7वां वेतन आयोग : सर्विस पे बढ़ाने के लिए आवाज उठाएंगे कर्मचारी, यह बनाई स्‍ट्रेटजी
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7वां वेतन आयोग : सर्विस पे बढ़ाने के लिए आवाज उठाएंगे कर्मचारी, यह बनाई स्‍ट्रेटजी

केंद्रीय वित्‍त मंत्रालय ने JCO सहित सशस्त्र बलों के करीब 1.12 लाख जवानों को 7वें वेतन आयोग के तहत मिल रही मिलिट्री सर्विस पे को बढ़ाने की मांग खारिज कर दी है.

कर्मचारियों का तर्क है कि उनकी नौकरी ज्‍यादा रिस्‍क में है, इसलिए उनकी एमएसपी बढ़ाई जानी चाहिए. (फाइल फोटो)

केंद्रीय वित्‍त मंत्रालय ने थल सेना (Army) के जूनियर कमीशंड अधिकारियों (JCO) सहित सशस्त्र बलों के करीब 1.12 लाख जवानों को 7वें वेतन आयोग के तहत मिल रही मिलिट्री सर्विस पे (MSP) को बढ़ाने की मांग खारिज कर दी है. मंत्रालय के इस मांग का ठुकराने से जवानों में मायूसी है. जवानों ने मांग की थी कि उनकी एमएसपी 5,500 रुपए से बढ़ाकर 10,000 रुपए की जाए. यदि सरकार ने मांग मान ली होती तो इस मद में हर साल 610 करोड़ रुपए खर्च होते. जवानों का तर्क है कि उनकी नौकरी ज्‍यादा रिस्‍क में है, इसलिए उनकी एमएसपी बढ़ाई जानी चाहिए. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक उनकी मांग को आर्मी हेडक्‍वार्टर का समर्थन हासिल है. आर्मी हेडक्‍वार्टर ने ही यह प्रस्‍ताव डिफेंस मिनिस्‍ट्री को भेजा था. डिफेंस मिनिस्‍ट्री ने यह प्रस्‍ताव वित्‍त मंत्रालय को फॉरवर्ड किया.

खबर के मुताबिक फाइनेंस मिनिस्‍ट्री के इस कदम से रक्षा मंत्रालय व आर्मी हेडक्‍वार्टर खुश नहीं हैं. आर्मी के साथ इस प्रस्‍ताव पर इंडियन नेवी और इंडियन एयरफोर्स की भी सहमति है. फाइनेंस मिनिस्‍ट्री के प्रस्‍ताव न मानने से सीधे तौर पर आर्मी के 87,646 जेसीओ प्रभावित होंगे. वहीं नेवी और एयरफोर्स में जेसीओ के समकक्ष 25,434 कर्मचारी हैं, उनकी भी यही मांग है. इन सभी की संख्‍या मिलाकर यह करीब 1.12 लाख होती है. 

जंतर-मंतर पर धरना देंगे पूर्व जवान
ऑल इंडिया री इम्‍प्‍लाइड एक्‍स सर्विसमैन एसोसिएशन के अध्‍यक्ष यशवीर सिंह ने कहा कि अगर किसी देश के जवान सड़क पर उतकर अपना हक मांगें तो यह देश के लिए दुर्भाग्‍यपूर्ण होगा. बाकी देशों में जवानों को कई तरह की सहूलियतें मिल रही हैं. इस मुद्दे पर एसोसिएशन के पदाधिकारी बातचीत कर आंदोलन की रणनीति बनाएंगे. अगर सरकार ने मांग नहीं मानी तो जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन करेंगे. इस एसोसिएशन में फौज, इनकम टैक्‍स, रेलवे समेत 32 विभागों के वे रिटायर कर्मचारी हैं, जो देशभर में रिटायरमेंट बाद सरकारी सेवा में लगे हैं.

क्‍या है मिलिट्री सर्विस पे
सैनिकों की विशिष्ट सेवा स्थितियों और जोखिम को देखते हुए सशस्त्र बलों के लिए MSP की शुरुआत की गई थी. एक सूत्र ने बताया कि जेसीओ और नौसेना व वायुसेना में इसकी समकक्ष रैंक के लिए हाई एमएसपी के प्रस्ताव को वित्त मंत्रालय ने खारिज कर दिया है. 

क्‍या है स्थिति
अभी MSP की दो श्रेणियां हैं- एक सैन्‍य अफसरों और दूसरी JCO व जवानों के लिए. 7वें वेतन आयोग ने JCO और जवानों के लिए मासिक एमएसपी 5,200 रुपए तय की थी जबकि लेफ्टिनेंट रैंक और ब्रिगेडियर रैंक के बीच के अधिकारियों के लिए MSP के तौर पर 15,500 रुपए तय किए थे.

आर्मी ने मांगा है ज्‍यादा MSP
थलसेना जेसीओ के लिए ज्यादा एमएसपी की मांग करती रही है. उसकी दलील है कि वे राजपत्रित अधिकारी (ग्रुप बी) हैं और सेना की कमान और नियंत्रण ढांचे में अहम भूमिका निभाते हैं. एक सैन्य अधिकारी ने अपने नाम का खुलासा नहीं करने की शर्त पर कहा कि चूंकि जेसीओ ग्रुप बी के गजटेड अधिकारी होते हैं और उनकी सेवा की अवधि भी लंबी होती है, लिहाजा उन्हें जवानों के बराबर की एमएसपी देना गलत है. सूत्रों ने बताया कि थलसेना ने रक्षा मंत्री के सामने इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया था.

कब शुरू हुई MSP
MSP की शुरुआत पहली बार छठे वेतन आयोग में हुई थी. यूरोपीय देशों में सशस्त्र बलों के जवानों के लिए एमएसपी की अवधारणा काफी प्रचलित है. आर्म्‍ड फोर्सेज जेसीओ और इसके समकक्ष रैंकों के लिए MSP की अलग राशि तय करने की मांग कर रहे थे. पिछले साल नवंबर में थलसेना ने साफ किया था कि जेसीओ राजपत्रित अधिकारी होते हैं. थलसेना ने 7 साल पुराने उस नोट को भी खारिज कर दिया था जिसमें उन्हें ‘अराजपत्रित’ अधिकारी करार दिया गया था.

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