कर्नाटक चुनाव Exit Polls : कांग्रेस के लिए खुशखबरी में खतरे की घंटी
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कर्नाटक चुनाव Exit Polls : कांग्रेस के लिए खुशखबरी में खतरे की घंटी

इस तरह देखा जाए तो कोई भी सर्वे किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत की बात ठोककर नहीं कह पा रहा है. इंडिया टुडे एक्सिस के सर्वे में जरूर कांग्रेस को 118 सीटें तक मिलने की बात कही जा रही है, लेकिन बाकी तीनों सर्वे उसे पूर्ण बहुमत तो नहीं ही दे रहे हैं.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली : कर्नाटक चुनाव का मतदान पूरा होने के साथ ही विभिन्न एजेंसियों के एग्जिट पोल सामने आ गए हैं. मोटे तौर पर चार प्रमुख एग्जिट पोल सामने आए हैं, जिनमें से दो में कांग्रेस और दो में बीजेपी को बढ़त दिखाई गई है. कांग्रेस को जो दो एग्जिट पोल अच्छे लग रहे होंगे वे हैं- इंडिया टुडे- एक्सिस का एग्जिट पोल और टाइम्स नाव का एग्जिट पोल. पहले पोल में कांग्रेस को 106 से 118 सीटें मिलती दिख रही हैं तो दूसरे पोल में 90 से 103 सीटें मिलती दिख रही हैं. उधर, बीजेपी को जो पोल अच्छे लग रहे होंगे वे हैं सी वोटर और न्यूज एक्स के एग्जिट पोल. इनमें बीजेपी को क्रमश: 97 से 109 और 94 से 114 सीटें मिलती दिख रही हैं.

इस तरह देखा जाए तो कोई भी सर्वे किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत की बात ठोककर नहीं कह पा रहा है. इंडिया टुडे एक्सिस के सर्वे में जरूर कांग्रेस को 118 सीटें तक मिलने की बात कही जा रही है, लेकिन बाकी तीनों सर्वे उसे पूर्ण बहुमत तो नहीं ही दे रहे हैं.

इसके बावजूद कांग्रेस के लिए यह निश्चित तौर पर बहुत खुशी की बात होगी, क्योंकि 2014 में लोकसभा चुनाव हारने के बाद से पंजाब विधानसभा चुनाव को छोड़कर किसी एग्जिट पोल में पार्टी अच्छा नहीं कर पाई, लेकिन इस बार एग्जिट पोल में उसकी दावेरदारी अच्छी मानी जा रही है.

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लेकिन क्या अगले दो दिन पार्टी के लिए के लिए खुशी मनाने वाले होंगे या फिर आगे की रणनीति बनाने वाले. क्योंकि कांग्रेस को अच्छी तरह पता होगा कि अगर उसकी एक सीट भी बहुमत से कम रह गई तो उसके लिए सरकार बनाना बहुत कठिन हो जाएगा. क्योंकि पिछले तीन-चार साल में ऐसी आपात स्थिति में कांग्रेस के साथ किसी का जुड़ना तो दूर उसके अपने लोग ही उससे किनारा करते रहे हैं.

पिछले साल हुए पांच राज्यों के चुनाव में मणिपुर और गोवा में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन इन दोनों ही राज्यों में वह सरकार नहीं बना सकी. गोवा में तो उसके वरिष्ठ विधायक ही पाला, बदलकर बीजेपी के साथ चले गए. उसके पूर्व मुख्यमंत्री भाजपा में चले गए. उधर मणिपुर में तो कांग्रेस के पास बहुमत से एक ही सीट कम थी, लेकिन पार्टी सरकार नहीं बना सकी. दोनों ही राज्यों में भाजपा की सरकार बनी. इससे पहले गुजरात में हुए राज्यसभा चुनाव में पार्टी के 22 विधायक टूट गए और पार्टी को सोनिया गांधी के राजनैतिक सचिव अहमद पटेल को राज्यसभा भेजने में पसीना आ गया. अरुणाचल प्रदेश में तो पूरी की पूरी पार्टी ही भाजपा में शामिल हो गई और बिना चुनाव के ही अरुणाचल में बीजेपी की सरकार बन गई. उसके पहले उत्तराखंड में कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा सहित पार्टी का बड़ा धड़ा बीजेपी में चला गया. वहां किसी तरह अदालत के दखल के बाद हरीश रावत सरकार बचा सके थे. वह सरकार भी मार्च 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के हाथों हार गई.

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यानी कांग्रेस को मैदान में जो करना था, उसने कर लिया. अब असली लड़ाई पर्दे के पीछे की राजनीति की होगी. क्या कांग्रेस ने पहले से इसके लिए तैयारी कर ली है. अगर कांग्रेस पहले से यह तैयारी कर चुकी है, तब तो कोई गुंजाइश है, वर्ना बहुमत के आंकड़े से जरा से फिसलने पर बीजेपी के चाणक्य कांग्रेस को कोई रणनीति बनाने का मौका नहीं देंगे और कभी भी गोवा या मणिपुर की सैर करा देंगे.

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