Zee जानकारी : बलोचिस्तान में पाकिस्तान के काले सच से पर्दा उठाती ज़ी मीडिया की यह रिपोर्ट
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Zee जानकारी : बलोचिस्तान में पाकिस्तान के काले सच से पर्दा उठाती ज़ी मीडिया की यह रिपोर्ट

कवि दुष्यंत कुमार की एक बहुत मशहूर रचना है जिसमें वो कहते हैं- हो गई है पीर पर्वत सी..पिघलनी चाहिए, अब इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए... आज ये दीवार, परदों की तरह हिलने लगी...शर्त थी लेकिन..कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए। आज हमारा पहला विश्लेषण भी पाकिस्तान की बुनियाद हिलाने का काम करेगा। क्योंकि, आज हम बलोचिस्तान में पाकिस्तान के पापों का प्रसारण ग्राउंड जीरो से, यानी सीधे बलोचिस्तान से करेंगे। ये एक ऐसी रिपोर्ट है, जिसे ज़ी मीडिया की टीम ने अपनी जान जोखिम में डाल कर तैयार किया है। सुरक्षा कारणों से हमारी रिपोर्ट में हमने इस संवाददाता की पहचान छिपा दी है। हमने ऐसा इसलिए, किया है ताकि इस संवाददाता की सुरक्षा पर कोई आंच ना आए। हमारी टीम बलोचिस्तान के उन इलाकों में गई, जहां पाकिस्तान का काला सच कई गज़ ज़मीन के नीचे दबा हुआ है। हमने उन पीड़ितों से भी बात की, जिनके अपनों को पाकिस्तान की सेना ने दिन के उजाले में सरेआम गोलियों से छलनी कर डाला। 

Zee जानकारी : बलोचिस्तान में पाकिस्तान के काले सच से पर्दा उठाती ज़ी मीडिया की यह रिपोर्ट

नई दिल्ली : कवि दुष्यंत कुमार की एक बहुत मशहूर रचना है जिसमें वो कहते हैं- हो गई है पीर पर्वत सी..पिघलनी चाहिए, अब इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए... आज ये दीवार, परदों की तरह हिलने लगी...शर्त थी लेकिन..कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए। आज हमारा पहला विश्लेषण भी पाकिस्तान की बुनियाद हिलाने का काम करेगा। क्योंकि, आज हम बलोचिस्तान में पाकिस्तान के पापों का प्रसारण ग्राउंड जीरो से, यानी सीधे बलोचिस्तान से करेंगे। ये एक ऐसी रिपोर्ट है, जिसे ज़ी मीडिया की टीम ने अपनी जान जोखिम में डाल कर तैयार किया है। सुरक्षा कारणों से हमारी रिपोर्ट में हमने इस संवाददाता की पहचान छिपा दी है। हमने ऐसा इसलिए, किया है ताकि इस संवाददाता की सुरक्षा पर कोई आंच ना आए। हमारी टीम बलोचिस्तान के उन इलाकों में गई, जहां पाकिस्तान का काला सच कई गज़ ज़मीन के नीचे दबा हुआ है। हमने उन पीड़ितों से भी बात की, जिनके अपनों को पाकिस्तान की सेना ने दिन के उजाले में सरेआम गोलियों से छलनी कर डाला। 

हमें कई ऐसे लोग भी मिले, जिन्होंने हमें बताया, कि कैसे पाकिस्तान की सेना ने बलोचिस्तान में सामूहिक नरसंहार किया है। बलोचिस्तान में कई परिवार ऐसे भी हैं, जो पिछले कई वर्षों से अपने पिता, अपने भाई और अपने बेटे के लौटने का इंतज़ार कर रहे हैं। लेकिन उनकी उम्मीदों ने भी अब जवाब देना शुरू कर दिया है। पिछले 6 वर्षों में इस इलाके से क़रीब 1 हज़ार लाशें बरामद की गई हैं। जिनमें से कई लाशें ऐसी थीं, जिन्हें बुरी तरह क्षत-विक्षत कर दिया गया था। और उन्हें पहचाना भी नहीं जा सकता था। इसके अलावा 25 हज़ार से ज़्यादा लोग ऐसे हैं, जिनका अपहरण कर लिया गया, और उनका आज तक कोई अता-पता नहीं है।

