ज़ी मीडिया एक्सक्लूसिव : डॉ. कलाम के करीबी सहयोगी ने कहा-पूर्व राष्ट्रपति चाहते थे कि लोग उन्हें शिक्षक के रूप में याद रखें
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ज़ी मीडिया एक्सक्लूसिव : डॉ. कलाम के करीबी सहयोगी ने कहा-पूर्व राष्ट्रपति चाहते थे कि लोग उन्हें शिक्षक के रूप में याद रखें

पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के करीबी सहयोगी सृजन पाल सिंह ने ज़ी मीडिया के साथ खास बातचीत में बताया है कि पूर्व राष्ट्रपति चाहते थे कि लोग उन्हें एक शिक्षक के रूप में याद करें। सृजन पाल सिंह ने रविवार को ज़ी मीडिया से एक्सक्लूसिव बातचीत की और 'मिसाइल मैन' डॉ. कलाम के साथ बिताए गए अपने अंतिम लम्हों को याद किया।

ज़ी मीडिया एक्सक्लूसिव : डॉ. कलाम के करीबी सहयोगी ने कहा-पूर्व राष्ट्रपति चाहते थे कि लोग उन्हें शिक्षक के रूप में याद रखें

नई दिल्ली : पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के करीबी सहयोगी सृजन पाल सिंह ने ज़ी मीडिया के साथ खास बातचीत में बताया है कि पूर्व राष्ट्रपति चाहते थे कि लोग उन्हें एक शिक्षक के रूप में याद करें। सृजन पाल सिंह ने रविवार को ज़ी मीडिया से एक्सक्लूसिव बातचीत की और 'मिसाइल मैन' डॉ. कलाम के साथ बिताए गए अपने अंतिम लम्हों को याद किया।

बातचीत में सिंह ने उन बातों का जिक्र किया जिन्हें लेकर डॉ. कलाम परेशान थे। उन्होंने बताया, 'डॉ. कलाम हाल ही में पंजाब में हुए आतंकवादी हमले को लेकर काफी परेशान थे। पूर्व राष्ट्रपति ने कहा था कि इस हमले में निर्दोष लोगों के मारे जाने से वह काफी आहत हैं।' सिंह के मुताबिक डॉ. कलाम संसद में जारी गतिरोध को लेकर बहुत ज्यादा चिंतित थे।

डॉ. कलाम के शब्दों को हवाला देते हुए सिंह ने कहा, 'मैंने राष्ट्रपति रहते हुए अपने कार्यकाल में दो अलग-अलग सरकारों को देखा। गतिरोध बार-बार हो रहा है। यह ठीक नहीं है। मैं वास्तव में चाहता हूं कि संसद विकास की राजनीति करे।'

ज़ी न्यूज के रिपोर्टर विवेक तिवारी के साथ बातचीत में सिंह ने आगे कहा कि डॉ. कलाम ने संसद में जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए कुछ बातें सुझाई थीं।

सिंह ने यह भी बताया कि डॉ. कलाम चाहते थे कि लोग उन्हें एक शिक्षक के रूप में याद रखें, न कि एक राष्ट्रपति, मिसाइल मैन, परमाणु वैज्ञानिक अथवा अंतरिक्ष वैज्ञानिक के रूप में।

गौरतलब कि डॉ. कलाम का गत 27 जुलाई को शिलांग में निधन हो गया। वह 83 वर्ष के थे। डॉ. कलाम आईआईएम शिलांग में लेक्चर देने गए थे। इसी दौरान दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। डॉ. कलाम अपना अंतिम व्याख्यान पूरा नहीं कर पाए।

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