कर्नाटक: कुमारस्वामी सरकार का फ्लोर टेस्ट आज, लेकिन सता रहा है BJP के 'ऑपरेशन कमल' का खौफ
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कर्नाटक: कुमारस्वामी सरकार का फ्लोर टेस्ट आज, लेकिन सता रहा है BJP के 'ऑपरेशन कमल' का खौफ

कांग्रेस के 78 विधायक हैं, जबकि कुमारस्वामी की जद (एस) के 36 और बसपा का एक विधायक हैं. गठबंधन ने केपीजेपी के एकमात्र विधायक और एक निर्दलीय विधायक के समर्थन का भी दावा किया है.

कांग्रेस नेता डी.के. शिवकुमार के साथ कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी. (PTI/23 May, 2018)

बेंगलुरु: कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी आज (शुक्रवार) बहुमत परीक्षण का सामना करेंगे और ऐसी उम्मीद है कि राज्य में दस दिनों की राजनीतिक अस्थिरता का अंत हो जायेगा. दोपहर 12:15 बजे विधानसभा का सत्र बुलाया गया है, जबकि एच.डी. कुमारस्वामी के शक्ति परीक्षण से पहले विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा. जेडीएस-कांग्रेस-बसपा गठबंधन के नेता कुमारस्वामी ने 23 मई को विपक्ष के तमाम बड़े नेताओं की मौजदूगी में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. कांग्रेस के 78 विधायक हैं, जबकि कुमारस्वामी की जद (एस) के 36 और बसपा का एक विधायक हैं. गठबंधन ने केपीजेपी के एकमात्र विधायक और एक निर्दलीय विधायक के समर्थन का भी दावा किया है. कुमारस्वामी ने दो सीटों पर जीत दर्ज की थी. 

  1. कुमारस्वामी ने 23 मई को कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.
  2. शक्ति परीक्षण से पहले ही येदियुरप्पा ने दिया था इस्तीफा.
  3. भाजपा के पास 107, जबकि कांग्रेस-जेडीएस के पास 115 सीटें हैं.

शक्ति परीक्षण से पहले ही येदियुरप्पा ने दिया इस्तीफा
भाजपा के बी. एस. येदियुरप्पा ने 17 मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, लेकिन सदन में विश्वास मत हासिल करने से पहले ही उन्होंने इस्तीफा देने की घोषणा कर दी थी. शपथ लेने के बाद कुमारस्वामी ने विश्वास मत हासिल किये जाने के बारे में विश्वास जताया था, लेकिन उन्होंने आशंका भी जताई थीं कि उनकी सरकार को गिराने के लिए भाजपा ‘‘ऑपरेशन कमल’’ दोहराने का प्रयास कर सकती है.

‘‘ऑपरेशन कमल’’ या ‘‘ऑपरेशन लोटस’’ नाम के शब्द 2008 में उस वक्त इस्तेमाल किए गए थे, जब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी.एस. येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद संभाला था. पार्टी को साधारण बहुमत के लिए तीन विधायकों की दरकार थी. ‘‘ऑपरेशन कमल’’ के तहत कांग्रेस और जेडीएस के कुछ विधायकों को भाजपा में शामिल होने के लिए राजी किया गया था. उनसे कहा गया था कि वे विधानसभा की अपनी सदस्यता छोड़कर फिर से चुनाव लड़ें. उनके इस्तीफे की वजह से विश्वास मत के दौरान जीत के लिए जरूरी संख्या कम हो गई थी और फिर येदियुरप्पा विश्वास मत जीत गए थे.

भाजपा की ओर से सुरेश कुमार मैदान में
भाजपा ने विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए अपने वरिष्ठ नेता और पांच बार के विधायक एस सुरेश कुमार को उतारा है. कांग्रेस के रमेश कुमार ने सत्तारूढ़ गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में इस पद के लिए अपना नामांकन भरा. भाजपा उम्मीदवार ने कहा, ‘‘संख्या बल और कई अन्य कारकों के आधार पर हमारी पार्टी के नेताओं को विश्वास है कि मैं जीतूंगा. इसी विश्वास के साथ मैंने नामांकन दाखिल किया है.’’

यह पूछने पर कि भाजपा के केवल 104 विधायक हैं तो ऐसे में उनके जीतने की संभावना क्या है, सुरेश कुमार ने कहा, ‘‘मैंने नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है. कल दोपहर सवा बारह बजे चुनाव है. चुनाव के बाद आपको पता चल जाएगा.’’ कांग्रेस विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने गठबंधन उम्मीदवार की जीत के बारे में विश्वास जताया. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे पता चला है कि भाजपा ने भी नामांकन दाखिल किया है. मुझे उम्मीद है वे नामांकन वापस ले लेंगे. यदि चुनाव होता है तो रमेश कुमार की जीत निश्चित है.’’

डी.के. शिवकुमार चल रहे हैं नाराज
हालांकि कुमारस्वामी के विश्वास मत हासिल करने की संभावना है और उनके लिए मंत्रिमंडल का विस्तार मुश्किल साबित होने वाला है. ऐसा बताया जा रहा है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डी के शिवकुमार उपमुख्यमंत्री पद के लिए उनकी अनदेखी किये जाने से खुश नहीं है. पार्टी ने दलित चेहरा जी. परमेश्वर को उपमुख्यमंत्री बनाया है. शिवकुमार ने कहा था, ‘‘क्या यह उन लोगों के लिए एक समान है जो एक सीट जीतते है और या जो राज्य जीतते है. मैं संन्यास लेने के लिए राजनीति में नहीं आया हूं. मैं शतरंज खेलूंगा फुटबॉल नहीं.’’

परमेश्वर ने गुरुवार (24 मई) को कहा कि गठबंधन को मुख्यमंत्री के रूप में जद (एस) नेता के कार्यकाल पर अभी चर्चा करनी है. जब उनसे यह पूछा गया कि क्या कुमारस्वामी पूरे पांच वर्ष के कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री बने रहेंगे तो उन्होंने इसके जवाब में कहा,‘‘ हमने अभी तक इन पर चर्चा नहीं की है.’’

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