इस विश्लेषण को आगे बढ़ाने से पहले मैं आपको बलोचिस्तान के उस व्यक्ति की बात सुनाना चाहता हूं, जिसके भाई को दिन के उजाले में गोलियों से छलनी कर दिया गया था। ज़ी मीडिया की टीम से बातचीत के दौरान ये व्यक्ति अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाया और रोने लगा। पहले आप इसकी ये बात सुनिए। ज़ी न्यूज़ पर हम कई बार आपको बता चुके हैं, कि कैसे बलोचिस्तान, बांग्लादेश की तरह पाकिस्तान से अलग होने की राह पर आगे बढ़ रहा है। ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि पाकिस्तान ने बलोचिस्तान की आज़ादी की मांग को दबाने के लिए, अत्याचारों का नया अध्याय लिखना शुरू कर दिया है। और पाकिस्तानी सेना आज़ादी की मांग को कुचलने में जुट गई है। लेकिन अब पाकिस्तान के पापों का घड़ा भर चुका है। अब पूरी दुनिया से बलोचिस्तान की आज़ादी की आवाज़ें आने लगी हैं। लेकिन नवाज़ शरीफ अपने कानों में कश्मीर वाली रूई डालकर इन आवाज़ों को अनसुना कर रहे हैं। इसलिए हमने नवाज़ शरीफ को बलोचिस्तान की ये आवाज़ें सुनाने के लिए सीधे ग्राउंड जीरो पर जाने का फैसला किया। एक संवेदनशील भारतीय नागरिक होने के नाते आपको पाकिस्तान के जुल्मों-सितम के बारे में पता होना चाहिए। ये बातें कूटनीति की दुनिया में दस्तावेज़ की तरह काम करती हैं.. इन्हें छोटा समझने की भूल आपको बिलकुल नहीं करनी चाहिए।  बलोचिस्तान के लोगों की पीड़ा, अब पर्वत जैसी हो गई है, इसलिए आज पाकिस्तान की बुनियाद हिलानी ज़रुरी है। इस रिपोर्ट में आपको कुछ ऐसे बयान और कुछ ऐसी तस्वीरें देखने को मिलेंगे.. जो आपने इससे पहले कभी नहीं देखे होंगे।

बलोचिस्तान में हो रहे अत्याचारों पर आधारित, हमारी इस रिपोर्ट का एक ही मकसद है हम बलोचिस्तान की हालत दुनिया को दिखाना चाहते हैं। बलोचिस्तान एक ऐसा संघर्ष जोन बन चुका है जहां से कोई रिपोर्टिंग नहीं करता क्योंकि वहां पाकिस्तानी सेना का नियंत्रण है और वहां के सच को दुनिया के सामने रखना आसान काम नहीं है। अगर ये रिपोर्टिंग करते हुए हमारी टीम पकड़ी जाती तो उसकी जान जा सकती थी। हमसे बलोचिस्तान के बहुत से लोगों ने ये अपील की थी कि हमारी टीम वहां के खराब हालात पर रिपोर्टिंग करे। हमें लगा कि ये मानवता से जुड़ा एक बहुत बड़ा मुद्दा है, इसलिए हम इस जोखिम भरे रिपोर्टिंग असाइनमेंट में पीछे नहीं हटे। हमें लगा कि बलोचिस्तान में जो कुछ भी हो रहा है उसे हर हाल में एक्सपोज करना होगा। 

बलोचिस्तान में पाकिस्तानी सेना का कड़ा पहरा रहता है, ऐसे में जुल्म और अत्याचार की तस्वीरें दुनिया के सामने खुलकर नहीं आ पाती। पाकिस्तान के अत्याचारों से परेशान बलोचिस्तान के लोग चोरी-छुपे वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर देते हैं। और तब वहां की हकीकत सामने आ पाती है। कई बार किसी घटना का वीडियो सामने आने में 20 दिन से लेकर एक महीना तक लग जाता है। पहले इस वीडियो को बनाया जाता है फिर सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय़ करके लोग उन इलाक़ों में जाते हैं जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी हो, इसके बाद ये वीडियोज सोशल मीडिया पर अपलोड किए जाते हैं। आप समझ सकते हैं कि बलोचिस्तान किस तरह अधर्म से भरे युग में जी रहा है।

