है!

आपने अकसर लोगों को बातचीत के दौरान ये कहते हुए सुना होगा कि आज मूड बहुत खराब है या Mood Off मत करो. लेकिन आपको ये पता नहीं होगा कि हर इंसान के शरीर में एक घड़ी फिट होती है जो उसकी मानसिक स्थिति या मूड को तय करती है . आपको कब भोजन करना है? कब सोना है? काम करने का सही समय क्या है? बॉस से सैलरी बढ़ाने की बात करनी हो या झगड़े सुलझाने हों, तो कौन सा वक़्त ठीक रहेगा? क्या ये पता चल सकता है कि किसी का मन किस वक़्त शांत रहेगा और किस वक़्त उसे सबसे ज़्यादा गुस्सा आएगा ? ये फिल्मी सवाल नहीं हैं. इनके पीछे बहुत गहरा विज्ञान है. और आज हम आपको इस विज्ञान के बारे में बताएंगे. 

ब्रिटेन में हुए एक रिसर्च के मुताबिक अगर इंसान अपनी Psychological Clock यानी मनोवैज्ञानिक घड़ी के हिसाब से अपना जीवन जिए तो वो आसानी से सफलता प्राप्त कर सकता है . इसके लिए पूरी दुनिया के 8 करोड़ लोगों के tweets का अध्ययन किया गया . जिसमें ये पाया गया कि सफलता के राज़ आपके दिमाग के अंदर छिपे होते हैं और इन्हें Psychological Clock का अध्ययन करके समझा जा सकता है. 

इस घ़ड़ी के हिसाब से दिन की शुरूआत सुबह 6 बजे होनी चाहिए. ये सुबह उठने का सबसे सही समय है.उस वक्त हमारा दिमाग Cortisol नामक hormone रिलीज़ करता है जो दिमाग को तेज़ और एक्टिव रखता है . वैसे हमारे बड़े बुज़ुर्ग सुबह जल्दी उठने की बात हमेशा से कहते रहे हैं. लेकिन आज इस बात का वैज्ञानिक पहलू भी सामने आ गया है. 

अगर आप सुबह देर से उठना पसंद करते हैं तो इससे आपके शरीर में आलस और सुस्ती बनी रहती है . इसका सबसे बड़ा कारण है कि सुबह 8 बजे के आसपास हमारे शरीर में Cortisol hormone घटने लगता है जिससे थकान और उदासी हावी होने लगती है. 

आप चाहें तो इस समय धूप में निकलकर कुछ Work Out कर सकते हैं इससे दिनभर आपका शरीर Active रहेगा. दोपहर 12 बजे आपके positive emotions सबसे ज़्यादा होते हैं यानी इस समय आपका दिमाग सकारात्मक सोच पैदा करता है . आप चाहे तो इस समय अपने काम से जुड़े ज़रूरी फैसले ले सकते हैं . किसी को फोन कर सकते हैं या कोई Deal Sign कर सकते हैं . 

इसके बाद दोपहर 3 से 5 बजे के दौरान आपको सुस्ती महसूस होने लगती है . कई लोगों का मन करता है कि थोड़ी सी झपकी लेने का मौका मिल जाए . भारत में कई लोग इसे दोपहर की नींद वाला समय भी कहते हैं . इस समय हमारे शरीर में Serotonin नामक hormone कम होने लगता है . ये hormone हमारे शरीर को खुशी का अहसास कराता है . यानी खुशी कम हो जाएगी और सुस्ती बढ़ जाएगी. शाम को 6 से 8 बजे के दौरान इस hormone का स्तर शरीर में सबसे ज़्यादा होता है जिससे इंसान को खुशी और ऊर्जा महसूस होती है . आप चाहें तो इस समय अपने सीनियर के सामने छुट्टी या increment वाली बात कर सकते हैं . इस समय आप अगले दिन की Planning भी कर सकते हैं . 

और रात 10 बजे Melatonin Hormone सक्रिय हो जाता है जो अच्छी नींद लाने में मदद करता है. अगर आप किसी कारण से 10 बजे नहीं सो पाए हैं तो फिर नींद का अगला मौका आता है रात एक बजे, ये भी सोने के लिए एक अच्छा समय हो सकता है.

कुल मिलाकर इस रिसर्च का सबक ये है कि अपनी जीवनशैली को हमेशा अनुशासन में रखना चाहिए. इससे जुड़ी एक कहावत भी आपने कई बार आपने सुनी होगी - 'Early to bed and early to rise makes a man healthy, wealthy and wise' ये बात शरीर की Psychological Clock से बहुत मेल खाती है... इस रिसर्च से जुड़ी एक रिपोर्ट आज हमने आपके लिए तैयार की है ताकि आप ये समझ सकें कि आपके अंदर चल रही ये घड़ी आपसे क्या कह रही हैं.

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