Zee जानकारी : PM मोदी के खिलाफ फतवा जारी करने वाले इमाम पर पश्चिम बंगाल सरकार ने नहीं की कोई कार्रवाई
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Zee जानकारी : PM मोदी के खिलाफ फतवा जारी करने वाले इमाम पर पश्चिम बंगाल सरकार ने नहीं की कोई कार्रवाई

DNA में विश्लेषण की शुरुआत आज की एक बड़ी ख़बर से करते हैं। ये ख़बर उस विवादित फतवे से जुड़ी हुई है, जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ जारी किया गया है। ये फतवा कोलकाता की टीपू सुल्तान मस्जिद के शाही इमाम नूर-उर-रहमान बरकती ने जारी किया है। ज़रा सोचिए कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में वहां की चुनी हुई सरकार के प्रधानमंत्री के खिलाफ खुले आम एक फतवा जारी होता है और उसमें ऐसी भाषा का उपयोग किया जाता है जो किसी भी नज़रिए से गरिमा के अनुकूल नहीं है। ऐसा सिर्फ भारत में ही हो सकता है। दुनिया के किसी भी देश में ऐसा नहीं होता।

Zee जानकारी : PM मोदी के खिलाफ फतवा जारी करने वाले इमाम पर पश्चिम बंगाल सरकार ने नहीं की कोई कार्रवाई

नई दिल्ली : DNA में विश्लेषण की शुरुआत आज की एक बड़ी ख़बर से करते हैं। ये ख़बर उस विवादित फतवे से जुड़ी हुई है, जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ जारी किया गया है। ये फतवा कोलकाता की टीपू सुल्तान मस्जिद के शाही इमाम नूर-उर-रहमान बरकती ने जारी किया है। ज़रा सोचिए कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में वहां की चुनी हुई सरकार के प्रधानमंत्री के खिलाफ खुले आम एक फतवा जारी होता है और उसमें ऐसी भाषा का उपयोग किया जाता है जो किसी भी नज़रिए से गरिमा के अनुकूल नहीं है। ऐसा सिर्फ भारत में ही हो सकता है। दुनिया के किसी भी देश में ऐसा नहीं होता।

नरेंद्र मोदी को 2014 में 17 करोड़ से ज्यादा लोगों ने वोट दिया था। यानी 2014 में नरेन्द्र मोदी 17 करोड़ से ज्यादा देशवासियों की पहली पसंद थे। ये भी एक तथ्य है कि नरेन्द्र मोदी 132 करोड़ लोगों के प्रधानमंत्री हैं, ऐसे में उनके खिलाफ घटिया भाषा का इस्तेमाल करना एक तरह से सारे देशवासियों का अपमान है।

सवाल ये है कि अमेरिका, फ्रांस, रूस या ब्रिटेन जैसे देशों में किसी इमाम ने वहां के राष्ट्र अध्यक्ष के खिलाफ कोई फतवा दिया होता, तो क्या वहां भी ऐसा ही होता है, जैसा पश्चिम बंगाल में हो रहा है। आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल सरकार ने अभी तक इस इमाम के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। आगे बढ़ने से पहले मैं एक बात साफ कर देना चाहता हूं। हम इमाम बरकती की बातों का समर्थन नहीं करते, और ना ही उनकी देश को तोड़ने वाली मानसिकता से इत्तेफाक रखते हैं, इसलिए हमने ये तय किया है कि हम DNA के दर्शकों को इमाम बरकती का वो बयान नहीं दिखाएंगे। क्योंकि ऐसा करने से हम भी इमाम बरकती के प्रचार तंत्र का हिस्सा बन जाएंगे। लेकिन हम ये ज़रूर चाहते हैं कि देश के लोग समाज को बांटने वाले ऐसे तत्वों को पहचानें और इनके एजेंडे का हिस्सा बनने से बचें। ऐसे तत्व चाहे किसी भी धर्म के हों जनता को उनकी बातों में नहीं आना चाहिए।