पाकिस्तान से पूरी दुनिया के देश परेशान हैं और इस देश के अपने लोग भी ये मानते हैं कि वहां की सरकार और सिस्टम देश के लिए गड्ढा खोद रहे हैं। लेकिन पाकिस्तान इस सबके बावजूद अपनी मनमानी करने पर तुला है। बलोचिस्तान के बाद, गिलगित-बाल्टिस्तान पर भी उसकी नज़र है। जो जानकारी हमें मिली है उसके मुताबिक, चीन के इशारे पर पाकिस्तान अब गिलगित-बाल्टिस्तान को पूर्ण राज्य बनाने की कोशिश कर रहा है। अगर ऐसा हो जाता है, तो गिलगित-बाल्टिस्तान, पाकिस्तान का 5वां प्रांत बन जाएगा।  अभी तक मुख्य तौर पर पाकिस्तान के चार प्रांत हैं। जिनमें पंजाब, सिंध, खैबर पख्तुनख्वा और बलोचिस्तान शामिल हैं। इसके अलावा फाटा का इलाका है, जिसका प्रशासन सीधे पाकिस्तान सरकार के अधीन है। जबकि गिलगित-बाल्टिस्तान एक स्वायत्त प्रदेश है, जहां पाकिस्तान ने वर्ष 1947 में ही कब्जा कर लिया था।

आपको बता दूं, कि पीओके के अलावा पाकिस्तान के कब्ज़े वाले इस इलाके पर भी भारत दावा करता रहा है। सुरक्षा के नज़रिये से भी ये इलाका बेहद संवेदनशील है। गिलगित-बाल्टिस्तान कश्मीर प्रांत के तहत आता है, इसलिए ये पूर्ण रूप से भारत का हिस्सा है। जम्मू-कश्मीर का पूरा इलाका 2 लाख 22 हज़ार 236 वर्ग किलोमीटर का है। जिसमें से 1 लाख 21 हजार वर्ग किलोमीटर पाकिस्तान और चीन के कब्जे में है। जबकि 1 लाख 1 हज़ार 387 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र ही हिंदुस्तान के पास बचा है। गिलगित-बाल्टिस्तान करीब 73 हज़ार वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है, जहां क़रीब 10 लाख से ज्यादा की आबादी रहती है। आपको शायद इस बात की जानकारी ना हो, लेकिन गिलगित-बाल्टिस्तान दो बार स्वतंत्रता दिवस मनाता है। 

एक 14 अगस्त को, जब पाकिस्तान अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है और दूसरी बार एक नवंबर को, जब ये इलाका 1947 में हासिल की गई अपनी आज़ादी को याद करता है। अक्टूबर 1947 तक गिलगित-बाल्टिस्तान जम्मू-कश्मीर का हिस्सा था। गिलिगित स्काउट के स्थानीय कमांडर कर्नल मिर्ज़ा हसन खान ने 2 नवंबर 1947 को गिलगित-बाल्टिस्तान की आज़ादी का ऐलान किया था। 22 और 23 नवंबर 1947 को पाकिस्तान ने गिलगित-बाल्टिस्तान में सेना भेजकर ज़बरदस्ती कब्ज़ा कर लिया। 27 अप्रैल 1949 तक गिलगित-बाल्टिस्तान पीओके का हिस्सा रहा और उसके बाद 28 अप्रैल 1949 से गिलगित-बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान सरकार का सीधा नियंत्रण है। 

लेकिन इस बार पाकिस्तान, बलोचिस्तान की ही तरह इस इलाके के लोगों की आवाज़ें भी बंदूक के दम पर बंद करना चाहता है। लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे। ज़ी न्यूज़ देश का ऐसा पहला न्यूज़ चैनल है, जिसने बलोचिस्तान के मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उठाया है और हम गिलगित-बाल्टिस्तान के मुद्दे को भी ऐसे ही उठाते रहेंगे और अपनी रिपोर्टिंग जारी रखेंगे। इन दोनों ही जगहों से संबंधित सच्ची ख़बरों को पाकिस्तान के न्यूज़ चैनल्स में जगह नहीं मिलती और अगर मिलती भी है तो ऐसी ख़बरों में तथ्यों को तोड़ मरोड़कर पेश किया जाता है। लेकिन हमें लगता है कि सच दुनिया के सामने आना चाहिए इसलिए हम आगे भी पाकिस्तान की हर हरकत का दुनिया भर में प्रसारण करते रहेंगे।

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