पुलिस भर्ती परीक्षा में किसान की बेटी ने लहराया परचम, बनीं प्रदेश टॉपर
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पुलिस भर्ती परीक्षा में किसान की बेटी ने लहराया परचम, बनीं प्रदेश टॉपर

पहली बार परीक्षा में नाकाम होने के बाद अंतिमा हिम्मत नहीं हारी और दूसरी बार अधिक तैयारी के साथ पुलिस भर्ती की परीक्षा दी और प्रदेश में टॉप किया.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के हरदोई (Hardoi) में रहने वाली अंतिमा सिंह ने उत्तर प्रदेश कांस्टेबल परीक्षा में टॉप कर इतिहास रच दिया हैं. पहली बार परीक्षा में नाकाम होने के बाद अंतिमा हिम्मत नहीं हारी और दूसरी बार अधिक तैयारी के साथ पुलिस भर्ती की परीक्षा दी. ये परीक्षा अंतिमा सिंह ने ना सिर्फ परीक्षा उत्तीर्ण की बल्कि महिला वर्ग में प्रदेश की  टापर बनी हैं. अंतिमा की इस सफलता से पूरे परिवार में खुशियों का माहौल है. 

  1. अंतिमा महिला वर्ग में प्रदेश की टॉपर बनी हैं
  2. अंतिमा के पिता M.com पढ़े लिखे किसान हैं
  3. परीक्षा का रिजल्ट कल यानि मंगलवार को आया है

अंतिमा सिंह, हरदोई के साण्डी ब्लॉक क्षेत्र के गांव भदार की रहने वाली हैं. इनके पिता सुनील सिंह खेतीबाड़ी कर परिवार का जीविकोपार्जन करते हैं. आपको ये जानकर हैरानी होगी की अंतिमा के पिता M.Com तक पढ़े हैं और एक रिसर्च स्कालर भी रहे हैं. वहीं उनकी की मां 2001 में गांव की प्रधान का पदभार संभाल चुकी हैं. 

अंतिमा बताती हैं कि उनके माता-पिता शिक्षा को तरक्की का आधार मानते हैं. वे बताती हैं कि उनकी बड़ी बहन भी पुलिस भर्ती की परीक्षा में सफल हो चुकी हैं और इस समय लखनऊ में ट्रेनिंग कर रही हैं. अंतिमा सिंह ने 2018 में पहली बार पुलिस भर्ती परीक्षा दी. इसमें अंतिमा रनिंग टेस्ट में फेल हो गई थी. लेकिन अंतिमा हार मानने वालों में से नहीं थी. वे पुलिस में भर्ती होने का संकल्प कर चुकी थी. जिसके लिए वो पूरी मेहनत से तैयारियों मे जुट गई और प्रदेश में टॉप कर गई.

किसान सुनील सिंह की दोनों बेटियों के पुलिस में चयनित होने और अंतिमा द्वारा परीक्षा टॉप करने की खबर से पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ गई. पूरे गांव में ये बात फैल गई और लोग अंतिमा को बधाई देने के लिए घर पहुंचने लगे. अंतिमा के पिता सुनील बताते हैं कि वे हमेशा गांव वालों को प्रेरित करते हैं कि बेटा व बेटी दोनों को पढ़ाएं. उनकी दोनों बेटियों ने पुलिस में चयनित होकर उनकी मेहनत को साकार कर दिया है. न सिर्फ अब वे अपने पैरों पर खड़ी हुई हैं, बल्कि देश की भी सेवा कर सकेंगी. बेटियां बोझ नहीं होती हैं, बल्कि सही पालन, पोषण व मौका मिलने पर वे भी देश व समाज की जिम्मेदारियों का बोझ अपने कंधे पर उठा सकती हैं. अंतिमा अपने क्षेत्र में पढ़-लिखकर कैरियर बनाने की इच्छुक बेटियों के लिए रोल माडल बनकर उभरी है.

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