ZEE जानकारी: 18 वर्ष पहले संसद पर हुए हमले को आप भूल तो नहीं गए?
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ZEE जानकारी: 18 वर्ष पहले संसद पर हुए हमले को आप भूल तो नहीं गए?

वर्ष 2001 में आज ही के दिन संसद पर आतंकवादियों ने हमला किया था. भारत के 135 करोड़ लोगों को 18 वर्ष पहले हुए इस आतंकवादी हमले को हमेशा याद रखना चाहिए. दुश्मन इसे दोहरा ना पाए इस बात की कोशिश करते रहना चाहिए क्योंकि कहते हैं कि जो लोग इतिहास से सबक नहीं सीखते. इतिहास उनको सबक सिखाता है. 

ZEE जानकारी: 18 वर्ष पहले संसद पर हुए हमले को आप भूल तो नहीं गए?

 

वर्ष 2001 में आज ही के दिन संसद पर आतंकवादियों ने हमला किया था. भारत के 135 करोड़ लोगों को 18 वर्ष पहले हुए इस आतंकवादी हमले को हमेशा याद रखना चाहिए. दुश्मन इसे दोहरा ना पाए इस बात की कोशिश करते रहना चाहिए क्योंकि कहते हैं कि जो लोग इतिहास से सबक नहीं सीखते. इतिहास उनको सबक सिखाता है. 

हमले में हुए शहीदों के लिए आज संसद भवन परिसर में श्रद्धांजलि सभा हुई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने शहीदों की वीरता को याद करते हुए दो मिनट का मौन रखा. हम इस हमले में शहीद हुए सभी जवानों को नमन करते हैं और उनकी वीरता को प्रणाम करते हैं. कल हमने वादा किया था कि संसद पर हमले की सीरीज आपको दो हिस्सों में दिखाएंगे.  इसका पहला Part आपने कल देखा था और आज दूसरे हिस्से में हम बताएंगे कि आतंकवादी हमले के बाद क्या हुआ? लेकिन सबसे पहले आप 13 दिसंबर 2001 का एक संक्षिप्त फ्लैशबैक देखिए. 

संसद पर हुए आतंकवादी हमले के समय मैं भी वहां पर मौजूद था. मेरे सामने ही आतंकवादियों ने हमला शुरू किया और सुरक्षाकर्मियों ने सिर्फ 45 मिनटों में इस हमले को नाकाम कर दिया था. मैं आपको इस आतंकवादी हमले की एक एक तस्वीर के बारे में बता सकता हूं क्योंकि ये पूरी घटना मेरी आंखों के सामने हुई थी. उस वक्त संसद की मेन बिल्डिंग में मौजूद सैकड़ों सांसद भी इस हमले के चश्मदीद थे और कई सांसद आतंकवादियों की गोलीबारी से बाल बाल बचे थे. 

भारत पर हुए लगभग सभी आतंकवादी हमलों का संबंध पाकिस्तान से रहा है. संसद हमला की साजिश भी सीमा पार हुई थी. इस हमले के 2 दिन बाद ही 15 दिसंबर को दिल्ली पुलिस ने आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के अफजल गुरू, दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एसएआर गिलानी, शौकत हुसैन गुरु और उसकी पत्नी को गिरफ्तार किया था. वर्ष 2002 में विशेष अदालत ने अफजल गुरु, एसएआर गिलानी और शौकत हुसैन गुरु को फांसी की सजा सुनाई थी. बाद में प्रोफेसर एसएआर गिलानी को दिल्ली हाईकोर्ट ने बरी कर दिया था. वर्ष 2005 में सुप्रीम कोर्ट ने शौकत हुसैन की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था और 9 फरवरी 2013 को संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई. 

अफजल गुरू को तिहाड़ जेल में ही दफन कर दिया गया था लेकिन उसकी मौत के बाद भी कुछ बुद्धिजीवियों ने उसकी देशविरोधी विचारधारा को जिंदा रखने की कोशिश की. अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार पाने वाले बड़े-बड़े लेखकों ने लेख लिखकर अफजल के साथ नाइंसाफी होने का दावा किया. इतना ही नहीं दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में 9 फरवरी 2016 को अफजल को शहीद बताकर नारे भी लगाए गए थे. आज देश के लिए सबसे बड़ी समस्या इस अफजल प्रेमी गैंग की दूषित विचारधारा है. ये देशविरोधी विचारधारा भारत के अंदर ही आतंकवादी मानसिकता को बढ़ावा दे रही है. संसद जैसे आतंकवादी हमले से बचने के लिए हम सुरक्षा के इंतजाम कर सकते हैं पर प्रश्न ये है कि देश अंदर की आतंकवादी मानसिकता से कैसे बचें?

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