दो दिन पहले ही पार्टी ने विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार से उन्हें अयोग्य ठहराए जाने की अनुशंसा की थी.
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बेंगलुरू: कर्नाटक में जारी सियासी उठापटक के बीच कई हफ्ते से लापता कांग्रेस के चार असंतुष्ट विधायक बुधवार को नजर आए. दो दिन पहले ही पार्टी ने विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार से उन्हें अयोग्य ठहराए जाने की अनुशंसा की थी. विधायकों ने पार्टी को कई हफ्ते तक गच्चा दिया और 18 जनवरी तथा आठ फरवरी को कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शामिल होने के लिए जारी व्हिप की अवहेलना की थी. वे विधानसभा के बजट सत्र में छह फरवरी से नहीं आ रहे थे.
रमेश जारकीहोली, उमेश जाधव, बी. नागेन्द्र और महेश कुमाथाली ने बुधवार को विधानसभा के सत्र में भी हिस्सा लिया जिससे सत्तारूढ़ गठबंधन को थोड़ी राहत मिली. कहा जाता है कि चारों विधायक भाजपा के संपर्क में थे और जेडीएस -कांग्रेस गठबंधन सरकार को गिराने के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त का प्रयास कर रहे थे. कैबिनेट में फेरबदल और 22 दिसम्बर को कैबिनेट का विस्तार होने के बाद से ही वे निराश थे. फेरबदल में जारकीहोली से उनका मंत्रालय वापस ले लिया गया था. जारकीहोली ने इन बातों से इनकार किया कि वह पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त थे या पार्टी आलाकमान को चुनौती दी.
जारकीहोली ने कहा, "इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि मैं निराश था लेकिन न तो मैं पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त था और न ही मैनें पार्टी आलाकमान को चुनौती दी थी. मैं अपनी बेटी की शादी के लिए मुंबई में था जो 24 फरवरी को होने वाली है. मैं अपने रिश्तेदारों से मिल रहा था और शाम को मैं फिर से मुंबई जा रहा हूं."
यह पूछने पर कि विधायक दल के नेता सिद्धरमैया ने उन्हें अयोग्य ठहराने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को आवेदन दिया है तो उन्होंने कहा कि वह ऐसा करने के लिए स्वतंत्र हैं. नागेन्द्र भी जारकीहोली से सहमत थे कि वे निराश थे. नागेन्द्र ने कहा, "हम चारों एक साथ हैं. यह स्वाभाविक है कि हम निराश थे."
जाधव ने कहा कि वह ‘‘डर के कारण’’ यहां नहीं आए हैं बल्कि यह सुनिश्चित करने आए हैं कि वित्त विधेयक पारित हो जाए. कांग्रेस ने सोमवार को विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार को आवेदन देकर चारों विधायकों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी.