Zee जानकारी : बीएसएफ जवान के वायरल वीडियो ने उठाए कई गंभीर सवाल
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Zee जानकारी : बीएसएफ जवान के वायरल वीडियो ने उठाए कई गंभीर सवाल

ख़बरों के विश्लेषण की शुरुआत करने से पहले, मैं आपके साथ दो लोगों द्वारा कही गई बातें शेयर करना चाहता हूं कि फ्रेंच मिलिट्री लीडर और पॉलिटिकल लीडर नेपोलियन बोनापार्ट का कहना था, 'An Army Marches On Its Stomach' यानी एक सेना पेट के सहारे कूच करती है। जबकि विश्व युद्ध 2 में ब्रिटेन की सेना में फील्ड मार्शल रहे बर्नाड लॉ मॉण्टगोमेरी का कहना था, 'No Army Can Fight On An Empty Stomach' यानी कोई भी सेना भूखे पेट रहकर युद्ध नहीं लड़ सकती।

Zee जानकारी : बीएसएफ जवान के वायरल वीडियो ने उठाए कई गंभीर सवाल

नई दिल्ली : ख़बरों के विश्लेषण की शुरुआत करने से पहले, मैं आपके साथ दो लोगों द्वारा कही गई बातें शेयर करना चाहता हूं कि फ्रेंच मिलिट्री लीडर और पॉलिटिकल लीडर नेपोलियन बोनापार्ट का कहना था, 'An Army Marches On Its Stomach' यानी एक सेना पेट के सहारे कूच करती है। जबकि विश्व युद्ध 2 में ब्रिटेन की सेना में फील्ड मार्शल रहे बर्नाड लॉ मॉण्टगोमेरी का कहना था, 'No Army Can Fight On An Empty Stomach' यानी कोई भी सेना भूखे पेट रहकर युद्ध नहीं लड़ सकती।

आज आपसे इन दोनों बातों का ज़िक्र करना इसलिए ज़रूरी था क्योंकि सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके कुछ वीडियोज ने, भारत की फर्स्ट लाइन ऑफ डिफेंस यानी बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स के कामकाज पर कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं। पूरे देश में इन Videos की चर्चा हो रही है, जिन्हें BSF के एक जवान ने सोशल मीडिया पर सार्वजनिक किया है। इस जवान का नाम तेज बहादुर यादव है, जो जम्मू-कश्मीर में लाइन ऑफ कंट्रोल पर तैनात था। तेज बहादुर ने आरोप लगाया है, कि सीमा पर जवानों को ठीक से खाना नहीं दिया जाता। इसके अलावा उसने BSF के कुछ बड़े अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। इस जवान के आरोपों के मुताबिक, सरकार उन्हें हर चीज़, और हर सामान देती है, लेकिन ऊपर बैठे हुए अधिकारी सब बेच कर खा जाते हैं जिसकी वजह से इन जवानों को कुछ नहीं मिलता। इस जवान ने ये आरोप भी लगाया है, कि कई बार जवानों को भूखे पेट भी सोना पड़ता है। जब देश का एक भी जवान परेशान होता है तो हमारा दिल भी रो पड़ता है। हम चिंतित हो जाते हैं।

इन चारों Videos के Viral होने के बाद सरकार भी Action Mode में है। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने BSF से इस मामले पर रिपोर्ट मांगी है। जबकि दूसरी तरफ़ BSF ने भी अपनी तरफ़ से जांच शुरू कर दी है। BSF ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को अपनी शुरुआती रिपोर्ट भेज दी है। जांच की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए, तेज बहादुर यादव को दूसरी यूनिट में भेज दिया गया है। जबकि मेस कमांडर को छुट्टी पर भेज दिया गया है। रिपोर्ट में तेज बहादुर के ख़राब सर्विस रिकॉर्ड की जानकारी दी गई है। साथ ही ये भी कहा गया है, कि जिस पोस्ट पर तेज बहादुर की तैनाती थी, वहां राशन सेना की तरफ से आता था, क्योंकि BSF वहां सेना की Operational Command में होती है।

हमारे पास ये सारे Videos कल ही आ गए थे और अगर हम चाहते तो DNA में इस ख़बर का विश्लेषण कल ही कर चुके होते। ये एक बहुत इमोशनल ख़बर थी। पूरा देश इस ख़बर को लेकर भावुक हो गया था लेकिन सिर्फ भावनाओं के आधार पर कोई खबर नहीं दिखाई जा सकती। ख़बर दिखाने से पहले उसके हर पहलू को सत्यापित करना ज़रूरी होता है। इसलिए हमने इस ख़बर के हर पहलू को सत्यापित करने की कोशिश की। और फिर जो तथ्य हमारे सामने आए हैं, उन्हें हम आपके साथ शेयर कर रहे हैं। हालांकि यहां हम स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि ज़ी न्यूज़ इन Videos की पुष्टि नहीं करता। हमें लगता है कि इस पूरे मामले की गहराई से जांच होनी चाहिए।

सोमवार रात BSF ने एक बयान जारी किया। जिसमें कहा गया, कि तेज बहादुर को शुरू से ही काउंसलिंग की ज़रूरत रही है। BSF के मुताबिक, शराबखोरी, अफसरों के साथ ख़राब व्यवहार और अनुशासन तोड़ना उसकी आदत है। इसी वजह से उसे ज़्यादातर मुख्यालय में रखा गया था। 10 दिन पहले ही तेज बहादुर को पोस्ट पर भेजा गया था। इस दौरान BSF के DIG और CO उसके पास गए। ताकि वो ये देख सकें, कि काउंसलिंग के बाद इस जवान में कोई सुधार आया है या नहीं। 

BSF के IG डीके उपाध्याय के मुताबिक, जब DIG मौके पर गए थे, तब उन्होंने तेज बहादुर सहित सभी जवानों से बातचीत की थी, लेकिन तब किसी भी जवान ने भोजन को लेकर किसी तरह की कोई शिकायत नहीं की थी। वर्ष 2010 में एक वरिष्ठ अधिकारी को बंदूक दिखाने की वजह से तेज बहादुर का Court-Martial भी कर दिया गया था। हालांकि, परिवार की स्थिति देखते हुए उसे BSF से बर्खास्त नहीं किया गया। लेकिन इस दौरान तेज बहादुर को 89 दिनों की जेल की सज़ा हुई थी।

हमने इस ख़बर से जुड़े दोनों पक्षों की बातें आपके सामने रख दीं हैं। ज़ी न्यूज़ तेज बहादुर द्वारा जारी किए गये वीडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं करता है। लेकिन अगर इस जवान के आरोप सच्चे हैं, तो ये वाकई बेहद गंभीर मामला है। इसलिए सच को सामने लाने के लिए इस मामले की निष्पक्ष जांच करना बहुत ज़रूरी है। यहां पर एक बात समझनी बहुत ज़रूरी है, कि BSF का ये जवान जिस पोस्ट पर तैनात था, वो पोस्ट भारतीय सेना के अधिकार क्षेत्र में आती है। और उस पोस्ट पर राशन की Supply भी सेना द्वारा ही की जाती है।