कोलकाता में 7 जनवरी को नोटबंदी के विरोध में एक कार्यक्रम हुआ था। और इस कार्यक्रम के आयोजक तृणमूल कांग्रेस के सांसद इदरीस अली थे। कार्यक्रम में कोलकाता की टीपू सुल्तान मस्जिद के शाही इमाम मोहम्मद नूर-उर रहमान बरकती ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक बातें की। इमाम बरकती ने देश के प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ बहुत ही घटिया भाषा का इस्तेमाल किया है और नरेंद्र मोदी का अपमान करने वाले को 25 लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की है। हमें लगता है कि इमाम बरकती की इन बातों को राष्ट्रीय टेलीविजन पर कोई महत्व नहीं मिलना चाहिए। इसलिए हम उनका बयान आपको नहीं सुनवाएंगे क्योंकि बयान सुनवाने से उनकी लोकप्रियता पाने की प्यास बुझ जाएगी। लेकिन Zee News आपको तस्वीरें दिखाता रहेगा और इस मुद्दे पर आपसे संवाद भी करता रहेगा

इन तस्वीरों में हैरान करने वाली बात ये थी, कि जब इमाम बरकती प्रधानमंत्री के खिलाफ फतवा दे रहे थे, और फतवे के अंदाज़ में प्रधानमंत्री का अपमान करने करने की बात कह रहे थे। तब तृणमूल कांग्रेस के सांसद इदरीस अली तालियां बजा रहे थे। यानी इमाम बरकती ने जो आपत्तिजनक बातें कहीं, उनका समर्थन TMC के नेता भी कर रहे थे। सवाल ये है कि क्या इमाम बरकती के विचार TMC द्वारा स्वीकृत थे? सवाल ये भी है इमाम बरकती के ख़िलाफ़ अभी तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई है?

पश्चिम बंगाल में हालात इन दिनों बहुत खराब हैं। आपको याद होगा कि पिछले महीने जब हमने पश्चिम बंगाल के धुलागढ़ में हुए दंगों की ख़बर दिखाई थी, तो पश्चिम बंगाल सरकार ने दोषियों पर कार्रवाई करने और राज्य में हालात सुधारने के बजाए Zee News के खिलाफ FIR दर्ज करवा दी थी। ममता बनर्जी बार-बार कहती हैं कि देश में आपातकाल जैसे हालात हैं लेकिन वो कभी भी पश्चिम बंगाल के हालात पर आत्ममंथन नहीं करतीं।

पश्चिम बंगाल सरकार ने कोलकाता के एक क्लब में पाकिस्तान के खिलाफ होने वाले एक कार्यक्रम को रद्द कर दिया था। 7 जनवरी को कोलकाता क्लब में 'The Saga of Baluchistan' के शीर्षक के साथ एक कार्यक्रम होने वाला था और इस कार्यक्रम में पाकिस्तानी मूल के लेखक तारिक फतह भी शामिल होने वाले थे। लेकिन उससे पहले ही पश्चिम बंगाल की सरकार ने ये कार्यक्रम ये कहकर रद्द कर दिया कि इससे माहौल बिगड़ सकता है। यानी पश्चिम बंगाल में पाकिस्तान के रवैये के खिलाफ कार्यक्रम करने की इजाज़त नहीं दी जाती, लेकिन एक इमाम जब भारत के प्रधानमंत्री के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करता है और फ़तवा देता है, तो उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती। ये एक तरह की सेलेक्टिव और एजेंडे वाली राजनीति है। वैसे यहां पर आपको इमाम बरकती के बारे में कुछ बातें पता होनी चाहिए। 

-इमाम बरकती को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का नज़दीकी माना जाता है। 
-बरकती ने 2011 और 2016 के विधानसभा चुनाव में TMC के लिए प्रचार किया था।
-बरकती ने 2013 में दावा किया था कि उन्होंने जैसे ही ममता बनर्जी को फोन किया, ममता ने सलमान रुश्दी को कोलकाता आने से रोक दिया।
-इमाम बरकती बीजेपी के नेता दिलीप घोष के खिलाफ भी फतवा जारी कर चुके हैं। 
-फतवे में इमाम बरकती ने कहा था कि दिलीप घोष को पत्थर मारकर बंगाल से बाहर भगाया जाए।
-इससे पहले 2011 में इमाम बरकती ने आतंकी ओसामा बिन लादेन की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करवाई थी। 
-उस कार्यक्रम में भी TMC के मौजूदा सांसद इदरीस अली भी मौजूद थे। 

इन बातों से ये शक होता है कि इमाम बरकती को पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से शह मिली हुई है और उनके फतवे पश्चिम बंगाल के पावर बैंक से ही रि-चार्ज हो रहे हैं। 

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