-Army Service Corps यानी ASC के पास सेना को राशन पहुंचाने की ज़िम्मेदारी होती है।
-आरोप लगाने वाला जवान तेज बहादुर यादव BSF की 29वीं बटालियन का जवान है और उसकी पोस्टिंग जम्मू कश्मीर के राजौरी ज़िले में थी। 
-सैनिकों को मौसम और उनकी पोस्टिंग के मुताबिक पौष्टिक भोजन दिया जाता है, जिसमें उनकी खाने की आदतों और वातावरण का भी ध्यान रखा जाता है। 
-हर एक सैनिक के लिए रोज़ाना 3 हज़ार 850 कैलोरीज की डाइट तय की गई है। जो कि सेना और अर्धसैनिक बलों में एक समान है।
-यहां एक और बात ध्यान में रखनी होगी कि सेना में जवानों को खाना मुफ्त में मिलता है। जबकि अर्धसैनिक बलों के जवानों को राशन मनी एलाउंस यानी आएमए या जाता है। जिससे वो अपनी मेस का बिल चुकाते हैं। 
-फिलहाल BSF के एक जवान को 95 रुपये 52 पैसे प्रतिदिन का राशन एलाउंस दिया जाता है। इस तरह से महीने का राशन एलाउंस 2 हज़ार 905 रुपये होता है। 
-आखिरी बार ये राशन भत्ता 1 अप्रैल 2014 को बढ़ाया गया था। 
-सेना के विपरीत BSF की हर बटालियन अपना राशन खुद खरीदती है। 
-इसके लिए बाकायदा एक कमेटी बनाई जाती है, जिसमें BSF के अफसर से लेकर Mess का Cook तक शामिल होता है।
-ये कमेटी स्थानीय बाज़ार में सर्वे करने के बाद अपने लिए राशन और बाकी सामान खरीदती है। 
-फिर वही राशन पूरी Unit के भोजन के लिए इस्तेमाल होता है।
-यानी ये साफ है कि BSF में छोटे स्तर पर राशन की खरीददारी होती है, इसलिए जवाबदेही तय होती है। 

आपने इस रिपोर्ट में देखा कि BSF का जवान तेज बहादुर यादव राशन में घोटाले का आरोप लगा रहा है। वैसे सेना में राशन घोटाला कोई नई बात नहीं है। वर्ष 2007 में लद्दाख में तैनात जवानों के लिए खरीदे गए फ्रोजेन मीट से जुड़ा घोटाला सामने आया था। इस घोटाले में सेना के अफसर लेफ्टिनेंट जनरल S. K. दहिया को दोषी पाया गया था। इसके अलावा 2007 में सेना में ही अंडा घोटाला भी सामने आया था। 

2006 में फौज में शराब घोटाला भी हुआ था, जिसमें मेजर जनरल G. I. सिंह को सज़ा भी हुई थी। इस घोटाले में मेजर जनरल G. I. सिंह फौज की शराब के दो ट्रक भरकर अपने घर भिजवा रहे थे। लेकिन बाद में देहरादून के पास मिलिट्री इंटेलिजेंस और एक्साइज अथॉरिटीज के एक संयुक्त अभियान में उन्हें पकड़ लिया गया। 

2011 में लेफ्टिनेंट जनरल S.K. साहनी को राशन घोटाले में सज़ा हुई थी। लेफ्टिनेंट जनरल साहनी को जम्मू कश्मीर और सियाचिन में तैनात जवानों के लिए हुई राशन की खरीद में घोटाले का दोषी पाया गया था।  

वर्ष 2010 में CAG ने भारतीय सेना में राशन की Supply पर एक रिपोर्ट दी थी, जिसमें कई खामियां बताई गई थीं।

-CAG ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि सैनिकों को घटिया स्तर का खाना दिया जाता है।
-रिपोर्ट में ये भी कहा गया था कि सैनिक खाने की क्वालिटी, मात्रा और स्वाद से संतुष्ट नहीं हैं।
-50 में से 14 मामलों में खाने की गुणवत्ता ख़राब निकली थी। 
-CAG की रिपोर्ट से ये भी जानकारी मिली थी कि हर वर्ष राशन की खरीद पर सेना 1440 करोड़ रुपये खर्च करती है।
-यही नहीं हर वर्ष सिर्फ़ आटे की खरीद पर 25 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च होता है।
-रिपोर्ट से ये भी पता चला कि सेना को ज़रूरत से कम चीनी की सप्लाई की जाती है।
-सेना को दाल और चाय की पत्ती की सप्लाई भी कम की जाती है।
-इस रिपोर्ट में कहा गया था कि सैनिकों को ताज़ा सब्ज़ी और फल का आवंटन नियमों के तहत नहीं होता है।

इस वीडियो में BSF का जवान जली हुई रोटी और घटिया क्वालिटी की दाल मिलने की बात कर रहा है। अब उसकी बातों में कितना दम है और उसके आरोपों में कितनी सच्चाई है, ये तो जांच के बाद ही पता चलेगा। लेकिन यहां पर ये देखना ज़रूरी है कि दुनिया के बाकी देशों के सैनिकों को खाने में क्या दिया जाता है? 

-सबसे पहले इजरायल की बात करेंगे। इजरायल में जवानों को ज़्यादातर पैक्ड फूड ही दिया जाता है। 
-जवानों को दिन में तीन बार खाना दिया जाता है। इसमें बीन्स, कॉर्न, फ्रूट कॉकटेल, फ्लेवर्ड ड्रिंक पावडर के पैकेट, चॉकलेट स्प्रेड, जैम, बादाम, पिस्ता और काजू के अलावा ड्राई मीट के पैकेट भी होते हैं। 
-अमेरिका में भी सेना के जवानों को रेडी टू इट फूड ही दिया जाता है। अमेरिका में जवानों को करीब 24 तरह की वरायटीज में खाना दिया जाता है। 
-वहीं स्विटजरलैंड में सेना के जवानों को दिये जाने वाले भोजन के संबंध में 2014 में एक पॉलिसी बनाई गई थी, जिसके मुताबिक स्विस ऑर्म्ड फोर्सेज के जवानों को सिर्फ स्विटजरलैंड में बना और वहां के फूड स्टैंडर्ड्स पर खरा उतरने वाला खाना ही दिया जाता है। स्विटजरलैंड में हर सैनिक के रोज़ के भोजन का बजट 8.50 स्विस फ्रैंक्स यानी करीब 613 रुपये है। 

हमारे लिए देश के वीर जवानों से जुड़ी ख़बर, सबसे बड़ी ख़बर होती है। और हमने समय-समय पर कारगिल से लेकर सियाचिन तक ग्राउंड रिपोर्टिंग की है। हालांकि, जो स्थिति बीएसएफ के जवान तेज बहादुर यादव ने दिखाने की कोशिश की है, निजी तौर पर मुझे ऐसा कभी महसूस नहीं हुआ। क्योंकि मैंने दुर्गम से दुर्गम इलाकों में जाकर ग्राउंड रिपोर्टिंग की है। हालांकि, इसका मतलब ये बिलकुल नहीं है कि हम इस जवान की बातों को हल्के में ले रहे हैं। इस जवान की बातों में अगर ज़रा सी भी सच्चाई है तो फिर ये सिस्टम की बहुत बड़ी चूक होगी।

पिछले वर्ष मैं देश की राजधानी दिल्ली से क़रीब 2400 किलोमीटर दूर, उस इलाके में गया था, जिसके बारे में गूगल मैप्स को भी जानकारी नहीं है। वो इलाका अरुणाचल प्रदेश के तवांग में है और उसका नाम है चूना पोस्ट। चूना पोस्ट पर ITBP के जवान भारत और चीन के बॉर्डर पर हर वक़्त सीना तान कर खड़े रहते हैं। हालांकि, तमाम मुश्किल परिस्थितियों के बावजूद उन्हें किसी बात की कोई तकलीफ नहीं है।

ठीक इसी तरह पिछले वर्ष हमने लेह से सियाचिन ग्लेशियर तक का सफर तय किया था। हमें हड्डियां गला देने वाले उस सियाचिन के शिखर तक पहुंचना था जहां जाना किसी आम आदमी के बस की बात नहीं होती। ऐसे में आप अंदाज़ा लगा सकते हैं, कि वहां तैनात जवानों के लिए भोजन और पानी की व्यवस्था करना कितनी मुश्किल चुनौती है। उस वक्त मैंने आपको विस्तार से जानकारी दी थी, कि सियाचिन ग्लेशियर पर तैनात सैनिकों के लिए कैसे खाना पहुंचाया जाता है? और कैसे 2 रुपये की रोटी सियाचिन पहुंचते-पहुंचते 200 रुपये की हो जाती है? 

आज मैं आपको सियाचिन की उस रिपोर्ट का एक हिस्सा दिखाना चाहता हूं। इससे आपको ये जानकारी मिलेगी कि एक जवान तक खाने का सामान पहुंचाने की पूरी सप्लाई चेन क्या है?

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